दीपक बॉक्सर ने प्लेन में किया ऐसा ड्रामा कि दिल्ली पुलिस के पसीने छूट गए, पढ़िए पूरी कहानी
एक बार लगा कि ऑपरेशन फेल हो गया
दरअसल, खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली पुलिस की टीम मेक्सिको पहुंची और बॉक्सर को हिरासत में लिया। लेकिन बॉक्सर की टीम कानूनों से अच्छी तरह वाकिफ थी। जब उसे दिल्ली लाने के लिए कैनकन एयरपोर्ट लाया गया तो उसने वहां हंगामा शुरू कर दिया। ये सब देख एक बार पुलिस को भी पूरा ऑपरेशन फेल होता दिखा। प्रत्यर्पण नियमों का हवाला देते हुए एयरलाइन अधिकारियों ने उसे पुलिस के साथ भेजने से इनकार कर दिया। इसके बाद 72 घंटे तक पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने कई चुनौतियों का सामना किया। गनीमत रही कि अमेरिकी एजेंसी FBI ने उनकी मदद की और बॉक्सर को मेक्सिको से बाहर लेकर जाया गया।
मार्च में बना था ऑपरेशन का प्लान
गोगी गैंग के कुख्यात गैंगस्टर बॉक्सर को आखिरकार बुधवार सुबह 5 बजे इस्तांबुल ले जाया गया और यहां से उसे दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट लेकर आया गया, जहां स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार कर लिया। स्पेशल कमिश्नर एचसीएस धालीवाल ने बताया कि उसे पूछताछ के लिए आठ दिन की रिमांड पर लिया गया है। ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि उसे हिरासत में लेना और सुरक्षित मेक्सिको से बाहर लेकर आना एक बड़ा टास्क था। मार्च की शुरुआत में दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एफबीआई एजेंटों के साथ खुफिया मीटिंग की गई थी, जहां भगोड़े गैंगस्टर की खुफिया जानकारी एजेंसियों ने शेयर की। ये ऑपरेशन मेक्सिको में स्पेशल सेल द्वारा बॉक्सर की ट्रैकिंग कर पूरा हो पाया। जब बॉक्सर की लोकेशन की पुष्टि हो गई, तो एजेसिंयो ने बॉक्सर को पकड़ने के लिए एफबीआई से मदद मांगी।
जैसे ही ऑपरेशन शुरू हुआ पुलिस ने 16 मार्च को एक नई FIR दर्ज की और अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया। बॉक्सर के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया और इंटरपोल के हस्तक्षेप के लिए सीबीआई ने ग्रीन और ब्लू नोटिस जारी कर दिए। पुलिस ने शुरुआत में विदेशी समकक्षों के साथ बातचीत कर बॉक्सर को प्रत्यपर्ण की कोशिश की। लेकिन इसमें 12 घंटे से ज्यादा समय पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती था।
अमेरिका भागने वाला था बॉक्सर
इसके बाद यह फैसला लिया गया कि टीम के दो अधिकारियों को ऑन-ग्राउंड ऑपरेशन और लॉजिस्टिक्स संभालने के लिए मेक्सिको भेजा जाएगा। पुलिस के लिए भी समय कम होता जा रहा था क्योंकि अगर बॉक्सर अमेरिका भागने की फिराक में था। अगर वो अमेरिका भाग जाता तो उस तक पहुंचता बेहद मुश्किल हो जाता। खुफिया एजेंसी और गृह मंत्रालय के परामर्श से स्पेशल सीपी धालीवाल ने इंस्पेक्टर स्तर के दो अधिकारियों गगन भास्कर और मनीष यादव को मेक्सिको जाने की मंजूरी दी।
पुलिस और खुफिया एजेंसी ने बना रखा था प्लान बी
एक सूत्र ने बताया कि इन दोनों पुलिस अधिकारियों के ऑफिशियल पासपोर्ट विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे। क्योंकि इन पासपोर्ट पर मेक्सिको जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं थी, उन्हें वीजा ऑन अराइवल मिलना था। अगर इस दौरान बॉक्सर किसी तरह अमेरिका जाने में सफल भी हो जाता तो भी पुलिस तैयार थी। सूत्र ने बताया कि किसी भी इमरजेंसी के लिए विदेश मंत्रालय ने अमेरिका जाने के लिए ट्रांजिट वीजा नोट पहले ही जारी कर दिया था। स्पेशल सेल की टीम ने मेक्सिको पहुंचकर बॉक्सर के मोबाइल की लोकेशन ट्रैक किया, जिससे पता चला कि वो कैनकन एयरपोर्ट के पास था। इसके बाद टीम ने उसे मेरिडा क्षेत्र से हिरासत में लिया।
पहले से अलर्ट थी पुलिस
बॉक्सर को हिरासत में लेने के बाद असली चुनौती शुरू हुई। दरअसल बॉक्सर की टीम कानूनी नियमों से अच्छी तरह वाकिफ थी। वो बॉक्सर को वहां शरण दिलाने की कोशिश कर रही थी। इसमें भारत, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में उसके सहयोगी उसकी मदद कर रहे थे। पुलिस और खुफिया एजेंसी की टीम ने बॉक्सर को युकाटन डिटेंशन सेंटर में रखा। इसके बाद सोमवार को उसे एयरपोर्ट ले जाया गया। अधिकारियों ने तय किया कि उसे तुर्की ले जाया जाएगा, जहां एक बैकअप टीम भी मौजूद रहेगी। पुलिस पहले से अलर्ट थी, क्योंकि उन्हें शक था कि बॉक्सर हंगामा खड़ा कर सकता है और मेक्सिको में हुए ऑपरेशन से जान को खतरा बता सकता है।
पुलिस के सामने एक और चुनौती ये थी कि वो कोई सामान्य अपराधी नहीं था। वो कुख्यात गैंगस्टर था, जिसने शुरुआती दिनों में मुक्केबाजी से अपना करियर शुरू किया। वो नेशनल लेवल का बॉक्सिंग चैंपियन रह चुका था। इसे ध्यान में रखकर पहले ही टीमों को आगाह किया था कि उसका सामना कर रहे पुलिसकर्मियों को इसी बात को ध्यान में रखकर चुना जाए।