दामाद अरबपति, ससुर चलाते हैं किराने की दुकान, Zerodha फाउंडर नितिन कामथ की कहानी h3>
Who is Zerodha CEO: जिंदगी में सब कुछ पैसा नहीं होता और ना ही पैसे से खुशी खरीदी जा सकती है। अरबपति कारोबारी नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने जब अपने ससुर की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की तो कुछ लोग विश्वास नहीं कर पाएं। जिसके बेटी- दामाद अरबपति हो, वो एक साधारण की परचून की दुकान चला रहा है? लेकिन ये बात बिल्कुल सच है। ऐसे भी लोग है, जिनके लिए ऐशो-आराम, दौलत, शोहतर मायने नहीं रखती। Zerodha के को फाउंडर नितिन कामथ (Nithin Kamath) के ससुर शिवाजी पाटिल ( Shivaji Patil) भी उनमें से एक है। नितिन कामथ ने उनकी फोटो शेयर की है। तस्वीरें उनकी सादगी को बयां कर रही है। कर्नाटक के बेलगाम में एक छोटी की परचून की दुकान चलाने वाले शिवाजी पाटिल कभी इस बात का दिखावा नहीं करते हैं कि उनकी बेटी अरबपति है, उनके दामाद एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन है। हाफ शर्ट, साधारण सी पैंट पहने ससुर की दुकान पर बैठे नितिन कामथ ने जब तस्वीर शेयर की तो लोग भी उनकी सादगी के कायल हो गए। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
करगिल से किराना स्टोर तक
नितिन कामथ ने तस्वीर के साथ अपने ससुर शिवाजी पाटिल के बारे में कुछ बातें लिखीं। शिवाजी पाटिल भारतीय सेना में शामिल थे। करगिल युद्ध में अपने हाथ की उंगलियां गंवाने के बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले ली। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने शहर में एक छोटी सी किराने की दुकान शुरू कर दी। आज वो 70 साल के हो चुके हैं, लेकिन आज भी वो काम में जुटे हुए है। छोटी की ग्रॉसरी स्टोर ने उनकी जीविका चलते हैं। दुकान का सामान लाने के लिए उनके पास एक साधारण सा स्कूटर है। पूरा दिन उनकी इसी दुकान पर बीतता है ।
अरबपति दामाद से नहीं लेते कोई मदद
नितिन कामथ ने ट्वीट में अपने ससुर के डेली रूटीन के लेकर उनकी खूबियों के बारे में बताया। 70 साल की उम्र में भी शिवाजी पाटिल दुकान पर घंटों तक खड़े होकर सामान बेचते हैं। तस्वीर में उनके हाथों की कटी उंगलियों को साफ देखा जा सकता है। दुकान और घर चलाने में भी वो किसी की मदद नहीं लेते। आप सोच कर हैरान रह जाएंगे कि जिनके बेटी और दामाद अरबपति हो, वो रोजमर्रा की जिंदगी में हर दिन जूझते हैं। बेटी-दामाद ने कोई मदद नहीं लेते। उनके लिए एकमात्र साथी उनकी सास हैं, जो घर और दुकान चलाने में उनकी मदद करती हैं। बेहद लो प्रोफाइल की जिदंगी जीते हैं। उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो अरबपति कारोबारी के सास-ससुर हैं।
कमाई का पूरा हिसाब-किताब
नितिन ससुर की तारीफ करते हुए लिखते हैं कि वो हमसे कोई मदद नहीं लेते। जब भी मैं उनसे मुनाफे के बारे में पूछता हूं उनकी आंखें चमक उठती है। वो बताते हैं कि कैसे वो सामानों पर मार्जिन तय करते हैं। चिक्की के एक पैकेट पर 25 रुपये का मुनाफा कमाने वाले शिवाजी छोटी-छोटी खुशियों से संतुष्ठ है। नितिन कामथ अपने ससुर शिवाजी पाटिल के तारीफों के पुल बांधते हुए लिखते हैं कि जिंदगी का असली मतलब उन्होंने मुझे सिखाया है। पैसों से असली खुशी नहीं मिल सकती। उन्होंने लिखा है कि असली आजादी हासिल करने की कुंजी संतुष्ट रहना है, शिवाजी पाटिल उसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
शादी के लिए ऐसे मनाया
नितिन ने लिखा जब 2007 में उनकी बेटी से शादी करने की अनुमति मांगने पहुंचे थे, तो उन्होंने मुझे सरकारी नौकरी करने के लिए काफी मनाया था। उस वक्त में स्ट्रगल कर रहा था। उन्होंने मेरी काबिलियत को पहचान लिया और सीमा के साथ मेरी शादी के लिए मान गए। उन्होंने मुझे जीवन में खुश रहना सिखाया है। आपको बता दें कि जेरोधा देश की सबसे बड़ी ब्रोरेज फर्मों में से एक है। ये टेक्नोलॉजी आधारित स्टॉक ब्रोकिंग का काम करती है। साल 2010 में नितिन कामथ और उनके भाई निखिल कामथ ने इसकी शुरुआत की थी।
