दुर्गा पूजा..

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दुर्गा पूजा..

दुर्गा पूजा..

तेघड़ा, निज संवाददाता।

तेघड़ा चैती दुर्गा मंदिर में माता के पांचवें रुप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना व जयकारों से सम्पूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा। मां की पूजा व सुबह एवं संध्या में महिलाओं द्वारा धूप दीप जलाने से वातावरण देवी की भक्ति में लीन हो जाते हैं। संध्याकाल में दीप जलाने के लिए लड़कियों व महिलाओं की भारी भीड़ लग जाती है। पं. ललन निष्ठापूर्वक दुर्गा सप्तशती का पाठ व देवी की पूजा-अर्चना के बाद आरती उतारते हैं। चैती दुर्गा मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष मदन चौधरी तथा सचिव योगेन्द्र पौद्दार ने बताया कि 9 अप्रैल को पूजा अर्चना के बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ माता का पट खुलेगा। उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल को विसर्जन किया जाएगा। प्रखण्ड के चिल्हाय पंचायत के अम्बा गांव में भी चैती दुर्गा मेला का आयोजन किया जाता है। अधारपुर त्रिमुहानी मंदिर में भी देवी पाठ किया जा रहा है।

स्कंदमाता की पूजा आराधना कर भक्तों ने घर परिवार के लिए की सुख शांति की प्रार्थना

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गढ़पुरा। निज संवाददाता

वासंतिक नवरात्र के पांचवे दिन घर परिवार की सुख शांति के लिए भक्तों ने मां के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की। विभिन्न देवी मंदिरों तथा घरों में नवरात्रि की पूजा में भक्त लीन हैं। कोरैय चैती दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित त्रिदेव झा ने बताया कि भगवान स्कंद को ‘कुमार कार्तिकेय’ के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन काल में जब देवासुर संग्राम हुआ तो वीरता के कारण इन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया था। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा के बारे में बताया गया है। मां दुर्गा स्कंद की माता हैं। इसके कारण दुर्गाजी को स्कंदमाता भी कहा जाता है। इनकी महिमा के कारण नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से देवी मोक्ष के द्वार खोलती है और भक्तों को सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। इधर सोनमा चैती दुर्गा मंदिर में प्रतिमा का निर्माण तथा रंग रोगन का कार्य अंतिम चरण में है। पूजा समिति द्वारा इस बार तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को महासप्तमी की रात निशा पूजा बाद माता के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे।

पांचवें दिन हुई मां दुर्गा के स्कन्धमाता स्वरूप की पूजा

खोदावंदपुर। वासंतिक नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को मां दुर्गा के स्कन्धमाता स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। मेघौल व बाड़ा हाट परिसर स्थित दुर्गा मन्दिरों में पण्डितों द्वारा विधि-विधान के साथ पूजन कर दुर्गाशप्तशती का पाठ किया गया। दुर्गा मन्दिरों में दुर्गा शप्तश्लोकों के स्वर से वातावरण भक्तिमय है। बाड़ा दुर्गा मंदिर के साधक पण्डित बालेश्वर झा ने दुर्गा पाठ की महिमा बताते हुए बताया कि मां दुर्गा की पूजा अर्चना से समस्त रोगों का नाश हो जाता है। प्राणियों का कल्याण होता है। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा के शांति स्वरूपा स्वरूप की पूजा अर्चना से सारी बाधाएं विनष्ट हो जाती हैं।

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