दिलजीत दोसांझ की फिल्म अभी नहीं होगी रिलीज: लिखा- कुछ परिस्थितियां हमारे कंट्रोल से परे; डेढ़ साल से अटकी है ‘पंजाब-95’ – Amritsar News h3>
विदेशों में भी रिलीज नहीं होगी अभी रिलीज पंजाब-95।
पंजाबी अभिनेता-गायक दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘पंजाब 95’ अब 7 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रिलीज़ नहीं होगी। ये जानकारी खुद दिलजीत ने अपने प्रशंसकों के साथ सांझा की है। ये फिल्म पंजाब के जिला तरनतारन के रहने वाले मानवाधिका कार्यकर्ता जसवंत सिंह खाल
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दिलीजत दोसांझ ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में साझा किया- हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि ‘पंजाब 95’ फिल्म 7 फरवरी को रिलीज़ नहीं हो पाएगी, कुछ परिस्थितियां हमारे कंट्रोल से परे हैं।
इस फिल्म को पहले से ही भारत में रिलीज नहीं किया जा रहा था। क्योंकि, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्म में 120 कट्स की मांग की थी, लेकिन फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और खुद खालड़ा के परिवार के लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिसके बाद तय हुआ है कि फिल्म भारत के सिनेमाघरों में देखने को नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं, फिल्म का टीजर भी भारत में यू-ट्यूब से हटा दिया गया था।
फिल्म की रिलीज को लेकर दिलजीत दोसांझ लगातार अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर जानकारियां सांझा कर रहे थे।
दिलजीत ने अपनी एल्बम की तारीख भी पोस्टपोन की
इससे पहले दिलजीत दोसांझ ने खुद इंस्टाग्राम पर स्टोरी डाल बताया था कि फिल्म 7 फरवरी को विदेश (ऑस्ट्रेलिया, यूके (यूनाइटेड किंगडम), कनाडा और अमेरिका) में रिलीज किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए खद दिलजीत ने फिल्म के रिलीज डेट के बारे में बताया है। पोस्ट में दिलजीत ने लिखा- फुल मूवी, नो कट्स। दिलजीत की पोस्ट से साफ था कि यह फिल्म अब बिना कट्स के ही रिलीज होने वाली है।
फिल्म की रिलीज को देखते हुए दिलजीत दोसांझ ने अपनी नई रिलीज होने वाली म्यूजिक एल्बम की तारीख को भी आगे बढ़ा दिया था। दिलजीत ने हाल ही में दिल लूमिनाटी टूर निकालकर देशभर में लाइव कॉन्सर्ट किए थे। इसके बाद 1 जनवरी को उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। PM मोदी को दिलजीत ने सैल्यूट किया था तो PM ने भी सत श्री अकाल कहकर दोसांझ का स्वागत किया था।
पीएम से मुलाकात के समय दिलजीत दोसांझ।
सेंसर बोर्ड ने जसवंत खालड़ा का नाम बदल कर दिखाने को कहा
- सेंसर बोर्ड ने फिल्ममेकर्स को फिल्म के उन सभी सीन में बदलाव करने के आदेश दिए थे, जहां पंजाब और उसके जिले तरनतारन साहिब (Tarn Taran) को मेंशन किया गया है।
- फिल्म में दिखाए गए कनाडा और यूके के रिफरेंस को हटाने की भी मांग की थी।
- फिल्म का टाइटल पंजाब 95 रखा गया है। साल 1995 में जसवंत सिंह खालड़ा लापता हुए थे, ऐसे में सेंसर बोर्ड की कमेटी ने मांग रखी थी की इस टाइटल में बदलाव किया जाए। इससे लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
- कमेटी की मांग थी कि फिल्म के मुख्य किरदार जसवंत सिंह खालड़ा का नाम भी बदलकर दिखाया जाए।
- फिल्म से गुरबानी के सीन हटाए जाएं।
- जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा।
4 साल पहले परिवार ने एप्रूव की थी स्क्रिप्ट
बीते साल जब इस फिल्म की रिलीज को रोका गया तो जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा ने सेंसर बोर्ड की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनके पति के जीवन पर बनी एक सच्ची बायोपिक है, जिसे उनके परिवार की सहमति से बनाया गया और इसे बिना किसी कट के रिलीज किया जाना चाहिए।
परमजीत कौर खालड़ा ने यह भी बताया था कि लगभग 4 साल पहले उनके परिवार ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़कर ही निर्देशक हनी त्रेहन को फिल्म बनाने की अनुमति दी थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दिलजीत दोसांझ को जसवंत सिंह खालड़ा की भूमिका निभाने के लिए चुना गया था और इस चयन से उनका परिवार पूरी तरह संतुष्ट है।
जसवंत सिंह खालड़ा।
पंजाब के काले दौर में फर्जी मुठभेड़ की कहानी पर आधारित
जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने खुलासा किया था कि उस दौर में हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया गया और फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया। साथ ही जसवंत ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया था कि मुठभेड़ में मारे गए सिख युवाओं के शवों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
श्मशान घाटों खुद गए थे खालड़ा
खालड़ा ने पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही इन गुमशुदगी और हत्याओं को उजागर किया था। उन्होंने उस समय में अमृतसर के श्मशान घाटों का दौरा कर यह जानकारी जुटाई कि वहां 6,000 से अधिक शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया गया था। यह जानकारी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी साझा की थी, जिससे भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर कई सवाल खड़े हो गए थे।
परिवार का आरोप- जान देकर इंसाफ के लिए लड़े
खालड़ा को सिखों के हकों के लिए लड़ने का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था। परिवार का आरोप है कि 6 सितंबर 1995 को पुलिस ने खालड़ा का उनके घर से अपहरण कर लिया। इसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जिसके बाद, जसवंत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दी और कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था।
सीबीआई ने खुद की जांच, 6 पुलिस अधिकारी दोषी पाए गए
सीबीआई जांच के मुताबिक खालड़ा 6 सितंबर 1995 को अपने घर के बाहर गाड़ी धो रहे थे। इसी दौरान कुछ लोग आए और उन्हें अपने साथ लेकर चले गए। बाद में पता चला कि वे लोग पुलिस के अधिकारी थे।
करीब डेढ़ महीने बाद 27 अक्टूबर को जसवंत सिंह खालड़ा का शव सतलुज नदी में मिला। जांच के बाद कोर्ट ने पंजाब पुलिस के 6 अधिकारियों को दोषी पाया और 7 साल की सजा सुनाई। हाई कोर्ट ने 6 में से 4 आरोपियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।