थानाध्यक्ष से रिवॉल्वर छीनने के 19 आरोपी बरी: पुलिस जीप में लगाई थी आग, 14 साल बाद आया डिहवा कांड का फैसला – Sant Kabir Nagar News h3>
देवीलाल गुप्ता | संतकबीर नगर19 मिनट पहले
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संतकबीरनगर में 14 वर्ष पुराने डिहवा कांड में सभी आरोपी बरी हो गए हैं। अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 19 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। यह मामला मुठही कला गांव से डिहवा बाजार तक एक व्यक्ति को घसीटने का था। इस घटना में आरोपियों ने तत्कालीन थानाध्यक्ष रुदल यादव का पिस्टल छीन लिया था। उन्होंने पुलिस जीप को आग के हवाले कर दिया था। पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल भी किया था।
सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप
इस मामले में कुल 20 लोगों पर आरोप लगे थे। एक आरोपी ददरवार निवासी राजाराम की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई। आरोपियों पर पिस्टल लूटने, सरकारी और निजी वाहनों को जलाने का आरोप था। साथ ही हत्या का प्रयास, पुलिस कर्मियों से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी थे।
इस लोकहर्षक घटना में उप निरीक्षक गोपाल दास पटेल ने अभियोग पंजीकृत कराया था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता नवनीत कुमार पांडेय व रामानुज राय ने बताया कि उप निरीक्षक का कथन था कि दिनांक 21 फरवरी 2011 को वह क्षेत्र भ्रमण में थे। थानाध्यक्ष ने फोन पर सूचना दिया कि मुठही कला में एक्सीडेंट हो गया है। घायल गाड़ी में फंसा है और गाड़ी लौहरैया रोड़ पर भाग रही है। मोटर साइकिल से दुर्घटना ग्रस्त वाहन का पीछा करने लगा। डिहवा बाजार में लोग एकत्र होकर गाड़ी को रोक लिए और चालक व एक अन्य व्यक्ति को लाठी डंडा से मारने लगे।
पिस्टल छीनकर पुलिस जीप में लगाई थी आग
इसी बीच थानाध्यक्ष रुदल यादव पुलिस बल के साथ आ गए। वाहन में बैठे दोनों यात्रियों को निकाल कर वाहन को तोड़फोड़ करके आग लगा दिए और दोनों को जलाने प्रयास करने लगे। तत्कालीन थानाध्यक्ष रुदल यादव ने समझाने का प्रयास किया तो थानाध्यक्ष की नाइन एमएम की पिस्टल छीन लिए और पुलिस जीप में आग दिए। भीड़ द्वारा मारने पीटने से थानाध्यक्ष मरणासन्न होकर गिर गए। अनेक पुलिस कर्मी घायल हो गए। बाजार में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया। प्रकरण में 20 आरोपियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत हुआ था।
विवेचना के उपरांत दो आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किए। अभियोजन पक्ष की तरफ से पांच साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया।
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देवीलाल गुप्ता | संतकबीर नगर19 मिनट पहले
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संतकबीरनगर में 14 वर्ष पुराने डिहवा कांड में सभी आरोपी बरी हो गए हैं। अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 19 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। यह मामला मुठही कला गांव से डिहवा बाजार तक एक व्यक्ति को घसीटने का था। इस घटना में आरोपियों ने तत्कालीन थानाध्यक्ष रुदल यादव का पिस्टल छीन लिया था। उन्होंने पुलिस जीप को आग के हवाले कर दिया था। पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल भी किया था।
सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप
इस मामले में कुल 20 लोगों पर आरोप लगे थे। एक आरोपी ददरवार निवासी राजाराम की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई। आरोपियों पर पिस्टल लूटने, सरकारी और निजी वाहनों को जलाने का आरोप था। साथ ही हत्या का प्रयास, पुलिस कर्मियों से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी थे।
इस लोकहर्षक घटना में उप निरीक्षक गोपाल दास पटेल ने अभियोग पंजीकृत कराया था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता नवनीत कुमार पांडेय व रामानुज राय ने बताया कि उप निरीक्षक का कथन था कि दिनांक 21 फरवरी 2011 को वह क्षेत्र भ्रमण में थे। थानाध्यक्ष ने फोन पर सूचना दिया कि मुठही कला में एक्सीडेंट हो गया है। घायल गाड़ी में फंसा है और गाड़ी लौहरैया रोड़ पर भाग रही है। मोटर साइकिल से दुर्घटना ग्रस्त वाहन का पीछा करने लगा। डिहवा बाजार में लोग एकत्र होकर गाड़ी को रोक लिए और चालक व एक अन्य व्यक्ति को लाठी डंडा से मारने लगे।
पिस्टल छीनकर पुलिस जीप में लगाई थी आग
इसी बीच थानाध्यक्ष रुदल यादव पुलिस बल के साथ आ गए। वाहन में बैठे दोनों यात्रियों को निकाल कर वाहन को तोड़फोड़ करके आग लगा दिए और दोनों को जलाने प्रयास करने लगे। तत्कालीन थानाध्यक्ष रुदल यादव ने समझाने का प्रयास किया तो थानाध्यक्ष की नाइन एमएम की पिस्टल छीन लिए और पुलिस जीप में आग दिए। भीड़ द्वारा मारने पीटने से थानाध्यक्ष मरणासन्न होकर गिर गए। अनेक पुलिस कर्मी घायल हो गए। बाजार में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया। प्रकरण में 20 आरोपियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत हुआ था।
विवेचना के उपरांत दो आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किए। अभियोजन पक्ष की तरफ से पांच साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया।