दुश्मन के दांत खट्टे करेगा ‘वजीर’, स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी लॉन्च

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दुश्मन के दांत खट्टे करेगा ‘वजीर’, स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी लॉन्च


मुंबई: भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने स्कॉर्पीन (Scorpene) श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वजीर’ (Submarine Vagir) का दक्षिण मुंबई स्थित मझगांव गोदी (Mazgaon Dock) में जलावतरण किया गया. स्कॉर्पीन दुश्मन के रडार से बचने और आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस है. रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक (Shripad Naik) की पत्नी विजया ने वीडियो कंफ्रेंस के जरिये पनडुब्बी का जलावतरण किया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नाइक गोवा से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये शामिल हुए.

डीसीएनएस ने की है डिजाइन
‘वजीर’ पनडुब्बी (Submarine Vagir) भारत (India) में बन रहीं छह कालवेरी श्रेणी की पनडुब्बियों (Kalvari Class Submarin) का हिस्सा है. इस पनडुब्बी को फ्रांसीसी समुद्री रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस (DCNS) ने डिजाइन किया है और भारतीय नौसेना (India Nacy) की परियोजना-75 के तहत इनका निर्माण हुआ है. नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि ये पनडुब्बियां सतह पर, पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर होने के साथ खुफिया जानकारी जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में भी सक्षम हैं.

अब नहीं बच सकता दुश्मन
मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (MDL) ने बताया, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण एमडीएल के लिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह आसान काम भी कम स्थान में पूरा करने की वजह से चुनौतीपूर्ण बन गया था. रडार से बचने का गुण सुनिश्चित करने के लिए पनडुब्बी में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जैसे आधुनिक ध्वनि को सोखने वाली तकनीक, कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने में सक्षम आकार आदि. इसमें दुश्मन पर सटीक निर्देशित हथियारों से हमले की भी क्षमता है.

पानी के अंदर से छोड़ेगी मिसाइल
यह पनडुब्बी टॉरपीडो से हमला करने के साथ और ट्यूब से लांच की जाने वाली पोत रोधी मिसाइलों को पानी के अंदर और सतह से छोड़ सकती है. एमडीएल के मुताबिक पानी के भीतर दुश्मन से छिपने की क्षमता इसकी विशेषता है जो पूरी तरह से सुरक्षित है और अन्य पनडुब्बियों के मुकाबले इनका कोई तोड़ नहीं है. इस पनडुब्बी को नौसेना की सभी तरह की जरूरतों और अभियानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

वेला और वागशीर भी तैयार
वजीर के जलावतरण से भारत की पनडुब्बी निर्माण करने वाले देशों में पैठ और मजबूत हुई है. साथ ही यह सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के अभियान को प्रोत्साहित करता है. एमडीएल ने बताया कि परियोजना-75 के तहत निर्मित दो पनडुब्बियों कालवेरी और खंडेरी को भी भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. तीसरी पनडुब्बी करंज समुद्री परीक्षण के आखिरी दौर में है जबकि चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वेला’ ने समुद्री परीक्षण की शुरुआत कर दी है. वहीं छठी पनडुब्बी ‘वागशीर’ जलावतरण के लिए तैयार की जा रही है.

पहली ‘वजीर’ 1973 में की गई शामिल
बता दें, इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर (Indian ocean) की शिकारी मछली ‘वजीर’ के नाम पर रखा गया है. पहली ‘वजीर’ पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी जिसे भारतीय नौसेना में तीन दिसंबर 1973 को शामिल किया गया था और सात जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद सेवामुक्त किया गया था.

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