दोपहर 12 से 3 बजे के बीच पड़ रही है भीषण गर्मी, हीट स्ट्रोक और डायरिया के शिकार हो रहे बच्चे | children suffering heat stroke and diarrhea by worst heat 12 to 3 pm | Patrika News h3>
अस्पतालों में रोज पहुंच रहे 2 दर्जन बच्चे, वेंटिलेटर लगाने की पड़ रही जरूरत।
भोपाल
Updated: April 12, 2022 03:54:24 pm
भोपाल. गर्मी कहर बरपा रही है। राजधानी भोपाल का तापमान लगातार 42 डिग्री से आसपास चल रहा है। तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर स्कूल जाने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। यह बच्चे तेजी से डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। स्थिति यह है कि बच्चों को वेंटिलेटर पर तक रखना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी अस्पतालों में हर रोज 12 से 15 बच्चे डिहाइड्रेशन, पानी की कमी और हीट स्ट्रोक की वजह से भर्ती हो रहे हैं।
दोपहर 12 से 3 बजे के बीच पड़ रही है भीषण गर्मी, हीट स्ट्रोक और डायरिया के शिकार हो रहे बच्चे
दरअसल, दोपहर के समय गर्मी सबसे तेज होती है और इसी दौरान बच्चे भी स्कूल वैन और बस में होते हैं। बच्चों को हीट स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। 4 दिन में ही शहर के अस्पतालों में 100 से ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के चलते भर्ती हो चुके हैं।
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जेपी में 11 हमीदिया में 18 बच्चे भर्ती
जेपी अस्पताल के आईसीयू में 11 बच्चे डायरिया और हीट स्ट्रोक से भर्ती हैं। हमीदिया में भी 18 बच्चे एडमिट है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश मिश्रा बताते हैं कि इन दिनों ओपीडी में सबसे ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक से पीड़ित ही आते हैं। कई बच्चे को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ जाता है।
बच्चों में हो रही पानी की कमी
गर्मी के कारण 10 साल तक के बच्चे सबसे अधिक बीमार हो रहे हैं। कुल बच्चों में 25 से 30 प्रतिशत बच्चे हीट स्ट्रोक और डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं। तेज गर्मी के चलते बच्चो के शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
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ये है हीट स्ट्रोक
गर्मी में शरीर में पानी की कमी होने को हीट स्ट्रोक कहा जाता है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा हीट स्ट्रोक यानी लू लगने का रहता है। जैसे ही तापमान बढ़ता है तो लू लगने का खतरा बन जाता है। इसमें शरीर में पानी की कमी होने पर उल्टी के साथ तेज बुखार होता है और शरीर में पानी की
कमी होने पर बेहोशी आने लगती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष पंचरत्न का कहना है कि, बीते कुछ दिनों में तापमान अचानक बढ़ गया है। दोपहर में बच्चे बस और वैन में होते हैं उस समय घर में सब जाते होती है ऐसे में बॉडी से वॉटर लॉस ज्यादा बढ़ जाता है। हर दिन 4 से 5 बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।
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भोपाल
Updated: April 12, 2022 03:54:24 pm
भोपाल. गर्मी कहर बरपा रही है। राजधानी भोपाल का तापमान लगातार 42 डिग्री से आसपास चल रहा है। तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर स्कूल जाने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। यह बच्चे तेजी से डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। स्थिति यह है कि बच्चों को वेंटिलेटर पर तक रखना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी अस्पतालों में हर रोज 12 से 15 बच्चे डिहाइड्रेशन, पानी की कमी और हीट स्ट्रोक की वजह से भर्ती हो रहे हैं।
दोपहर 12 से 3 बजे के बीच पड़ रही है भीषण गर्मी, हीट स्ट्रोक और डायरिया के शिकार हो रहे बच्चे
दरअसल, दोपहर के समय गर्मी सबसे तेज होती है और इसी दौरान बच्चे भी स्कूल वैन और बस में होते हैं। बच्चों को हीट स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। 4 दिन में ही शहर के अस्पतालों में 100 से ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के चलते भर्ती हो चुके हैं।
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जेपी में 11 हमीदिया में 18 बच्चे भर्ती
जेपी अस्पताल के आईसीयू में 11 बच्चे डायरिया और हीट स्ट्रोक से भर्ती हैं। हमीदिया में भी 18 बच्चे एडमिट है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश मिश्रा बताते हैं कि इन दिनों ओपीडी में सबसे ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक से पीड़ित ही आते हैं। कई बच्चे को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ जाता है।
बच्चों में हो रही पानी की कमी
गर्मी के कारण 10 साल तक के बच्चे सबसे अधिक बीमार हो रहे हैं। कुल बच्चों में 25 से 30 प्रतिशत बच्चे हीट स्ट्रोक और डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं। तेज गर्मी के चलते बच्चो के शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
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ये है हीट स्ट्रोक
गर्मी में शरीर में पानी की कमी होने को हीट स्ट्रोक कहा जाता है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा हीट स्ट्रोक यानी लू लगने का रहता है। जैसे ही तापमान बढ़ता है तो लू लगने का खतरा बन जाता है। इसमें शरीर में पानी की कमी होने पर उल्टी के साथ तेज बुखार होता है और शरीर में पानी की
कमी होने पर बेहोशी आने लगती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष पंचरत्न का कहना है कि, बीते कुछ दिनों में तापमान अचानक बढ़ गया है। दोपहर में बच्चे बस और वैन में होते हैं उस समय घर में सब जाते होती है ऐसे में बॉडी से वॉटर लॉस ज्यादा बढ़ जाता है। हर दिन 4 से 5 बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।
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