देश भर में सूर्य सिद्धांत से बनेंगे पंचांग: BHU के एकरूपता मत पर 87 फीसदी ज्योतिषाचार्य सहमत,300 ज्योतिषाचार्य बोले-अब नही होगी व्रत-पर्व की अलग-अलग तिथियां – Varanasi News

5
देश भर में सूर्य सिद्धांत से बनेंगे पंचांग:  BHU के एकरूपता मत पर 87 फीसदी ज्योतिषाचार्य सहमत,300 ज्योतिषाचार्य बोले-अब नही होगी व्रत-पर्व की अलग-अलग तिथियां – Varanasi News

देश भर में सूर्य सिद्धांत से बनेंगे पंचांग: BHU के एकरूपता मत पर 87 फीसदी ज्योतिषाचार्य सहमत,300 ज्योतिषाचार्य बोले-अब नही होगी व्रत-पर्व की अलग-अलग तिथियां – Varanasi News

अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में पंचांगों की एकरूपता को लेकर बीएचयू द्वारा प्रस्तावित पहल को दुनिया ने मान लिया है। सम्मेलन में आए 87 फीसदी पंचांगकारों और ज्योतिषाचार्याें ने भारत की परंपरागत विधि सूर्य सिद्धांत से पंचांग तैयार करने पर सहमति दे दी ह

.

बीएचयू में सम्मेलन के समापन पर कार्यक्रम शत्रुघ्न पाण्डेय ने बताया कि पंचांग की शास्त्रीय व्यवस्था (सबीज-निर्बीज) में कुल 63 विद्वानों ने अपने मत दिए। 55 लोगों ने निर्बीज सूर्य से पंचांग बनाने की वकालत की। सात लोगों ने सबीज सूर्य और चंद्रमा और एक ने संदिग्धता प्रदर्शित की। अब ये मान लिया गया है कि 87 फीसदी सिद्धांतादि मत का समर्थन कर अपनी सहमति दे दी है।

सभी ज्योतिषाचार्यो ने कहा – सूर्य सिद्धांत से बनेंगे पंचांग।

गुण मिलान में नाड़ी कूट को सर्वोच्च

सम्मेलन के तीसरे दिन लखनऊ के डाॅ. अनिरुद्ध शुक्ल ने बताया कि कुंडली मिलाते हुए गुण मिलान में नाड़ी कूट को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। अगर नाड़ी कूट प्रतिकूल है तो 28 गुणों का मिलान भी अशुभ माना जाएगा। गुण मिलान में अधिकतम 36 गुण होते हैं। अगर भकूट और नाड़ी कूट अनुकूल है तो 31 से 36 गुणों का संयोजन सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। 21 से 30 गुण बहुत अच्छे, 17 से 20 मध्यम और 0-16 गुण अशुभ होंगे।

आधुनिक ज्योतिषी आड़ में शास्त्र का दुरुपयोग

तिरुपति के डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव ने कहा कि दक्षिण भारत में कुंडली मिलान को दसकूट मिलान भी कहा जाता है। इसमें 10 अलग-अलग पहलुओं पर विचार किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग गुण दिए जाते हैं। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि जीवन में परेशानियों का आना स्वाभाविक है। इनके निवारण के लिए हम ज्योतिषियों की शरण में जाते हैं, लेकिन आज के इस व्यवसायिक माहौल में तथाकथित ज्योतिषी आड़ में शास्त्र का दुरुपयोग कर रहे। समाज को ऐसे नामधारी ज्योतिषियों से बचना चाहिए जिनका एकमात्र लक्ष्य आर्थिक दोहन है। ग्रह का आशीर्वाद मिलना बहुत जरूरी है।

विवाह टूटने का कारण गुणों का मिलान न होना।

विवाह टूटने का कारण वर और वधु का नाड़ी दोष

जम्मू-कश्मीर के डॉ. विक्की शर्मी ने कहा कि कुंडली मिलान के माध्यम से ये पता चलता है की किस स्तर तक ग्रह वर और वधु को आशीर्वाद दे रहे है और कौन से ज्योतिष परिहार करने से विवाह में खुशियां आ सकती है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के डाॅ. रंजीत दुबे ने बताया कि जब भी विवाह की बात आए तो ये जरूरी है कि ग्रह अपना आशीर्वाद दे ताकि वैवाहिक जीवन में लड़का और लड़की के बीच सामंजस्य रहे। उत्तराखंड के डाॅ. नंदन तिवारी ने कहा कि एक सफल गृहस्थ जीवन के लिए पति-पत्नी के बीच गुणों का मिलना बहुत जरुरी है।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News