तमिलनाडु में जल्लीकट्टू से 1 दिन में 7 की मौत: 400 से ज्यादा लोग घायल, इनमें बैल मालिक और दर्शक भी; 2 बैलों की भी जान गई

1
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू से 1 दिन में 7 की मौत:  400 से ज्यादा लोग घायल, इनमें बैल मालिक और दर्शक भी; 2 बैलों की भी जान गई

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू से 1 दिन में 7 की मौत: 400 से ज्यादा लोग घायल, इनमें बैल मालिक और दर्शक भी; 2 बैलों की भी जान गई

  • Hindi News
  • National
  • Tamil Nadu Jallikattu Bullock Cart Race Death Update. Follow Trichy, Dindigul, Manapparai, Pudukkottai And Sivagangai Bullock Cart Race Latest News, Photos And Videos On NEWS 4 SOCIAL(दैनिक भास्कर)

चेन्नई46 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

2025 का पहला जल्लीकट्टू पुदुक्कोट्टई के गंडारवाकोट्टई तालुक के थचानकुरिची गांव में शुरू हुआ।

तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों में गुरुवार को पोंगल के मौके पर आयोजित जल्लीकट्टू त्योहार में 7 लोगों की मौत हुई। बैल को भीड़ के बीच छोड़कर दौड़ाने वाले इस खेल में एक ही दिन में करीब 400 से ज्यादा लोग घायल हुए।

तमिलनाडु पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गुरुवार को कान्नुम पोंगल दिवस था। इस दिन जल्लीकट्टू सबसे ज्यादा खेला जाता है। 7 लोगों के अलावा पुडुक्कोट्टाई और शिवगंगा में 2 बैलों की भी मौत हुई है। जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग खेल में भाग लेने वाली नहीं थे, बल्कि बैल के मालिक और दर्शक थे

पुलिस ने बताया कि 1 शख्स की मौत शिवगंगा जिले के सिरवायल मंजुविरट्टू में मौत हो गई। वह इस खेल में भाग लिया था। वहीं, मदुरै के अलंगनल्लूर में खेल देखने आए दर्शक को सांड ने घायल कर दिया। अस्पताल में उसकी मौत हो गई। वहीं, 5 अन्य लोगों की भी अलग-अलग जिलों में जल्लीकट्टू के कारण मौत हुई।

2025 का पहला जल्लीकट्टू पुदुक्कोट्टई के गंडारवाकोट्टई तालुक के थचानकुरिची गांव में शुरू हुआ था। इसके बाद यह त्रिची, डिंडीगुल, मनाप्पराई, पुदुक्कोट्टई और शिवगंगई जैसे जिलों में भी आयोजित होने लगा। 600 से ज्यादा बैलों को इस खेल में शामिल किया गया है

जल्लीकट्‌टू की 2 तस्वीरें…

थाचनकुरिची में खेल शुरू होने से पहले खिलाड़ियों ने शपथ ली।

पहले दिन थाचनकुरिची में बैलों को पकड़ने की कोशिश करते पहले 30 खिलाड़ी।

क्या है जल्लीकट्‌टू और क्यों मनाते हैं करीब 2500 सालों से बैल तमिलनाडु के लोगों के लिए आस्था और परंपरा का हिस्सा रहा है। यहां के लोग हर साल खेतों में फसलों के पकने के बाद मकर संक्रांति के दिन पोंगल त्योहार मनाते हैं। तमिल में पोंगल का मतलब ऊफान या उबलना होता है।

इसी दिन वे नए साल की शुरुआत करते हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के आखिरी दिन बैलों की पूजा होती है। उन्हें सजाया-संवारा जाता है। फिर शुरू होता है जल्लीकट्टू। इसे एरु थझुवुथल और मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। यह खेल पोंगल त्योहार का एक हिस्सा है।

यह एक ऐसा खेल है जिसमें भीड़ के बीच एक सांड को छोड़ दिया जाता है। इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोगों को सांड का कूबड़ पकड़कर उसे कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। कई बैलों का कूबड़ ज्यादा से ज्यादा देर तक पकड़े रखने वाला ही विजेता होता है।

जल्लीकट्टू का इतिहास 400-100 ईसा पूर्व का है, जब भारत में एक जातीय समूह अयार इसे खेलते थे। इसका नाम दो शब्दों से बना है-जल्ली (चांदी और सोने के सिक्के) और कट्टू (बंधा हुआ)।

जल्लीकट्‌टू में बैल मरने पर खिलाड़ी सिर मुंडवाते हैं, मृत्युभोज देते हैं

तमिलनाडु के लोग बैल को भगवान शिव का वाहन मानते हैं। उसकी पूजा करते हैं। उनके लिए बैल भाई-बाप की तरह है। उसके मरने के बाद रिश्तेदारों को शोक संदेश भेजते हैं। उसका मृत शरीर फूलों से सजाते हैं। इंसानों की तरह जनाजा निकालते हैं और पवित्र जगह पर दफनाते हैं।

घर लौटने के बाद अपना सिर मुंडवाते हैं। गांव के लोगों को मृत्यु भोज देते हैं। कुछ दिनों बाद उस बैल का मंदिर भी बनाते हैं और हर साल उसकी पूजा करते हैं।

खबरें और भी हैं…

देश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Breaking News News