दिल्ली आबकारी ‘घोटाले’ के आरोपी समीर महेंद्रू कभी थे सीबीआई गवाह h3>
(अभिषेक शुक्ला)
नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े मामले में इंडोस्पिरिट कंपनी के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू की भी जांच कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार महेंद्रू 2013 में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए गए दो अधिकारियों के खिलाफ एजेंसी के मुख्य गवाह थे।
सीबीआई के लिए अभियोजन गवाह (पीडब्ल्यू-34) के रूप में महेंद्रू ने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. (डीएसआईआईडीसी) के उन दो अधिकारियों के खिलाफ गवाही दी थी जो हर महीने वितरकों से महंगी शराब की चार-पांच बोतलें विभिन्न फायदों के लिए मांग रहे थे।
उनकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई थी और डीएसआईआईडीसी के दो अधिकारियों – सुशांत मुखर्जी और अमरीक सिंह को 2013 में विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था।
सीबीआई की वही इकाई, जिसने 2008 की प्राथमिकी संख्या 15ए/2008/सीबीआई/एसीबी/एनडी की जांच की थी, अब महेंद्रू और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित 14 अन्य लोगों के खिलाफ रिश्वत के आरोप की जांच कर रही है।
डीएसआईआईडीसी के दो अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर 31 मार्च, 2008 को मामला दर्ज किया गया था। दोनों अधिकारी दिल्ली में वितरकों से रिश्वत और शराब की मांग कर रहे थे।
मुखर्जी डीएसआईआईडीसी से सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन 1 जून, 2006 से 31 दिसंबर, 2007 के बीच उन्हें ‘भारत में निर्मित विदेशी शराब’ (आईएमएफएल) इकाई में विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
अमरीक सिंह सहायक प्रबंधक (प्रवर्तन) थे और मुखर्जी के साथ अपने अच्छे संबंधों के आधार पर दावा करते थे कि वह आईएमएफएल प्रकोष्ठ में मुखर्जी के जरिए कोई भी काम करवा सकते हैं।
टेलीफोन कॉल रिकार्ड, गवाहों और सबूतों के आधार पर सीबीआई ने 2011 में मुखर्जी और सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों के बाद उन्हें दो साल बाद दोषी ठहराया गया।
मुकदमे के दौरान महेंद्रू ने सीबीआई गवाह के रूप में मुखर्जी के खिलाफ अहम गवाही दी और अदालत कक्ष में दोनों आरोपियों की पहचान की थी।
महेंद्रू पर अब विभिन्न मौकों पर सिसोदिया के दो “करीबी सहयोगियों” को 4-5 करोड़ रुपये का अवैध भुगतान करने का आरोप है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि महेंद्रू उन व्यवसायियों में से एक थे जो 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसके कार्यान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं में “सक्रिय रूप से शामिल” थे।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने उस नीति को वापस ले लिया था।
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नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े मामले में इंडोस्पिरिट कंपनी के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू की भी जांच कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार महेंद्रू 2013 में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए गए दो अधिकारियों के खिलाफ एजेंसी के मुख्य गवाह थे।
सीबीआई के लिए अभियोजन गवाह (पीडब्ल्यू-34) के रूप में महेंद्रू ने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. (डीएसआईआईडीसी) के उन दो अधिकारियों के खिलाफ गवाही दी थी जो हर महीने वितरकों से महंगी शराब की चार-पांच बोतलें विभिन्न फायदों के लिए मांग रहे थे।
उनकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई थी और डीएसआईआईडीसी के दो अधिकारियों – सुशांत मुखर्जी और अमरीक सिंह को 2013 में विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था।
सीबीआई की वही इकाई, जिसने 2008 की प्राथमिकी संख्या 15ए/2008/सीबीआई/एसीबी/एनडी की जांच की थी, अब महेंद्रू और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित 14 अन्य लोगों के खिलाफ रिश्वत के आरोप की जांच कर रही है।
डीएसआईआईडीसी के दो अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर 31 मार्च, 2008 को मामला दर्ज किया गया था। दोनों अधिकारी दिल्ली में वितरकों से रिश्वत और शराब की मांग कर रहे थे।
मुखर्जी डीएसआईआईडीसी से सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन 1 जून, 2006 से 31 दिसंबर, 2007 के बीच उन्हें ‘भारत में निर्मित विदेशी शराब’ (आईएमएफएल) इकाई में विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
अमरीक सिंह सहायक प्रबंधक (प्रवर्तन) थे और मुखर्जी के साथ अपने अच्छे संबंधों के आधार पर दावा करते थे कि वह आईएमएफएल प्रकोष्ठ में मुखर्जी के जरिए कोई भी काम करवा सकते हैं।
टेलीफोन कॉल रिकार्ड, गवाहों और सबूतों के आधार पर सीबीआई ने 2011 में मुखर्जी और सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों के बाद उन्हें दो साल बाद दोषी ठहराया गया।
मुकदमे के दौरान महेंद्रू ने सीबीआई गवाह के रूप में मुखर्जी के खिलाफ अहम गवाही दी और अदालत कक्ष में दोनों आरोपियों की पहचान की थी।
महेंद्रू पर अब विभिन्न मौकों पर सिसोदिया के दो “करीबी सहयोगियों” को 4-5 करोड़ रुपये का अवैध भुगतान करने का आरोप है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि महेंद्रू उन व्यवसायियों में से एक थे जो 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसके कार्यान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं में “सक्रिय रूप से शामिल” थे।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने उस नीति को वापस ले लिया था।
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