…तो चीन के दबाव में WHO ने बता दिए भारत में कोरोना से मौत के आंकड़े ज्यादा ? AIIMS निदेशक डॉ. गुलेरिया ने भी उठाए सवाल | Due to China pressure, WHO death toll from corona in India is more | Patrika News h3>
चीन के प्रति नरम क्यों है WHO रिपोर्ट? अब WHO पर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या उसने चीन के दबाव में ऐसा किया? और क्या इन आंकड़ों के ज़रिए सेलेक्टिव होकर भारत को टारगेट किया जा रहा है ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चीन ने अपने देश में कोविड के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती। लेकिन WHO ने शुरू से लेकर अब तक चीन के आंकड़ों के सामने रेड कारपेट बिछाए रखा।। और उसे नज़रअंदाज़ किया। वैसे WHO के आंकड़ों पर इसलिए भी विश्वास कम है क्योंकि शुरुआत से ही इस संस्था ने चीन के प्रति नरमी दिखाई है। पहली बार जब नवंबर दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोविड का संक्रमण फैला था तब महीने भर से ज्यादा वक्त तक WHO ने कोविड को लेकर चुप्पी साधे रखी थी। कोविड महामारी दुनिया भर के देशों में फैल गई तो दिसंबर के आखिरी हफ्ते में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को संक्रामक महामारी बताया लेकिन ये भी कहा कि इससे मौतें हो रही हैं या नहीं नहीं कहा जा सकता।
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी उठाए थे सवाल, छोड़ दिया था WHO एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना फैल चुका था, दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन को ये तक पता नहीं था कि कोविड का ये संक्रमण फैला कहां से। मतलब महामारी की जड़ कहां थी। अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर कहा था कि चीन के वुहान लैब से कोरोना का वायरस लीक हुआ और तब कोरोना के वायरस के स्रोत की जांच की बात हुई। काफी देर के बाद जांच कमेटी का ऐलान हुआ था। ये जांच कमेटी वुहान भी गई लेकिन इस कमेटी में चीन के ही तीन वैज्ञानिक थे और जाहिर तौर पर कमेटी की रिपोर्ट में ये पता नहीं चल सका कि कोरोना वायरस का ओरिजिन कहां था।
भारत की साख को धक्का पहुंचाना चाहता है WHO? ऐसे में सवाल उठता है कि जो विश्व स्वास्थ्य संगठन आज तक कोरोना का स्रोत नहीं पता कर सका…जिस पर चीन के दबाव में काम करने का आरोप लगता रहा, उस विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े क्या चीन के दबाव में तो जारी नहीं किये गये? भारत ने जिस तरह कोविड से लड़ाई लड़ी, उससे दुनिया में भारत की बढ़ती साख को गिराने के लिए कहीं ये चीन के दबाव में लाया गया अवैज्ञानिक आंकड़ा तो नहीं है?
अब एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया ने उठाए सवाल नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल के बाद अब AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी साफ कर दिया है कि WHO के ये ऑँकड़े भरोसेमंद नहीं हैं। उनकी तरफ से तीन बड़े कारण बता दिए गए हैं जिस वजह से WHO की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। वे कहते हैं कि भारत में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं…जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है। खुद WHO ने अपनी रिपोर्ट में ये माना है कि अब अपने अपडेट में वो भारत के आँकड़ों का इस्तेमाल करेगा। दूसरे कारण को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि WHO ने जो आंकड़े जमा किये हैं जो विश्वसनीय नहीं हैं…वो कहीं से भी उठा लिये गये हैं…अपुष्ट स्रोतों से, मीडिया रिपोर्ट्स से या किसी और स्रोत से जो अवैज्ञानिक तरीके से जमा किये गये…विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वहां से आंकड़े ले लिये जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना मौत के बाद परिवारों को दिए मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है। उनकी नजरों में अगर इतने लोगों की मौत हुई होती तो उनके परिवार सरकार से आर्थिक सहायता जरूर मांगते। इस बारे में वे बताते हैं कि भारत ने कोविड से जान गंवाने वालों के परिवारों को सरकार ने मुआवजे का प्रावधान किया है…अगर इतनी मौतें हुई होतीं तो वो रिकॉर्ड होता…जान गंवाने वाले परिवार के लोग मुआवजे के लिए आगे आते…इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
चीन के बारे में चुप क्यों है WHO? सबसे हैरानी की बात ये है कि रिपोर्ट में चीन में कोरोना से मौत के ऑंकड़ों पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है। जबकि चीन के अधिकारिक ऑंकड़ों में जनवरी 2020 से जनवरी 2021 तक एक भी अधिकारिक मौत कोरोना से नहीं रिपोर्ट की है। इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर कोई सवाल या चिंता जाहिर नहीं की है। जबकि चीन से ही कोरोना पूरी दुनिया में फैला और यहां कोरोना से हुई मौतों पर दुनिया में सवाल उठ रहे हैं।
