देश में 30 से 40% लोगों में होता है सुस्त टीबी, 50% को लंग्स में टीबी, देखें वर्ल्ड टीबी डे पर चौकाने वाले भारत के आंकड़े
टीबी के जांच-इलाज में हुए कई बदलाव
- पहले बलगम की जांच माइक्रोस्कोप से होती थी, जिसमें दो-तीन दिन लगते थे। अब एक नई जांच मशीन CBNAT लॉन्च हुई है, जो पूरे देश में 800 से ज्यादा है। यह मशीन 2 से 3 घंटे में जांच कर देती है और जो पॉजिटिव आते हैं, उनका किस तरह का इलाज कारगर होगा, यह भी बता देती है।
- टीबी पॉजिटिव मरीजों के न्यूट्रिशन के लिए सरकार 500 रुपये महीने की मदद राशि देती है।
- निश्चय मित्र योजना के तहत समर्थ लोगों से अपील की जा रही है कि वो मरीज को अडॉप्ट करें और हर महीने एक हजार रुपये दें, ताकि वे बैलेंस डाइट ले सकें।
- नई टीपीटी शुरू की गई है, जिसके तहत जिस मरीज का स्पूटम टेस्ट पॉजिटिव आता है, उसके घर के हर इंसान की जांच की जाती है और उन्हें प्रिवेंटिव दवा दी जाती है।
वैक्सीन
डॉक्टर दीवान ने कहा कि एक तो जन्म के बाद बच्चों को बीसीजी का टीका दिया जाता है, जो टीबी को खतरनाक होने से बचाता है। अब एक और वैक्सीन पर स्टडी चल रही है, जो 15 से 24 साल के उम्र में सेकंड डोज के तौर पर दी जाएगी।
टीबी की वजह
आकाश हॉस्पिटल के रेस्पिरेट्री विभाग के डॉक्टर अक्षय बुद्धराजा ने कहा कि टीबी बाल और नाखून छोड़कर किसी भी अंग में हो सकता है। न्यूट्रिशन की कमी, सुबह का नाश्ता मिस करना, देर रात सोना, समय पर खाना नहीं खा पाने से इम्युनिटी कम होती है। देश में 30 से 40% लोगों में इनएक्टिव यानी सुस्त टीबी होता है। 50% टीबी लंग्स में होता है और बाकी 50% शरीर के अन्य अंगों में। टीबी होने पर वजन कम होने लगेगा। भूख में कमी आएगी। हमेशा लो ग्रेड फीवर रहेगा।
बचाव
4 हफ्ते से ज्यादा की खांसी हो तो टीबी की जांच जरूर कराएं। फीवर, भूख में कमी और वजन कम हो रहा है तो भी टीबी की जांच कराएं। बेसिक जांच एक्सरे है, उसके बाद डॉक्टर जिन जांच की सलाह दें, वो जरूर कराएं।
टीबी के खतरे को तीन गुणा बढ़ता है तंबाकू
तंबाकू टीबी की बीमारी को तीन गुणा ज्यादा सीवियर बनाता है। पटेल चेस्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर राजकुमार ने कहा कि टीबी का सीधा संबंध तंबाकू व स्मोकिंग से है। जो तंबाकू का सेवन करते हैं उनमें टीबी तीन गुणा ज्यादा होता है। उनकी मौत की दर भी तीन गुणा ज्यादा होती है। ऐसे लोगों में संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है, इलाज का असर कम होता है, मरीज जल्दी ठीक नहीं होते।