दिल्ली में चाइनीज मांझे से हुई मौतों की तह तक जाना नहीं आसान, 8 केसों में एक भी नहीं हुआ सॉल्व

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दिल्ली में चाइनीज मांझे से हुई मौतों की तह तक जाना नहीं आसान, 8 केसों में एक भी नहीं हुआ सॉल्व

दिल्ली में चाइनीज मांझे से हुई मौतों की तह तक जाना नहीं आसान, 8 केसों में एक भी नहीं हुआ सॉल्व

नई दिल्ली : चाइनीज मांझे से अब तक दिल्ली में आठ मौतें दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। ये केस अगस्त 2019 से अगस्त 2022 तक के हैं। इन सभी केसों में पुलिस अब तक किसी भी केस को नहीं सुलझा सकी है। यही वजह है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक हुई चार मौतों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली पुलिस को अदालत ने छह हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।

तमाम बिक्री के बावजूद होती रही बिक्री
चाइनीज मांझा जानलेवा होने से एनजीटी ने इस पर 2017 में बैन लगा दिया। लेकिन तमाम दावों के बाद इसकी बिक्री दिल्ली में होती रही। दिल्ली पुलिस ने पिछले साल जुलाई-अगस्त में हाई कोर्ट में दाखिल अपनी स्टेटस रिपोर्ट में माना था कि वो जुलाई 2022 तक दर्ज हुए छह मौत और आठ जख्मी होने के कुल 14 केस में से किसी भी मामले को सॉल्व नहीं कर सकी। दस केसों में तो उसने अदालत में अनट्रेस रिपोर्ट भी दाखिल कर दी। इस रिपोर्ट को दाखिल करने के बाद यमुनापार में चाइनीज मांझे से दो और मौतें हुई थीं, वो भी अनसुलझे ही रहे।

पुलिस अफसरों ने बताया कि चाइनीज मांझे से हुई मौतों या जख्मी होने का खुलासा करना बहुत मुश्किल काम है। इन मामलों में अब डेढ़ साल से छह महीने तक का समय बीत चुका है। कई किलोमीटर दूर से पतंग उड़ती है, जिसकी डोर की चपेट में आने से टू-वीलर सवार शिकार बनते हैं। पुलिस के पहुंचने तक डोर का ओर-छोर ही गायब हो जाता है। आरोपी पतंगबाज डोर को खींच लेते हैं या तोड़ देते हैं। इसलिए इन केसों का खुलासा नहीं हो पाता है और आज तक कोई आरोपी नहीं पकड़ा जा सका है। अनट्रेस रिपोर्ट देना पुलिस की मजबूरी है।

यूपी-एमपी से होता सप्लाई
सरकारी वकील ने हाई कोर्ट में बताया कि दिल्ली में चाइनीज मांझे की बिक्री ऑनलाइन भी हो रही है। सूत्रों ने बताया कि यूपी के बरेली, मेरठ, गाजियाबाद के अलावा मध्य प्रदेश के इंदौर समेत कई जिलों में चाइनीज मांझा बन कर दिल्ली पहुंचता है। पुरानी दिल्ली के लाल कुआं समेत कई इलाकों, सदर, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, गांधी नगर और शाहदरा समेत कई जगह से ये अलग-अलग इलाकों में सप्लाई होता है। दुकानदार इस मांझे को भरोसेमंद कस्टमर को ही बेचते हैं। इसकी बिक्री के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल के मामले भी सामने आए हैं।

एनवायरनमेंट एक्ट पर हो जोर
पिछले साल हाई कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में पुलिस ने बताया था कि 2017 से 31 जुलाई 2022 तक चाइनीज मांझा बेचने या इस्तेमाल करने के 256 केस दर्ज हुए। छह में एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट तो 236 केसों में सरकारी दिशा-निर्देशों की अवहेलना की धारा 188 लगाई। धारा 188 के तहत अधिकतम एक महीने की सजा या 200 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। दिल्ली सरकार के 2017 के नोटिफिकेशन मुताबिक, एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत चाइनीज मांझे की बिक्री, इस्तेमाल या भंडारण पर पांच साल की सजा या पांच लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसलिए हर केस में एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट लगाने की जरूरत है।

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