नक्सल प्रभावित गांव में बरगद के पेड़ के नीचे स्कूल: जमुई में 117 बच्चे नामांकित, शिक्षक नहीं पहुंचे; सूखी टहनियों के गिरने का खतरा – Jamui News h3>
जमुई के बरहट प्रखंड में स्थित गुरमाहा उत्क्रमित मध्य स्कूल की स्थिति चिंताजनक है। स्कूल एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे चल रहा है। यहां 117 बच्चों का नामांकन है, लेकिन शिक्षक नियमित रूप से नहीं आते।
.
स्कूल में नियुक्त चार शिक्षकों में प्रधानाध्यापक अरुण दिवाकर, अनुपम कुमारी, सिंटू कुमार और पिंकी कुमारी शामिल हैं। स्थानीय वार्ड सचिव नरेश राणा के अनुसार, प्रधानाध्यापक बहुत कम ही स्कूल आते हैं। अन्य शिक्षक भी महीने में केवल 4-5 बार ही उपस्थित होते हैं।
बच्चों की सुरक्षा भी जोखिम में है। जिस बरगद के नीचे वे पढ़ते हैं, उसकी सूखी टहनियां किसी भी समय गिर सकती हैं। क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या के कारण शिक्षकों की उपस्थिति ऑफलाइन दर्ज की जाती है, जिसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
गुरुवार को शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण बच्चों को बिना पढ़े ही वापस लौटना पड़ा। महीने से मध्यान भोजन भी नहीं मिल रहा है।
बच्चे बरगद के पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं।
7 महीने से पेड़ के नीचे चलाया जा रहा स्कूल
बता दें कि बरहट पंचायत के जंगली इलाके के अंबा टोला, बिचला टोला, मुसहरीटांड, कुमरतरी, गुरमाहा सहित आधा दर्जन गांव के बच्चे स्कूल में पढ़ने आते है। पहले उत्क्रमित मध्य विद्यालय गुरमाहा गांव के ही सामुदायिक भवन में चला जा रहा था।
बीते 6 से 7 महीने से गांव में सड़क का निर्माण कराया जा रहा है, जिसको लेकर ठेकेदार व स्थानीय लोग सामुदायिक केंद्र में सीमेंट व निर्माण काम में इस्तेमाल किए जाने वाले सामग्री को रखा गया है। जिस कारण यह स्कूल पेड़ के नीचे ही चलाया जा रहा है।
शिक्षक के नहीं पहुंचने से इलाके में रहने वाले बच्चों के भविष्य अंधेरा में जाने को मजबूर है। पूरे मामले को लेकर स्कूल के प्रभारी अरुण दिवाकर ने कहा कि वह प्रत्येक दिन स्कूल जाते हैं। स्कूल भी खुलता है। लेकिन जब गुरुवार को स्थानीय लोगों की बातचीत और फोटो दिखाया गया, तो उन्होंने मोबाइल पर बताया कि आज किसी कारणवश नहीं जा पाए थे और शिक्षक के नहीं पहुंचने मामले में जांच करने की बात कही गई है।
कक्षा में सिमेंट की बोरी रखी हुई है।
विद्यालय में पढ़ने वाले 5 वीं क्लास के छात्र नीरज कुमार ने कहा कि प्रधानाध्यापक अरुण दिवाकर मात्र 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम में ही पहुंचते हैं। मध्यान भोजन का चावल भी सामुदायिक भवन में रखे सिमेंट के पास रखा है। इस कारण चावल में सिमेंट का धूल पड़ा रहा है।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल की स्थित क्या है। लेकिन किसी भी पदाधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। इस मामले में शिक्षा विभाग के डीपीओ ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।