देर शाम तक रंगों की दुकान में रही भीड़, कई तरह के मुखौटे – Banka News h3>
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होली का त्योहार आते ही प्रखंड क्षेत्र में फगुआ गीतों की धूम मच गई है। ढोलक, मंजीरे और झाल की थाप पर गांवों में होलिया की टोलियां घर-घर जाकर फगुआ गीत सुना रही है। बरौनी गांव समेत कई इलाकों में लोग दिन-रात होली की मस्ती में झूम रहे हैं। हालांकि, आधुनिक दौर में यह परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। कुछ गांवों को छोड़ दें, तो अब चौपालें नहीं सजती है। ढोल-झाल की गूंज भी पहले जैसी नहीं रही। सदियों पुरानी यह परंपरा बरौनी, उपरामा, पुनसिया, सोहानी, परघड़ी, खैरा और रानीटीकर आदि गांवों में दो-दो दिन तक धूमधाम से होली मनाने की रही है। इन गांवों में एक माह पहले से ही फगुआ गीतों की गूंज सुनाई देने लगती है। होली के दिन यहां परंपरा के अनुसार ढोल बाजे के साथ सभी के घरों पर जाकर होली गीत गाते हैं। इस दौरान घर वाले द्वारा पुआ पूरी का खिलाया जाता है।
NEWS4SOCIALन्यूज| बांका भाईचारे एवं रंगों का त्योहार का दो दिवसीय उत्सव गुरुवार से शुरू हो गया। गुरुवार की दोपहर तक बलारपुर गांव में धूरखेल पर जमकर कीचड़ की होली खेली गई। इसमें युवा वर्ग सबसे अधिक सक्रिय रहे। सुबह होते ही उनकी फौज गांव की गलियों में टोली बनाने लगी। फिर आने जाने वालों की घेराबंदी कर उन्हें जमकर धूल लगाया गया। आने जाने वालों को बच्चों ने कीचड़ और धूल देकर पुरानी परंपरा को जीवंत बनाए रखा। वहीं गांव में होली के गीत से सभी लोग झूम उठे। नतीजा सवारी वाहनों को भी इस कारण परेशानी उठानी पड़ी। सड़कों से गुजरने वाले वाहनों को बच्चों ने कीचड़ से लथपथ कर खूब आनंद लिया। इस अवसर पर घरों में कई प्रकार के व्यंजन बना और लोगों ने इसका जमकर स्वाद लिया। इधर होली को लेकर दोपहर बाद बाजार की रौनक भी बड़ी रही। वहीं दोपहर बाद ही ढोल मजीरा के साथ फाग गीतों से पूरा इलाका सराबोर हो गया। हालांकि प्रशासन की सख्ती के कारण इस बार डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध है। लोगों ने पारंपरिक वादन ढोल झाल करताल से फगुवा गीत का लुप्त उठाते दिखे।
होली का पर्व को लेकर बाजार के सभी चौक-चौराहों पर रंगों की दुकानों पर देर संध्या तक भीड़ रही। शहर से लेकर गांव तक के दुकानों में विभिन्न प्रकार के रंग व अबीर की बिक्री हुई। शहर के शिवाजी चौक, गांधी चौक सहित अन्य जगहों पर अस्थायी दुकानों में रंग बिरंगे पिचकारी और मुखौटे बिके, जहां एक से बढ़कर एक पिचकारी सजा हुआ था, जो बच्चों को आकर्षित कर रहा था। इस साल होली में हर्बल अबीर की डिमांड कुछ अधिक ही देखने को मिल रही है। यही कारण है कि दुकानदार इस साल हर्बल अबीर का स्टॉक करके रखे हुए थे। बच्चों के लिए पिचकारी 50 रुपये से लेकर 700 रुपये तक और मुखौटा 50 से लेकर 200 रुपये तक बिकी है।
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होली का त्योहार आते ही प्रखंड क्षेत्र में फगुआ गीतों की धूम मच गई है। ढोलक, मंजीरे और झाल की थाप पर गांवों में होलिया की टोलियां घर-घर जाकर फगुआ गीत सुना रही है। बरौनी गांव समेत कई इलाकों में लोग दिन-रात होली की मस्ती में झूम रहे हैं। हालांकि, आधुनिक दौर में यह परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। कुछ गांवों को छोड़ दें, तो अब चौपालें नहीं सजती है। ढोल-झाल की गूंज भी पहले जैसी नहीं रही। सदियों पुरानी यह परंपरा बरौनी, उपरामा, पुनसिया, सोहानी, परघड़ी, खैरा और रानीटीकर आदि गांवों में दो-दो दिन तक धूमधाम से होली मनाने की रही है। इन गांवों में एक माह पहले से ही फगुआ गीतों की गूंज सुनाई देने लगती है। होली के दिन यहां परंपरा के अनुसार ढोल बाजे के साथ सभी के घरों पर जाकर होली गीत गाते हैं। इस दौरान घर वाले द्वारा पुआ पूरी का खिलाया जाता है।
NEWS4SOCIALन्यूज| बांका भाईचारे एवं रंगों का त्योहार का दो दिवसीय उत्सव गुरुवार से शुरू हो गया। गुरुवार की दोपहर तक बलारपुर गांव में धूरखेल पर जमकर कीचड़ की होली खेली गई। इसमें युवा वर्ग सबसे अधिक सक्रिय रहे। सुबह होते ही उनकी फौज गांव की गलियों में टोली बनाने लगी। फिर आने जाने वालों की घेराबंदी कर उन्हें जमकर धूल लगाया गया। आने जाने वालों को बच्चों ने कीचड़ और धूल देकर पुरानी परंपरा को जीवंत बनाए रखा। वहीं गांव में होली के गीत से सभी लोग झूम उठे। नतीजा सवारी वाहनों को भी इस कारण परेशानी उठानी पड़ी। सड़कों से गुजरने वाले वाहनों को बच्चों ने कीचड़ से लथपथ कर खूब आनंद लिया। इस अवसर पर घरों में कई प्रकार के व्यंजन बना और लोगों ने इसका जमकर स्वाद लिया। इधर होली को लेकर दोपहर बाद बाजार की रौनक भी बड़ी रही। वहीं दोपहर बाद ही ढोल मजीरा के साथ फाग गीतों से पूरा इलाका सराबोर हो गया। हालांकि प्रशासन की सख्ती के कारण इस बार डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध है। लोगों ने पारंपरिक वादन ढोल झाल करताल से फगुवा गीत का लुप्त उठाते दिखे।
होली का पर्व को लेकर बाजार के सभी चौक-चौराहों पर रंगों की दुकानों पर देर संध्या तक भीड़ रही। शहर से लेकर गांव तक के दुकानों में विभिन्न प्रकार के रंग व अबीर की बिक्री हुई। शहर के शिवाजी चौक, गांधी चौक सहित अन्य जगहों पर अस्थायी दुकानों में रंग बिरंगे पिचकारी और मुखौटे बिके, जहां एक से बढ़कर एक पिचकारी सजा हुआ था, जो बच्चों को आकर्षित कर रहा था। इस साल होली में हर्बल अबीर की डिमांड कुछ अधिक ही देखने को मिल रही है। यही कारण है कि दुकानदार इस साल हर्बल अबीर का स्टॉक करके रखे हुए थे। बच्चों के लिए पिचकारी 50 रुपये से लेकर 700 रुपये तक और मुखौटा 50 से लेकर 200 रुपये तक बिकी है।