तैयार हो रहा है Aadhaar 2.0, खाता खुलवाने के लिए KYC फॉर्म भरने से मिल सकती है मुक्ति h3>
हैदराबाद: कैसा हो, अगर आपको बैंक या डीमैट अकाउंट खोलने से पहले और डिजिटल वॉलेट में सरकार की ओर से पैसा प्राप्त करने से पहले KYC फॉर्म नहीं भरना पड़े। वर्तमान में तो यह संभव नहीं है लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है। भविष्य में आपके सभी डेटा को ब्लॉकचेन-बेस्ड प्लेटफॉर्म (Blockchain Based Platform) पर स्टोर किया जा सकता है। साथ ही आपको यह सुविधा भी मिल सकती है कि किसी एंटिटी की वित्तीय सेवाओं (Financial Services) का लाभ उठाने के लिए उसके साथ किस डेटा को शेयर किया जाए, इसका चुनाव आपके हाथ में हो।
देश के तीन शीर्ष संस्थानों के चौदह शोधकर्ता नेक्स्ट जनरेशन डिजिटल आइडेंटिटी प्लेटफॉर्म, आधार 2.0 का निर्माण कर रहे हैं। ये तीन संस्थान हैं- इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (IDRBT), IIIT हैदराबाद और IIT भिलाई। आरबीआई इनोवेशन हब द्वारा समर्थित, आधार 2.0 भारत के फाइनेंशियल स्पेस में इनोवेशन को सक्षम करेगा। इन संस्थानों को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से 23 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है।
यह सहूलियत होगी उपलब्ध
देश के शीर्ष बैंकिंग प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन, आईडीआरबीटी के निदेशक डी जानकीराम ने बताया कि एक प्रमुख कंपोनेंट मशीन लर्निंग-बेस्ड वीडियो ऑथेंटिकेशन टूल होगा। जानकीराम ने कहा, ‘यह प्लेटफॉर्म विकसित होने के बाद, मुझे लगता है कि यह आपके लिए किसी भी समय अपनी केवाईसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक ऑटो-पावर्ड 24/7 उपलब्ध सिस्टम का आधार बनने वाला है। आप इस प्लेटफॉर्म के साथ फोन या एटीएम कियोस्क जैसे कई तरीकों से बातचीत करने में सक्षम हो सकते हैं, जहां आप अपने सभी दस्तावेज वीडियो पर दिखाते हैं और फिर यह सिस्टम में स्टोर हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी बैंक या किसी अन्य संस्था को केवाईसी की आवश्यकता होती है, तो वे ग्राहक की सहमति के आधार पर सिस्टम से बातचीत कर सकते हैं। एक बार इस प्लेटफॉर्म के बनने के बाद, यह फाइनेंशियल इनोवेशन को बढ़ावा देगा क्योंकि सिस्टम में एक वॉलेट का प्रावधान हो सकता है जहां सरकार सीधे पैसा ट्रान्सफर कर सकती है।
दो वर्षों में तैयार होने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि आधार में एकत्र किया गया बायोमेट्रिक डेटा एक नागरिक के पहचान प्रमाण के रूप में कार्य करता है, लेकिन जब कुछ वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने की बात आती है तो केवल आधार ही पर्याप्त नहीं होता है। ऐसे और भी दस्तावेज हो सकते हैं जिनकी केवाईसी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में आवश्यकता हो सकती है। यह सिस्टम सभी वित्तीय सेवा जरूरतों के लिए केवाईसी आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में काम करेगा। नया प्लेटफॉर्म लगभग दो वर्षों में वित्तीय संस्थानों को ट्रान्सफर के लिए तैयार होने की उम्मीद है।
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यह सहूलियत होगी उपलब्ध
देश के शीर्ष बैंकिंग प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन, आईडीआरबीटी के निदेशक डी जानकीराम ने बताया कि एक प्रमुख कंपोनेंट मशीन लर्निंग-बेस्ड वीडियो ऑथेंटिकेशन टूल होगा। जानकीराम ने कहा, ‘यह प्लेटफॉर्म विकसित होने के बाद, मुझे लगता है कि यह आपके लिए किसी भी समय अपनी केवाईसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक ऑटो-पावर्ड 24/7 उपलब्ध सिस्टम का आधार बनने वाला है। आप इस प्लेटफॉर्म के साथ फोन या एटीएम कियोस्क जैसे कई तरीकों से बातचीत करने में सक्षम हो सकते हैं, जहां आप अपने सभी दस्तावेज वीडियो पर दिखाते हैं और फिर यह सिस्टम में स्टोर हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी बैंक या किसी अन्य संस्था को केवाईसी की आवश्यकता होती है, तो वे ग्राहक की सहमति के आधार पर सिस्टम से बातचीत कर सकते हैं। एक बार इस प्लेटफॉर्म के बनने के बाद, यह फाइनेंशियल इनोवेशन को बढ़ावा देगा क्योंकि सिस्टम में एक वॉलेट का प्रावधान हो सकता है जहां सरकार सीधे पैसा ट्रान्सफर कर सकती है।
दो वर्षों में तैयार होने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि आधार में एकत्र किया गया बायोमेट्रिक डेटा एक नागरिक के पहचान प्रमाण के रूप में कार्य करता है, लेकिन जब कुछ वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने की बात आती है तो केवल आधार ही पर्याप्त नहीं होता है। ऐसे और भी दस्तावेज हो सकते हैं जिनकी केवाईसी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में आवश्यकता हो सकती है। यह सिस्टम सभी वित्तीय सेवा जरूरतों के लिए केवाईसी आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में काम करेगा। नया प्लेटफॉर्म लगभग दो वर्षों में वित्तीय संस्थानों को ट्रान्सफर के लिए तैयार होने की उम्मीद है।
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