..ताकि काबू में रहे महंगाई, ब्रिटेन ने लगातार चौथी बार बढ़ाई ब्याज दर, पहुंची 13 साल के उच्चतम स्तर पर h3>
नई दिल्ली: भारत समेत पूरी दुनिया में इस समय महंगाई (Inflation) चरम पर है। इसे काबू में करने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और स्वीडन समेत कई देश ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुके हैं। इस लिस्ट में अब ब्रिटेन का नाम भी जुड़ गया है। इससे बैंक ऑफ इंग्लैंड की प्रमुख ब्याज दर 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कच्चे तेल की उच्च कीमतों, यूक्रेन और रूस में युद्ध (Ukraine-Russia War) तथा कोविड-19 संबंधित चिंताओं के कारण बढ़ती महंगाई की वजह से बैंक ने ब्याज दरों में वृद्धि की है। ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार चौथी बैठक में ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। इसी के साथ देश में प्रमुख नीतिगत दर 25 बेसिस पॉइंट बढ़कर एक प्रतिशत हो गई है।
इससे एक दिन पहले अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Resereve) ने महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की थी। यह पिछले दो दशकों से अधिक समय में नीतिगत दरों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे पहले बुधवार को आरबीआई (RBI) ने भी एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी थी। इसके बाद से कई बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है।
किन-किन देशों ने बढ़ाई ब्याज दर
भारत और अमेरिका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है। ऑस्ट्रेलिया के केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को ब्याज दरों को 0.1 फीसदी से बढ़ाकर 0.35 फीसदी कर दिया। केंद्रीय बैंक ने ऐसा फैसला पिछले 11 सालों में पहली बार किया है। स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने 28 अप्रैल को ब्याज दरों में 25 बेसिस अंक की बढ़ोतरी कर दी और इसमें आगे और बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं।
महंगाई का ब्याज दर से क्या है रिश्ता
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना के कारण चीन के कई शहरों में लॉकडाउन से दुनिया के कई देशों में महंगाई कई साल के चरम पर पहुंच गई है। किसी भी देश में महंगाई तब बढ़ती है, जब बाजार में पैसों की सप्लाई अधिक हो जाती है। यानी डिमांड बढ़ जाती है और लोग अधिक कीमत चुकाते हैं। ऐसे में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। इस फैसले से दो बड़े काम होते हैं, एक तो लोन लेना महंगा हो जाता है, वहीं पैसे निवेश करने पर अधिक ब्याज मिलने लगता है। लोन महंगा होने से बाजार में पैसों की सप्लाई पर असर पड़ता है। वहीं अधिक ब्याज के चलते लोग पैसे निवेश करने के लिए भी प्रोत्साहित होते हैं। लोग पैसे खर्च करने के बजाया उसे निवेश करने लगते हैं, जिसकी वजह से भी बाजार में पैसों की सप्लाई घटती है। तमाम देश महंगाई को काबू में करने के लिए ऐसे ही कदम उठाते हैं।
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इससे एक दिन पहले अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Resereve) ने महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की थी। यह पिछले दो दशकों से अधिक समय में नीतिगत दरों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे पहले बुधवार को आरबीआई (RBI) ने भी एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी थी। इसके बाद से कई बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है।
किन-किन देशों ने बढ़ाई ब्याज दर
भारत और अमेरिका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है। ऑस्ट्रेलिया के केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को ब्याज दरों को 0.1 फीसदी से बढ़ाकर 0.35 फीसदी कर दिया। केंद्रीय बैंक ने ऐसा फैसला पिछले 11 सालों में पहली बार किया है। स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने 28 अप्रैल को ब्याज दरों में 25 बेसिस अंक की बढ़ोतरी कर दी और इसमें आगे और बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं।
महंगाई का ब्याज दर से क्या है रिश्ता
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना के कारण चीन के कई शहरों में लॉकडाउन से दुनिया के कई देशों में महंगाई कई साल के चरम पर पहुंच गई है। किसी भी देश में महंगाई तब बढ़ती है, जब बाजार में पैसों की सप्लाई अधिक हो जाती है। यानी डिमांड बढ़ जाती है और लोग अधिक कीमत चुकाते हैं। ऐसे में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। इस फैसले से दो बड़े काम होते हैं, एक तो लोन लेना महंगा हो जाता है, वहीं पैसे निवेश करने पर अधिक ब्याज मिलने लगता है। लोन महंगा होने से बाजार में पैसों की सप्लाई पर असर पड़ता है। वहीं अधिक ब्याज के चलते लोग पैसे निवेश करने के लिए भी प्रोत्साहित होते हैं। लोग पैसे खर्च करने के बजाया उसे निवेश करने लगते हैं, जिसकी वजह से भी बाजार में पैसों की सप्लाई घटती है। तमाम देश महंगाई को काबू में करने के लिए ऐसे ही कदम उठाते हैं।
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