ढाई महीने में एक बार भी नहीं हुआ आयुक्त यज्ञमित्र सिंह का महापौर सौम्या गुर्जर से सामना | Commissioner Yagyamitra Singh did not face Mayor Soumya Gurjar | Patrika News

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ढाई महीने में एक बार भी नहीं हुआ आयुक्त यज्ञमित्र सिंह का महापौर सौम्या गुर्जर से सामना | Commissioner Yagyamitra Singh did not face Mayor Soumya Gurjar | Patrika News

ढाई महीने में एक बार भी नहीं हुआ आयुक्त यज्ञमित्र सिंह का महापौर सौम्या गुर्जर से सामना | Commissioner Yagyamitra Singh did not face Mayor Soumya Gurjar | Patrika News

महापौर सौम्या गुर्जर के साथ लंबी खींचतान के बाद आखिर नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव का ग्रेटर निगम से तबादला हो ही गया। सौम्या गुर्जर के दोबारा महापौर पद ग्रहण करने के बाद दोनों का एक बार भी आमना-सामना नहीं हो पाया। आयुक्त ने ऐसी परिस्थितियां ही नहीं बनने दी कि दोनों आमने-सामने हों सकें।

महापौर सौम्या गुर्जर के साथ लंबी खींचतान के बाद आखिर नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव का ग्रेटर निगम से तबादला हो ही गया। सौम्या गुर्जर के दोबारा महापौर पद ग्रहण करने के बाद दोनों का एक बार भी आमना-सामना नहीं हो पाया। आयुक्त ने ऐसी परिस्थितियां ही नहीं बनने दी कि दोनों आमने-सामने हों सकें।

ताजा मामला नगर निगम की साधारण सभा की बैठक से जुड़ा है। यह बैठक 7 अप्रेल को प्रस्तावित थी, लेकिन आयुक्त ने तबियत खराब होने का हवाला देते हुए छुट्टी ले ली और चार्ज भी किसी का नहीं दिया। यही नहीं बैठक का समय पर एजेंडा ही जारी नहीं किया गया, जिसके चलते बैठक नहीं हो सकी। हालांकि महापौर ने इस मामले में सरकार का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद आयुक्त आयुक्त को छुटि्टयों के बीच वापस बुलाया और साधारण सभा बुलाने के निर्देश दिए, जिसके बाद आयुक्त को 11 अप्रैल को देर शाम मुख्यालय आकर 18 अप्रेल को बैठक के आदेश जारी करने पड़े।

यूं शुरू हुआ था विवाद

पिछले साल साधारण सभा की बैठक में बोर्ड ने जो 28 समितियां बनाई थी, उसमें से 7 अतिरिक्त समितियों पर आयुक्त ने डिसेंट नोट लगाकर भेज दिया था। इसी डिसेंट नोट के आधार पर सरकार ने 28 में से 7 समितियों को एक आदेश जारी करके निरस्त कर दिया था।

कच्ची बस्ती को हटाने पर विवाद

पिछले साल मई में विद्याधर नगर में कच्ची बस्ती को हटाने के मामले में भी आयुक्त और महापौर के बीच तकरार हुई थी। कोरोनाकाल में दूसरी लहर के दौरान लगे लॉकडाउन के बीच हुई कार्रवाई का महापौर ने मौके पर जाकर विरोध किया था। इसको लेकर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए एक्शन लिया था। वहीं कांग्रेस के भी कई नेताओं ने इस कार्रवाई को लेकर आयुक्त पर सवाल उठाए थे।

सौम्या गुर्जर को महापौर पद गंवाना पड़ा

दोनों के बीच विवाद के चलते पिछले साल 7 जून को महापौर और निगम के चार पार्षदों को निलंबित कर दिया गया था। सफाई को लेकर हुई बैठक के बाद आयुक्त ने नगर निगम के 4 पार्षदों के खिलाफ मारपीट और धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाते हुए सरकार में शिकायत की थी। आयुक्त का आरोप था कि यह सबकुछ महापौर की देखरेख में हुआ। इसके चलते महापौर को कुर्सी गंवानी पड़ी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरवरी में सौम्या गुर्जर ने वापस महापौर पद ग्रहण किया था।



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