दिल्ली में यहां देख सकते हैं चंद्रयान-3 की लाइव लैंडिंग, एक्सपर्ट्स बताएंगे चांद की खासियत h3>
23 को क्या है खास
नेहरू प्लैनेटेरियम की प्रोग्राम मैनेजर प्रेरणा चंद्रा बताती हैं, 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरेगा। स्पेसक्राफ्ट का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और फिर इससे रोवर प्रज्ञान, जो कि एक रोबोट है, चांद की सतह पर उतरकर चांद की मैपिंग करेगा। यह 500 मीटर से 1 किलोमीटर चलेगा। इसे बग्गी का रूप दिया गया है और इसमें 6 पहिए हैं। 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 को लॉन्च किया गया था। चांद की कक्षा में पहुंचकर इसने चांद की तस्वीर भी भेजी थी। प्रेरणा कहती हैं, लैंडर और रोवर दोनों ही साइंस इंस्ट्रुमेंट्स से लैस हैं, इसे चंद्रयान 2 के मुकाबले अपग्रेड भी किया गया है। चांद की सतह, क्रेटर्स (गड्ढे) का जायजा लेंगे, वहां के खनिज, पानी, बर्फ और भविष्य के ऊर्जा स्रोत की संभावनाओं के साथ कई महत्वपूर्ण अध्ययन करेगा।
तारामंडल में क्या खास
नेहरू प्लैनेटोरियम के ऑफिशिएटिंग डायरेक्टर अनुराग अरोड़ा ने बताया, हम 23 अगस्त को सुबह 9:30 बजे चांद पर एक खास गेस्ट शो रख रहे हैं, जिसमें मून के हर जानकारी के साथ-साथ स्पेसक्राफ्ट के इतिहास से लेकर भारत के सभी लूनर मिशन की जानकारी इस वीडियो फिल्म में दी जाएगी। यह 25 मिनट का शो स्काई थिएटर में रखा जाएगा। इस शो को दिनभर पब्लिक के लिए रखा जाएगा। इसके बाद शाम 6:04 मिनट पर इसरो के लिंक से चंद्रयान 3 की लैंडिंग का वेबकास्ट दिखाया जाएगा। यह 250 कैपिसिटी वाले स्काई थिएटर के अलावा तारामंडल गैलरी में दो और स्क्रीन में दिखाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि हमें उम्मीद है कि हजार लोग यहां पहुंचेंगे। तीनों जगह तारामंडल के एक्सपर्ट दर्शकों के सवाल भी लेंगे। इससे पहले यहां स्कूली बच्चों के लिए एक हफ्ते ‘मून कार्निवाल’भी रखा गया था।
साउथ पोल अहम क्यों
धरती से चांद का एक हिस्सा दिखता है और जो नहीं दिखता है उसे साउथ पोल या मून का डार्क साइड भी कहते हैं। नेहरू प्लैनेटेरियम के अधिकारियों का कहना है कि चंद्रयान 3 की यही कोशिश है कि यह इस डार्क साइड में उतरकर इसके छिपे राज को जान सके। इससे पहले चांद पर अमेरिका, चीन, रूस का भी स्पेसक्राफ्ट ने लैंड किया गया है मगर साउथ पोल में अब तक कोई भी स्पेसक्राफ्ट नहीं उतरा है। इसी साउथ पोल में जा रहे रूस के लूना-25 स्पेसक्राफ्ट का सफर रविवार को खत्म हुआ, जब यह क्रैश हो गया।
2019 में भारत ने अपने लूनर मिशन के साथ चांद पर चंद्रयान 2 भेजा था मगर ऑर्बिट में पहुंचने के बाद लैंडर अलग भी हुआ, मगर फिर लैंडर के साथ संपर्क टूट गया। सोमवार को इसरो ने बताया कि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से चंद्रयान 3 के लैंडर का संवाद भी हुआ। 2009 में चंद्रयान 2 भेजा गया था, जिसका संपर्क टूट गया।