नगर परिषद आयुक्त रामकिशोर मेहता APO किए गए: जिला कलेक्टर ने स्वायत्त शासन विभाग में की थी शिकायत, बोले – दायित्वों का नहीं किया निर्वहन – Chittorgarh News h3>
जिला कलेक्टर आलोक रंजन की शिकायत के बाद नगर परिषद चित्तौड़गढ़ के आयुक्त रामकिशोर मेहता को स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर ने एपीओ कर दिया है। इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक और विशिष्ट सचिव इंद्रजीत सिंह द्वारा आदेश जारी किया गया। आदेश में बताय
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जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने 18 अप्रैल को जयपुर मुख्यालय को एक शिकायत पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने रामकिशोर मेहता के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। रिपोर्ट में कहा गया कि आयुक्त को सौंपे गए कार्यों के क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही सामने आई है। वह जिला स्तरीय बैठकों में खुद मौजूद नहीं होकर अपने स्थान पर अन्य कर्मचारियों या अधिकारियों को भेजते रहे। इसके साथ ही, राजकीय अवकाशों के दौरान मुख्यालय पर भी उनकी उपस्थिति नहीं रहती थी, जो सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है।
आयोजनों में व्यवस्थाएं ढंग से नहीं की जाती थी
जिला कलेक्टर ने रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि विभिन्न सरकारी आयोजनों, पर्वों, जयंतियों और धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों में आवश्यक सुविधाओं जैसे लाइटिंग, टेंट, माइक, पानी और सफाई व्यवस्था आदि में भारी लापरवाही बरती गई। समय पर व्यवस्थाएं नहीं होने से आयोजनों में अव्यवस्था की स्थिति बनती थी। इसके अलावा, निविदाओं में भी अव्यवहारिक शर्तें जोड़ने की शिकायतें सामने आईं, जिससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा पर प्रश्न उठे। इन सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
स्वायत्त शासन विभाग ने कलेक्टर द्वारा भेजी गई शिकायत की जांच के बाद रामकिशोर मेहता को एपीओ करने का निर्णय लिया। आदेश जारी कर उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया गया है और निर्देश दिया गया है कि वे जयपुर निदेशालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।
लोगों ने भी की दुर्व्यवहार करने की शिकायत
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आयुक्त रामकिशोर मेहता के खिलाफ आम जनता की ओर से भी कई शिकायतें पहले से लंबित थीं। लोगों का आरोप था कि अपनी समस्याओं को लेकर जब वे आयुक्त से मिलने जाते थे, तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। कई बार आयुक्त द्वारा फरियादियों को धमकाया भी गया कि यदि ज्यादा शिकायत की तो राजकार्य में बाधा पहुंचाने का मुकदमा दर्ज करवा दिया जाएगा। इससे नगर परिषद कार्यालय में आम जनता का आना-जाना भी काफी कम हो गया था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद नगर परिषद चित्तौड़गढ़ में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कर्मचारियों और आमजन में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि आयुक्त के व्यवहार और कार्यप्रणाली से पहले ही नाराजगी थी, जबकि कुछ कर्मचारी इसे उच्च स्तरीय हस्तक्षेप मान रहे हैं। फिलहाल उनकी जगह अभी किसी को पोस्टिंग नहीं मिली। वहीं, स्वायत्त शासन विभाग द्वारा भविष्य में कार्यशैली में सुधार लाने और जनता से संवाद मजबूत करने के निर्देश भी जारी किए जा सकते हैं।
लापरवाही से बिगड़ने लगा जनता का काम
चित्तौड़गढ़ में नगर परिषद एक जरूरी निकाय है, जिसकी जिम्मेदारी शहर के नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की होती है। ऐसे में इसके प्रशासनिक प्रमुख की लापरवाही से न केवल काम प्रभावित होता है बल्कि आम जनता का भरोसा भी डगमगाता है। रामकिशोर मेहता के एपीओ किए जाने को प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने की दिशा में एक कड़ा कदम माना जा रहा है। आगामी दिनों में नगर परिषद चित्तौड़गढ़ में सुधारात्मक कदमों और नई नियुक्तियों के जरिये व्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास तेज किए जा सकते हैं।