दो बच्चों की पढ़ी-लिखी खुशहाल मां बनी मानव बम, बलूचिस्तान में तैयार हो रहीं कई ‘शारी बलूच’! बदल चुका है विद्रोह का तरीका?

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दो बच्चों की पढ़ी-लिखी खुशहाल मां बनी मानव बम, बलूचिस्तान में तैयार हो रहीं कई ‘शारी बलूच’! बदल चुका है विद्रोह का तरीका?

दो बच्चों की पढ़ी-लिखी खुशहाल मां बनी मानव बम, बलूचिस्तान में तैयार हो रहीं कई ‘शारी बलूच’! बदल चुका है विद्रोह का तरीका?

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की कराची यूनिवर्सिटी बीते दिनों एक आत्मघाती हमले से दहल गई। इसमें चार लोगों की मौत हो गई और दो घायल हुए। इस हमले को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने अंजाम दिया था जिसका निशाना पाकिस्तान में चीनी नागरिक थे। बीएलए की मजीद ब्रिगेड की पहली महिला फिदायी शारी बलूच ने खुद को चीनी नागरिकों की वैन के करीब उड़ा लिया था। शारी बलूच न सिर्फ शिक्षित परिवार से संबंध रखती थी बल्कि वह खुद भी एम.फिल. की छात्रा थी और बच्चों को पढ़ाती थी। लेकिन कट्टरपंथी विद्रोहियों ने एक पढ़ी-लिखी महिला का ब्रेनवॉश किया और उसे अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। अब समूह ने शारी बलूच का एक प्रोपेगेंडा पोस्टर जारी किया है।

बीएलए के पोस्टर में शारी बलूच की एक तस्वीर लगी है और नीचे लिखा है, ‘जब हमारे दुश्मन मारते वक्त पुरुष और महिलाओं में भेदभाव नहीं करते हैं, तो हम अपने प्रतिरोध के लिए लोगों को चुनने में लिंग भेदभाव क्यों करें?’ पाकिस्तान में कराची स्थित कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट के सामने जब एक शिक्षित और दो बच्चों की मां ने आत्मघाती हमला किया तो पाकिस्तान के साथ पूरी दुनिया सकते में आ गई। बलूचिस्तान पाकिस्तान का प्राकृतिक संसाधन से भरपूर प्रांत है और यहां के लोग लंबे समय से पाकिस्तान की सरकार का विरोध कर रहे हैं।

बलूच विद्रोहियों ने बदल दी है रणनीति?
सरकार की खिलाफत बलूच लोगों के लिए कोई नई बात नहीं लेकिन आत्मघाती हमला और उसमें भी हमलावर के रूप में दो बच्चों की एक शिक्षित मां का होना इस बात का संकेत देता है कि बलूचिस्तान के विद्रोहियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी की रिपोर्ट के मुताबिक आत्मघाती हमलावर शारी बलूच मात्र 31 साल की थी। इस हमले में चीन के तीन नागरिक और उनका पाकिस्तानी ड्राइवर मारा गया।

बलूचिस्तान में तैयार हो रहीं कई ‘शारी बलूच’?
इस हमले ने जो सबसे अहम सवाल खड़ा किया वह यह है कि आखिर अपनी शादीशुदा जिंदगी में दो बच्चों के साथ हंसी-खुशी से रहने वाली शारी बलूच को किस बात ने आत्मघाती हमलावर बनने के लिए प्रेरित किया। पाकिस्तान के कई लोगों का मानना है कि यह हमला दो दशक से जारी बलूच उग्रवाद की नई दिशा का संकेत देता है। बलूचिस्तान को कवर करने वाले किया बलूच का कहना है कि महिला आत्मघाती हमलावर के होने ने इस बात की आशंका बढ़ा दी है कि ऐसे और हमले भविष्य में हो सकते हैं।
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पाकिस्तानी सेना की कार्रवाइयों ने दिया गुस्से को जन्म
किया बलूच निष्कासित पत्रकार हैं। उन्होंने कहा कि अभी हाल तक बलूच राष्ट्रवादी खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने में गर्व महसूस कर रहे थे और वे किसी भी कट्टरता के खिलाफ थे। रिपोर्ट के मुताबिक किया बलूच ने कहा कि बलूच लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की कार्रवाई, विद्रोह का समर्थन करने वालों की अवैध हत्याओं, लोगों को जबरन अगवा किए जाने की घटनाओं ने संभवत: उन लोगों को रोष और गुस्से से भर दिया, जो अपने नजदीकियों के अपहरणों या हत्याओं से प्रभावित थे।

सुसाइड हमलों पर उतर आए बलूच विद्रोही
किया बलूच ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और बलूच उग्रवादी दोनों ने चरमपंथियों का रुख अख्तियार किया है। पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान को लेकर अपनी सुरक्षा केंद्रित कार्रवाई को रोकना नहीं चाहती तो दूसरी तरफ उग्रवादी अब इतने कट्टर हो गए हैं कि वे आत्मघाती हमलों पर उतर आए हैं। बलूच उग्रवादी 2000 से ही पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के साथ अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगे दक्षिणी पश्चिमी प्रांत में भिड़ंत कर रहे हैं।

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बलूच विद्रोह में शामिल पढ़े-लिखे और प्रोफेश्नल्स
पाक सरकार बलूच उग्रवादियों को सुरक्षा बल, सरकारी प्रतिष्ठानों, पूर्वी पंजाब प्रांत से आने वाले मजदूरों तथा प्रवासियों और पाकिस्तान की सरकार का समर्थन करने वाले बलूच नेताओं पर हमले करने के लिए जिम्मेदार ठहराती है। दूसरी तरफ, बलूच राष्ट्रवादी और मानवाधिकार संगठन पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर मानवाधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हैं। उनका आरोप है कि सुरक्षाबल विरोध को दबाने के लिए हिंसक तरीके अपनाती है। शुरूआत में जो विद्रोह एक कबीले के विरोध के रूप में देखा जा रहा था, वह आज एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां कई शिक्षित और मध्यमवर्गीय बलूच पेशेवर भी इससे जुड़ गए हैं।



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