तुम जीत गए और मैं हार गया… नितिन गडकरी से शर्त हारने पर बोले थे धीरूभाई अंबानी, पढ़ें पूरा किस्सा h3>
यह उन दिनों की बात है, जब मुंबई-पुणे हाईवे बन रहा था। धीरूभाई अंबानी जिंदा थे और नितिन गडकरी महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री हुआ करते थे। यह हाईवे उन्हीं के मंत्रालय के अधीन बनना था। बहुत सारी निजी कंपनियां भी इस हाईवे के निर्माण का ठेका लेने की इच्छुक थीं, उनमें धीरूभाई अंबानी भी शामिल थे। बकौल गडकरी, उनका टेंडर 3600 करोड़ रुपये का था। गडकरी ने उनके टेंडर को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर आप यह काम 2000 करोड़ तक में कर दें तब तो ठीक है, वर्ना हम खुद करा लेंगे। जब धीरूभाई का टेंडर खारिज हुआ तो वह बहुत नाराज हुए। उन्होंने गडकरी को बुलाया और पूछा कि क्या सरकार के पास इतने ज्यादा संसाधन हैं कि वह अपने बलबूते इतने बड़े निर्माण कार्य को पूरा कर सके? उन्होंने गडकरी को सलाह भी दी कि अनावश्यक जिद नहीं करनी चाहिए।
गडकरी टस से मस नहीं हुए। उन्होंने धीरूभाई से कहा कि यह ठीक है, मैं छोटा आदमी हूं। प्रयास करूंगा। लेकिन अगर दो साल में मैंने यह हाईवे बनाकर दिखा दिया तो आप क्या शर्त लगाते हैं? फिर हाईवे निर्माण कार्य शुरू हुआ। यह सिर्फ दो साल में पूरा ही नहीं हुआ बल्कि 1600 करोड़ रुपये की ही लागत आई। इसके बाद धीरूभाई ने गडकरी को बुलाया और बोले- गडकरी तुम जीत गए और मैं हार गया। धीरू भाई ने अपना बड़प्पन यहीं तक नहीं दिखाया, बल्कि कुछ अरसा बाद क्लिंटन भारत आए। उनका मुंबई के स्टॉक एक्सचेंज में भी कार्यक्रम था। उस वक्त गडकरी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हो गए थे, लेकिन धीरूभाई ने क्लिंटन से गडकरी की मुलाकात कराई। क्लिंटन के सामने उनकी तारीफ की। कहा कि इस लड़के ने मुंबई का बहुत बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है।
गडकरी के इस कदम से नाराज हो गए थे बाल ठाकरे
जब रतन टाटा के सवाल से चौंक गए गडकरी
पिछले दिनों नितिन गडकरी ने वह वाकया याद दिलाया जब रतन टाटा ने उनसे ऐसा सवाल पूछ लिया था कि वह चौंक गए थे। आइये जानते हैं। गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि जब वह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे। तब उनसे आरएसएस के एक पदाधिकारी ने रतन टाटा को एक अस्पताल के उद्घाटन समारोह में बुलाने के लिए आग्रह किया था। जब रतन टाटा अस्पताल के उद्घाटन के लिए पहुंचे। तब उन्होंने एक ऐसा सवाल पूछ लिया जिसे सुनकर मैं चौंक गया था।
Nitin Gadkari on Balasaheb Thackeray: जब नितिन गडकरी से नाराज हुए थे बालासाहेब ठाकरे, सुनाया किस्सा
दरअसल रतन टाटा ने मुझसे पूछा कि क्या यह हॉस्पिटल सिर्फ हिंदुओं के लिए है। जिस पर मैंने उनसे कहा कि आपको ऐसा क्यों लगता है? गडकरी के सवाल पर रतन टाटा ने कहा क्योंकि यह अस्पताल आरएसएस का है। तब गडकरी ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह अस्पताल समाज के सभी समुदायों के लिए है। उन्होंने कहा कि आरएसएस में इस तरह की कोई भी चीज नहीं होती है।
गडकरी टस से मस नहीं हुए। उन्होंने धीरूभाई से कहा कि यह ठीक है, मैं छोटा आदमी हूं। प्रयास करूंगा। लेकिन अगर दो साल में मैंने यह हाईवे बनाकर दिखा दिया तो आप क्या शर्त लगाते हैं? फिर हाईवे निर्माण कार्य शुरू हुआ। यह सिर्फ दो साल में पूरा ही नहीं हुआ बल्कि 1600 करोड़ रुपये की ही लागत आई। इसके बाद धीरूभाई ने गडकरी को बुलाया और बोले- गडकरी तुम जीत गए और मैं हार गया। धीरू भाई ने अपना बड़प्पन यहीं तक नहीं दिखाया, बल्कि कुछ अरसा बाद क्लिंटन भारत आए। उनका मुंबई के स्टॉक एक्सचेंज में भी कार्यक्रम था। उस वक्त गडकरी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हो गए थे, लेकिन धीरूभाई ने क्लिंटन से गडकरी की मुलाकात कराई। क्लिंटन के सामने उनकी तारीफ की। कहा कि इस लड़के ने मुंबई का बहुत बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है।
गडकरी के इस कदम से नाराज हो गए थे बाल ठाकरे
जब रतन टाटा के सवाल से चौंक गए गडकरी
पिछले दिनों नितिन गडकरी ने वह वाकया याद दिलाया जब रतन टाटा ने उनसे ऐसा सवाल पूछ लिया था कि वह चौंक गए थे। आइये जानते हैं। गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि जब वह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे। तब उनसे आरएसएस के एक पदाधिकारी ने रतन टाटा को एक अस्पताल के उद्घाटन समारोह में बुलाने के लिए आग्रह किया था। जब रतन टाटा अस्पताल के उद्घाटन के लिए पहुंचे। तब उन्होंने एक ऐसा सवाल पूछ लिया जिसे सुनकर मैं चौंक गया था।
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दरअसल रतन टाटा ने मुझसे पूछा कि क्या यह हॉस्पिटल सिर्फ हिंदुओं के लिए है। जिस पर मैंने उनसे कहा कि आपको ऐसा क्यों लगता है? गडकरी के सवाल पर रतन टाटा ने कहा क्योंकि यह अस्पताल आरएसएस का है। तब गडकरी ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह अस्पताल समाज के सभी समुदायों के लिए है। उन्होंने कहा कि आरएसएस में इस तरह की कोई भी चीज नहीं होती है।