तेलंगाना टनल हादसा, स्नीफर डॉग्स ने दो स्थान खोजे: यहां इंसानों के होने की संभावना, मजदूरों के शवों की तलाश जारी; घटना को 15 दिन बीते h3>
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नागरकुर्नूल38 मिनट पहले
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केरल पुलिस में शामिल ये कुत्ते बेल्जियम मालिनोइस नस्ल के हैं।
तेलंगाना के नागरकुर्नूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल हादसे को 15 दिन बीत चुके हैं। लेकिन अंदर फंसे 8 मजदूरों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है।
शुक्रवार को स्निफर डॉग्स को टनल में ले जाया गया। खोजी कुत्तों ने दो जगहों को स्पॉट किया है। यहां मानव (मजदूर) होने की संभावना है। अब इन दो जगहों पर जमा मलबा, गाद हटाया जा रहा है।
दरअसल केरल पुलिस के ट्रेंड डॉग्स (बेल्जियम मालिनोइस नस्ल के) को रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल किया गया। इन डॉग्स को लापता इंसानों और शवों को पता लगाने के लिए ट्रेंड किया गया है।
अधिकारी के मुताबिक- ये डॉग्स 15 फीट की गहराई से भी गंध का पता लगा सकते हैं। NDRF की टीम भी टनल में गई थी, उसने अंदर रेस्क्यू को लेकर तैयारी की।
तेलंगाना सरकार की संचालित माइनिंद सिंगरेनी कोलियरीज लिमिटेड (MNCL) और रैट माइनर्स की टीमें दिन में पहचाने गए स्पॉट पर काम कर रही हैं। रोबोट का उपयोग करने की संभावना तलाशने वाली एक टीम भी सुरंग में गई थी।
सुरंग में ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा दैनिक NEWS4SOCIALने तेलंगाना के सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन से बात की थी। वो सरकार की कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना में गड़बड़ी और SLBC प्रोजेक्ट में बरती गई लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।
गोवर्धन कहते हैं कि तेलंगाना राज्य बनने के बाद भी SLBC टनल प्रोजेक्ट को के. चंद्रशेखर राव की सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। उनकी पार्टी BRS 10 साल सत्ता में रही, लेकिन सिर्फ 11 किलोमीटर सुरंग की खुदाई हो सकी।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2023 में रेवंत रेड्डी CM बने। उन्होंने टनल बनाने के लिए तय बजट 3,152 करोड़ रुपए को बढ़ाकर 4,600 करोड़ रुपए कर दिया।’
टनल के ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है। इस खतरे का सही अनुमान लगाने में रॉबिन्सन और जेपी जैसी कंपनियां ही नहीं, तेलंगाना सिंचाई विभाग भी फेल रहा है। यही SLBC प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी नाकामी है।

नैनाला गोवर्धन के मुताबिक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट और पोलावरम सिंचाई योजना में नियमों की अनदेखी हुई। यहां 460 करोड़ की लागत से बनी डायफ्रॉम वॉल ध्वस्त हो गई। मेडिगड्डा और अन्नारम में करोड़ों की विदेशी मोटर टूट चुकी हैं। अब यही चीजें SLBC टनल प्रोजेक्ट में सामने आ रही हैं।’
‘अगर इसका काम समय से पूरा हो जाता, तो इससे देवरकोंडा, नकीरेकल, नलगोंडा, नार्केटपल्ली मंडलों के लाखों एकड़ खेतों तक पानी पहुंच जाता। साथ ही 500 से ज्यादा फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों को पीने का पानी मिलता।‘ पूरी खबर पढ़ें…
रेस्क्यू से जुड़ी तस्वीरें…
टनल में मौजूद कर्मचारी गैस कटर से लोहे काट रहे हैं।
तेलंगाना CM रेवंथ रेड्डी के हेलिकॉप्टर से टनल का व्यू।
अधिकारियों का बनाया टनल का ग्राफ, इसके हिसाब से रेस्क्यू चलाया जा रहा है।
SLBC रेस्क्यू में जुटीं टीमें और अन्य अधिकारी-कर्मचारी।
टनल से कई टन मलबा निकाला जा चुका है। ये प्रक्रिया लगातार जारी है।
SLBC टनल हादसा 22 फरवरी को हुई थी।
SLBC प्रोजेक्ट में काम कर रहे 800 लोग, लेकिन कई काम छोड़ भागे
रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं।अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि, कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं।
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तेलंगाना टनल हादसा, 8 मजदूरों के रेस्क्यू का 9वां दिन:CM ने घटना स्थल का दौरा किया; भाजपा बोली- सरकार की लापरवाही से हादसा हुआ
