देश में अब जमकर होगा Green Hydrogen का उत्पादन, ये तीन दिग्गज कंपनिया आईं साथ, ज्वाइंट वेंचर के लिए हुआ समझौता h3>
नई दिल्ली: भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। जब गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों (Non-Conventional Energy Sources) की बात होती है, तो ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) एक बड़ा विकल्प सामने आता है। ग्रीन हाइड्रोजन के जरिए जीरो कार्बन उत्सर्जन के साथ ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। परिवहन उद्योग, ऊर्जा भंडारण और औद्योगिक क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन का बड़े स्तर पर उपयोग किया जा सकता है। देश की इसी जरूरत को देखते हुए तीन दिग्गज कंपनियां एक साथ आई हैं। ये इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Indian Oil), लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और रिन्यू पावर (ReNew) हैं। इन तीनों कंपनियों ने एक जॉइंट वेंचर (JV) कंपनी बनाने के लिए आपस में समझौता किया है। यह कंपनी भारत में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर विकसित करने का काम करेगी।
तीनों कंपनियों की विशेषज्ञता आएगी काम
ये तीनों ही कंपनियां अपने-अपने क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां हैं। ऐसे में इस नए वेंचर में इन तीनों कंपनियों की विशेषज्ञता शामिल होगी। एलएंडटी ईपीसी परियोजनाओं को डिजाइन करने, क्रियान्वित करने और वितरित करने में एक मजबूत साख रखती है। इंडियन ऑयल की बात करें, तो यह पेट्रोलियम रिफाइनिंग में विशेषज्ञता के साथ ही सभी ऊर्जा स्रोतों में अपनी उपस्थिति रखता है। वहीं, रिन्यू बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा समाधान विकसित करने और उसकी पेशकश करने के लिए जानी जाती है। इसके अतिरिक्त, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रोलाइजर्स को बनाने और बेचने के लिए इंडियन ऑयल और एलएंडटी ने एक जॉइंट वेंचर पर समझौता किया है।
कार्बन उत्सर्जन घटाने में कर रहे देश की मदद: IOCL
इस समझौते पर इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैध ने कहा, ‘हम कार्बन उत्सर्जन को कम करने कि दिशा में देश की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ग्रीन हाइड्रोजन में देश की क्षमता बढ़ाकर ऐसा करना चाहते हैं।’ वहीं, एलएंडटी के सीईओ और एमडी एसएन सुब्रमण्यम ने इस जॉइंट वेंचर पर कहा, ‘भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन बेहद महत्वपूर्ण है। इंडियन ऑयल-एलएंडटी-रिन्यू जॉइंट वेंचर औद्योगिक स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन की सप्लाई के लिए ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स के विकास पर केंद्रित है।’ वहीं, रिन्यू पावर के चेयरमैन और सीईओ सुमंत सिन्हा ने कहा, ‘इस प्रस्तावित जॉइंट वेंचर की टाइमिंग महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हाल ही में घोषित भारत सरकार की ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी को सपोर्ट करती है।’ बता दें कि केंद्र सरकार ने फरवरी में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी अधिसूचित की थी।
कैसे बनती है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन एक जीरो कार्बन ईंधन होती है, जो अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनाई जाती है। इसे बनाने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिए पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग-अलग किया जाता है। हालांकि, हाइड्रोजन के उत्पादन में कोयले और प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है, जो काफी प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन अगर हाइड्रोजन के उत्पादन में अक्षय ऊर्जा का उपयोग हो और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं हो, तो यह ग्रीन हाइड्रोजन कहलाती है।
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तीनों कंपनियों की विशेषज्ञता आएगी काम
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इस समझौते पर इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैध ने कहा, ‘हम कार्बन उत्सर्जन को कम करने कि दिशा में देश की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ग्रीन हाइड्रोजन में देश की क्षमता बढ़ाकर ऐसा करना चाहते हैं।’ वहीं, एलएंडटी के सीईओ और एमडी एसएन सुब्रमण्यम ने इस जॉइंट वेंचर पर कहा, ‘भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन बेहद महत्वपूर्ण है। इंडियन ऑयल-एलएंडटी-रिन्यू जॉइंट वेंचर औद्योगिक स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन की सप्लाई के लिए ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स के विकास पर केंद्रित है।’ वहीं, रिन्यू पावर के चेयरमैन और सीईओ सुमंत सिन्हा ने कहा, ‘इस प्रस्तावित जॉइंट वेंचर की टाइमिंग महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हाल ही में घोषित भारत सरकार की ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी को सपोर्ट करती है।’ बता दें कि केंद्र सरकार ने फरवरी में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी अधिसूचित की थी।
कैसे बनती है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन एक जीरो कार्बन ईंधन होती है, जो अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनाई जाती है। इसे बनाने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिए पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग-अलग किया जाता है। हालांकि, हाइड्रोजन के उत्पादन में कोयले और प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है, जो काफी प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन अगर हाइड्रोजन के उत्पादन में अक्षय ऊर्जा का उपयोग हो और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं हो, तो यह ग्रीन हाइड्रोजन कहलाती है।
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