चीन के प्रति नरम क्यों है WHO रिपोर्ट? अब WHO पर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या उसने चीन के दबाव में ऐसा किया? और क्या इन आंकड़ों के ज़रिए सेलेक्टिव होकर भारत को टारगेट किया जा रहा है ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चीन ने अपने देश में कोविड के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती। लेकिन WHO ने शुरू से लेकर अब तक चीन के आंकड़ों के सामने रेड कारपेट बिछाए रखा।। और उसे नज़रअंदाज़ किया। वैसे WHO के आंकड़ों पर इसलिए भी विश्वास कम है क्योंकि शुरुआत से ही इस संस्था ने चीन के प्रति नरमी दिखाई है। पहली बार जब नवंबर दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोविड का संक्रमण फैला था तब महीने भर से ज्यादा वक्त तक WHO ने कोविड को लेकर चुप्पी साधे रखी थी। कोविड महामारी दुनिया भर के देशों में फैल गई तो दिसंबर के आखिरी हफ्ते में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को संक्रामक महामारी बताया लेकिन ये भी कहा कि इससे मौतें हो रही हैं या नहीं नहीं कहा जा सकता।
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी उठाए थे सवाल, छोड़ दिया था WHO एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना फैल चुका था, दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन को ये तक पता नहीं था कि कोविड का ये संक्रमण फैला कहां से। मतलब महामारी की जड़ कहां थी। अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर कहा था कि चीन के वुहान लैब से कोरोना का वायरस लीक हुआ और तब कोरोना के वायरस के स्रोत की जांच की बात हुई। काफी देर के बाद जांच कमेटी का ऐलान हुआ था। ये जांच कमेटी वुहान भी गई लेकिन इस कमेटी में चीन के ही तीन वैज्ञानिक थे और जाहिर तौर पर कमेटी की रिपोर्ट में ये पता नहीं चल सका कि कोरोना वायरस का ओरिजिन कहां था।
भारत की साख को धक्का पहुंचाना चाहता है WHO? ऐसे में सवाल उठता है कि जो विश्व स्वास्थ्य संगठन आज तक कोरोना का स्रोत नहीं पता कर सका…जिस पर चीन के दबाव में काम करने का आरोप लगता रहा, उस विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े क्या चीन के दबाव में तो जारी नहीं किये गये? भारत ने जिस तरह कोविड से लड़ाई लड़ी, उससे दुनिया में भारत की बढ़ती साख को गिराने के लिए कहीं ये चीन के दबाव में लाया गया अवैज्ञानिक आंकड़ा तो नहीं है?
अब एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया ने उठाए सवाल नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल के बाद अब AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी साफ कर दिया है कि WHO के ये ऑँकड़े भरोसेमंद नहीं हैं। उनकी तरफ से तीन बड़े कारण बता दिए गए हैं जिस वजह से WHO की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। वे कहते हैं कि भारत में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं…जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है। खुद WHO ने अपनी रिपोर्ट में ये माना है कि अब अपने अपडेट में वो भारत के आँकड़ों का इस्तेमाल करेगा। दूसरे कारण को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि WHO ने जो आंकड़े जमा किये हैं जो विश्वसनीय नहीं हैं…वो कहीं से भी उठा लिये गये हैं…अपुष्ट स्रोतों से, मीडिया रिपोर्ट्स से या किसी और स्रोत से जो अवैज्ञानिक तरीके से जमा किये गये…विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वहां से आंकड़े ले लिये जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना मौत के बाद परिवारों को दिए मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है। उनकी नजरों में अगर इतने लोगों की मौत हुई होती तो उनके परिवार सरकार से आर्थिक सहायता जरूर मांगते। इस बारे में वे बताते हैं कि भारत ने कोविड से जान गंवाने वालों के परिवारों को सरकार ने मुआवजे का प्रावधान किया है…अगर इतनी मौतें हुई होतीं तो वो रिकॉर्ड होता…जान गंवाने वाले परिवार के लोग मुआवजे के लिए आगे आते…इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
चीन के बारे में चुप क्यों है WHO? सबसे हैरानी की बात ये है कि रिपोर्ट में चीन में कोरोना से मौत के ऑंकड़ों पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है। जबकि चीन के अधिकारिक ऑंकड़ों में जनवरी 2020 से जनवरी 2021 तक एक भी अधिकारिक मौत कोरोना से नहीं रिपोर्ट की है। इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर कोई सवाल या चिंता जाहिर नहीं की है। जबकि चीन से ही कोरोना पूरी दुनिया में फैला और यहां कोरोना से हुई मौतों पर दुनिया में सवाल उठ रहे हैं।