तेलंगाना के नागरकुर्नूल में निर्माणाधीन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में फंसे 8 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन का रविवार को 9वां दिन है। 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से बचाव कार्य जारी है। पूरी खबर पढ़ें…
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केरल पुलिस में शामिल ये कुत्ते बेल्जियम मालिनोइस नस्ल के हैं।
तेलंगाना के नागरकुर्नूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल हादसे को 15 दिन बीत चुके हैं। लेकिन अंदर फंसे 8 मजदूरों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है।
शुक्रवार को स्निफर डॉग्स को टनल में ले जाया गया। खोजी कुत्तों ने दो जगहों को स्पॉट किया है। यहां मानव (मजदूर) होने की संभावना है। अब इन दो जगहों पर जमा मलबा, गाद हटाया जा रहा है।
दरअसल केरल पुलिस के ट्रेंड डॉग्स (बेल्जियम मालिनोइस नस्ल के) को रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल किया गया। इन डॉग्स को लापता इंसानों और शवों को पता लगाने के लिए ट्रेंड किया गया है।
अधिकारी के मुताबिक- ये डॉग्स 15 फीट की गहराई से भी गंध का पता लगा सकते हैं। NDRF की टीम भी टनल में गई थी, उसने अंदर रेस्क्यू को लेकर तैयारी की।
तेलंगाना सरकार की संचालित माइनिंद सिंगरेनी कोलियरीज लिमिटेड (MNCL) और रैट माइनर्स की टीमें दिन में पहचाने गए स्पॉट पर काम कर रही हैं। रोबोट का उपयोग करने की संभावना तलाशने वाली एक टीम भी सुरंग में गई थी।
सुरंग में ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा दैनिक NEWS4SOCIALने तेलंगाना के सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन से बात की थी। वो सरकार की कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना में गड़बड़ी और SLBC प्रोजेक्ट में बरती गई लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।
गोवर्धन कहते हैं कि तेलंगाना राज्य बनने के बाद भी SLBC टनल प्रोजेक्ट को के. चंद्रशेखर राव की सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। उनकी पार्टी BRS 10 साल सत्ता में रही, लेकिन सिर्फ 11 किलोमीटर सुरंग की खुदाई हो सकी।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2023 में रेवंत रेड्डी CM बने। उन्होंने टनल बनाने के लिए तय बजट 3,152 करोड़ रुपए को बढ़ाकर 4,600 करोड़ रुपए कर दिया।’
टनल के ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है। इस खतरे का सही अनुमान लगाने में रॉबिन्सन और जेपी जैसी कंपनियां ही नहीं, तेलंगाना सिंचाई विभाग भी फेल रहा है। यही SLBC प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी नाकामी है।
नैनाला गोवर्धन के मुताबिक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट और पोलावरम सिंचाई योजना में नियमों की अनदेखी हुई। यहां 460 करोड़ की लागत से बनी डायफ्रॉम वॉल ध्वस्त हो गई। मेडिगड्डा और अन्नारम में करोड़ों की विदेशी मोटर टूट चुकी हैं। अब यही चीजें SLBC टनल प्रोजेक्ट में सामने आ रही हैं।’
‘अगर इसका काम समय से पूरा हो जाता, तो इससे देवरकोंडा, नकीरेकल, नलगोंडा, नार्केटपल्ली मंडलों के लाखों एकड़ खेतों तक पानी पहुंच जाता। साथ ही 500 से ज्यादा फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों को पीने का पानी मिलता।‘ पूरी खबर पढ़ें…
रेस्क्यू से जुड़ी तस्वीरें…
टनल में मौजूद कर्मचारी गैस कटर से लोहे काट रहे हैं।
तेलंगाना CM रेवंथ रेड्डी के हेलिकॉप्टर से टनल का व्यू।
अधिकारियों का बनाया टनल का ग्राफ, इसके हिसाब से रेस्क्यू चलाया जा रहा है।
SLBC रेस्क्यू में जुटीं टीमें और अन्य अधिकारी-कर्मचारी।
टनल से कई टन मलबा निकाला जा चुका है। ये प्रक्रिया लगातार जारी है।
SLBC टनल हादसा 22 फरवरी को हुई थी।
SLBC प्रोजेक्ट में काम कर रहे 800 लोग, लेकिन कई काम छोड़ भागे
रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं।अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि, कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं।
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