त्रिनिदाद की Ex PM के गांव में पानी, सड़क नहीं: गांव के लोग बोले- 13 साल पहले आई थी कमला बीसेसर, हम गंदगी में जीने को मजबूर – Buxar News

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त्रिनिदाद की Ex PM के गांव में पानी, सड़क नहीं:  गांव के लोग बोले- 13 साल पहले आई थी कमला बीसेसर, हम गंदगी में जीने को मजबूर – Buxar News

त्रिनिदाद की Ex PM के गांव में पानी, सड़क नहीं: गांव के लोग बोले- 13 साल पहले आई थी कमला बीसेसर, हम गंदगी में जीने को मजबूर – Buxar News

कमला के गांव में सड़कों पर बहती नालियां।

बक्सर का भेलूपुर गांव इन दिनों चर्चा में है। यहां की बेटी कमला बिसेसर को हाल ही में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में हुए संसदीय चुनाव में जीत मिली है। वे पहले भी त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। अब एक बार फिर से वे प्रधानमंत्री बनने की दौड़

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कमला बिसेसर जब 13 साल पहले भारत आई थीं, तो अपने पूर्वजों की जड़ों को तलाशते हुए बक्सर जिले के भेलूपुर गांव पहुंची थीं। उस समय वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री थीं। उनके पहुंचने पर उनके साथ ही गांव में पहली बार पक्की सड़क भी आई थी, लेकिन जैसे ही वो लौटीं, सड़क के पांव भी उखड़ गईं।

जब कमला आईं थीं, तब गांव में पीने के शुद्ध पानी के लिए वाटर प्लांट भी लगाया गया था। लेकिन उनके लौटते ही जैसे प्रशासन की नजर हट गई और प्लांट के साथ-साथ विकास की उम्मीदें भी टूट गईं। दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम आज कमला बिसेसर के गांव में पहुंची और उनके रिश्तेदारों के साथ-साथ गांव के लोगों से बातचीत की।

गांव की टूटी सड़कें।

कमला के दोबारा पीएम बनने की संभावना पर गांव में खुशी

गांव के लोगों ने बातचीत में बताया कि कमला एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल हैं। ऐसे में गांव के लोगों में खुशी है। गांव के संतोष यादव, सुरेंद्र यादव, उमेश यादव और मुन्ना मिश्रा समेत कई लोगों ने बताया कि उस ऐतिहासिक यात्रा के समय प्रशासन ने 10 सूत्री मांग पत्र पर विकास कार्यों का आश्वासन दिया था, लेकिन 13 साल बीत गए, कोई भी मांग पूरी नहीं हुई।

कमला बिसेसर के आगमन के बाद गांव को शुद्ध पेयजल प्लांट मिला, सड़क बनी, लेकिन आज वो प्लांट जर्जर हो गया है, सड़कें टूटी हैं और लोग अब भी खारे पानी व गंदगी के बीच जीने को मजबूर हैं। ग्रामीण ने कहा कि गांव की विकास की बात यहां के प्रशासन पर निर्भर करता है। कहा कि 136 साल पहले हमारे पूर्वज गिरमिटिया मजदूर थे। आज भी गांव की पहचान मजदूर के रूप में ही है। आसपास के क्षेत्रों को किसी कार्य के लिए मजदूर की आवश्यकता होती है तो इस गांव में आते हैं। ये गांव मजदूरों का था है और लगता है कि आगे भी लगता है कि मजदूरों का गांव बनकर ही रहेगा।

गांव के लोगों ने कहा कि कमला के चुनाव जीतने के बाद उनमें खुशी का माहौल है।

कहा- डीएम को 10 सूत्री मांगपत्र दिया था

गांव के उमेश यादव ने कहा कि गांव के विकास के लिए उस समय के डीएम को 10 सूत्री मांग पत्र दिया गया था, जिनकी ओर से ग्रामीणों से उसको पूरा करने की घोषणा भी की गई। लेकिन 13 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ।ग्रामीणों ने बताया की मांग किया गया था कि गांव शुद्ध पानी के लिए एक बड़ा टंकी लगाया जाए। गांव में स्कूल कॉलेज खोला जाए, एक छोटे अस्पताल की व्यवस्था हो, गांव के लिंक रोड पर एक कमला प्रसाद के नाम का गेट बनाया जाए।

गांव के संतोष यादव बताते हैं कि पहली बार एक छोटे से गांव की बिटिया उत्तरी अमेरिका त्रिनिदाद एंड टोबैगो की पीएम बनने की जानकारी पर गांव के लोगों में खुशहाली छा गई थी। साथ ही ये भी सूचना मिली कि साढ़े 14 हजार किलोमीटर दूर से अपने पूर्वज के गांव आ रही जिससे खुशी दोगुना हो गया। जब वे आई थीं, तब गांव की सूरत और सीरत दोनों बदल गई थी। अब प्रशासन गांव की सुध नही ले रहा।

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