ना किसी चीज की चाहत ना शिकायत
नितिन ने बताया कि उनके ससुर शिवाजी पाटिल को ना तो किसी चीज की चाहत है और ना किसी बात की शिकायत है। जब युद्ध में उंगलियां कट गई तब भी उन्होंने शिकायत नहीं की। वो कभी किसी चीज की डिमांड नहीं करते हैं। ना हमसे कोई मदद लेना चाहते हैं। वो कहते हैं कि संतुष्ठ रहना ही सबसे बड़ी खउशी है। मानसिक और शारीरिक रुप से क्रिया होना सबसे बड़ी सफलता है, जिसे पैसों से खरीदा नहीं जा सकता है।
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करगिल से किराना स्टोर तक
नितिन कामथ ने तस्वीर के साथ अपने ससुर शिवाजी पाटिल के बारे में कुछ बातें लिखीं। शिवाजी पाटिल भारतीय सेना में शामिल थे। करगिल युद्ध में अपने हाथ की उंगलियां गंवाने के बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले ली। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने शहर में एक छोटी सी किराने की दुकान शुरू कर दी। आज वो 70 साल के हो चुके हैं, लेकिन आज भी वो काम में जुटे हुए है। छोटी की ग्रॉसरी स्टोर ने उनकी जीविका चलते हैं। दुकान का सामान लाने के लिए उनके पास एक साधारण सा स्कूटर है। पूरा दिन उनकी इसी दुकान पर बीतता है ।
अरबपति दामाद से नहीं लेते कोई मदद
नितिन कामथ ने ट्वीट में अपने ससुर के डेली रूटीन के लेकर उनकी खूबियों के बारे में बताया। 70 साल की उम्र में भी शिवाजी पाटिल दुकान पर घंटों तक खड़े होकर सामान बेचते हैं। तस्वीर में उनके हाथों की कटी उंगलियों को साफ देखा जा सकता है। दुकान और घर चलाने में भी वो किसी की मदद नहीं लेते। आप सोच कर हैरान रह जाएंगे कि जिनके बेटी और दामाद अरबपति हो, वो रोजमर्रा की जिंदगी में हर दिन जूझते हैं। बेटी-दामाद ने कोई मदद नहीं लेते। उनके लिए एकमात्र साथी उनकी सास हैं, जो घर और दुकान चलाने में उनकी मदद करती हैं। बेहद लो प्रोफाइल की जिदंगी जीते हैं। उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो अरबपति कारोबारी के सास-ससुर हैं।
कमाई का पूरा हिसाब-किताब
नितिन ससुर की तारीफ करते हुए लिखते हैं कि वो हमसे कोई मदद नहीं लेते। जब भी मैं उनसे मुनाफे के बारे में पूछता हूं उनकी आंखें चमक उठती है। वो बताते हैं कि कैसे वो सामानों पर मार्जिन तय करते हैं। चिक्की के एक पैकेट पर 25 रुपये का मुनाफा कमाने वाले शिवाजी छोटी-छोटी खुशियों से संतुष्ठ है। नितिन कामथ अपने ससुर शिवाजी पाटिल के तारीफों के पुल बांधते हुए लिखते हैं कि जिंदगी का असली मतलब उन्होंने मुझे सिखाया है। पैसों से असली खुशी नहीं मिल सकती। उन्होंने लिखा है कि असली आजादी हासिल करने की कुंजी संतुष्ट रहना है, शिवाजी पाटिल उसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
शादी के लिए ऐसे मनाया
नितिन ने लिखा जब 2007 में उनकी बेटी से शादी करने की अनुमति मांगने पहुंचे थे, तो उन्होंने मुझे सरकारी नौकरी करने के लिए काफी मनाया था। उस वक्त में स्ट्रगल कर रहा था। उन्होंने मेरी काबिलियत को पहचान लिया और सीमा के साथ मेरी शादी के लिए मान गए। उन्होंने मुझे जीवन में खुश रहना सिखाया है। आपको बता दें कि जेरोधा देश की सबसे बड़ी ब्रोरेज फर्मों में से एक है। ये टेक्नोलॉजी आधारित स्टॉक ब्रोकिंग का काम करती है। साल 2010 में नितिन कामथ और उनके भाई निखिल कामथ ने इसकी शुरुआत की थी।
ना किसी चीज की चाहत ना शिकायत
नितिन ने बताया कि उनके ससुर शिवाजी पाटिल को ना तो किसी चीज की चाहत है और ना किसी बात की शिकायत है। जब युद्ध में उंगलियां कट गई तब भी उन्होंने शिकायत नहीं की। वो कभी किसी चीज की डिमांड नहीं करते हैं। ना हमसे कोई मदद लेना चाहते हैं। वो कहते हैं कि संतुष्ठ रहना ही सबसे बड़ी खउशी है। मानसिक और शारीरिक रुप से क्रिया होना सबसे बड़ी सफलता है, जिसे पैसों से खरीदा नहीं जा सकता है।
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