डॉक्टर से बना एक्टर, दो दशकों से नहीं मिली पहचान, अब ‘छावा’ से चमकी किस्मत – News4Social h3>
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विनीत कुमार सिंह।
‘छावा’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। विक्की कौशल से लेकर फिल्म के बाकी किरदारों की भी काफी तारीफ हो रही है। फिल्म में एक जिगरी दोस्त का किरदार दिखाया गया है, जो संभाजी महाराज के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार खड़ा रहता है। इस किरदार को एक मंझे हुए एक्टर ने निभाया है। वो इस रोल में खूब जचे हैं। 20 सालों से ये एक्टर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन इसे स्थापित होने के लिए अब सही जगह मिल पाई है। मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनने के बाद, इस शख्स ने अलग राह चुनी और एक्टर बनने का जोखिम भरा फैसला लिया। अपने सफल मेडिकल को छोड़ एक्टर बनने की भूख ने इसे स्ट्रगलर बना दिया। कई फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग से इसने गहरा प्रभाव छोड़ा, लेकिन फिर भी अलग पहचान के लिए तरसते रहे। अब एक्टर ने ‘छावा’ में कमाल किया है।
इस रोल में नजर आया एक्टर
‘मुक्काबाज’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फेम अभिनेता विनीत कुमार सिंह ने फिल्म ‘छावा’ में कवि कलश के किरदार में अपने बेहतरीन अभिनय से फिल्म में जान फूंक दी है। फिल्म में वह कवि कलश के किरदार में नजर आ रहे हैं, जो एक कवि और योद्धा दोनों हैं। इस किरदार में उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज के घनिष्ठ मित्र की भूमिका निभाई है। कवि कलश उत्तर भारतीय हैं, लेकिन मराठा साम्राज्य और अपने मित्र छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति हर परिस्थिति में निष्ठावान रहते हैं।
ऐसा है फिल्म में किरदार
उत्तर भारत से होने के बाद भी वो छत्रपति संभाजी महाराज के सबसे भरोसेमंद साथी के रूप में खड़े हैं। उनका अपना अनोखा अंदाज और संभाजी महाराज से उनकी नजदीकियां, मराठा साम्राज्य में सभी को पसंद नहीं आती। बावजूद इसके जब समय आया तो उन्होंने मराठा साम्राज्य की आन, बान और शान को बनाए रखने में सबसे आगे रहे और पूरी निष्ठा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संभाजी के साथ लड़े। वे चाहते तो खुद को बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने मराठा साम्राज्य, हिन्दवी स्वराज्य और अपने मित्र छत्रपति संभाजी महाराज का आखिरी दम तक साथ नहीं छोड़ा। ऐसे किरदार को दिखाने में विनीत कुमार पूरी तरह कामयाब हैं।
वीर रस की कविताओं में डाली जान
फिल्म में विनीत कुमार सिंह का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली है। जब वह कविताएं पढ़ते हैं तो उनके चेहरे पर सौम्यता और मुस्कान झलकती है, लेकिन वीर रस की कविताओं के दौरान उनकी आवाज में गर्जना और चेहरे पर जबरदस्त रौद्रता नजर आती है। कवि कलश के इस किरदार में विनीत ने पूरी तरह जान डाल दी है और यह उनके करियर की एक यादगार भूमिका बन सकती है।
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पहली ऐतिहासिक फिल्म
यह विनीत कुमार सिंह के करियर की ये पहली ऐतिहासिक फिल्म है, लेकिन इसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि वह पहली बार इस तरह के किरदार में आए हैं। इससे पहले भी वह अपने हर किरदार में पूरी तरह उतर जाते रहे हैं। ‘मुक्काबाज’, ‘रंगबाज’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘अग्ली’ और ‘बॉम्बे टॉकीज जैसी फिल्मों में उनका शानदार अभिनय देखने को मिला, लेकिन इन फिल्मों में चमकने के बाद भी उन्हें वैसा काम नहीं मिल सका जिसके वो हमेशा हकदार रहे। प्रभावी एक्टिंग के बावजूद वो अपनी अलग पहचान इंडस्ट्री में नहीं बना सके, लेकिन बड़े बैनर की फिल्म ‘छावा’ से उनकी किस्मत पटल सकती है।
दो दशक से इंडस्ट्री में बना रहे जगह
विनीत कुमार सिंह पिछले 18-20 सालों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं और हर बार नए किरदार में ढल जाते हैं। ‘छावा’ में भी उनके अभिनय में कहीं भी दोहराव नहीं दिखता, बल्कि नए और प्रभावी तरीके से विनीत कुमार सिंह अपनी छाप छोड़ते हैं। उनके इस शानदार प्रदर्शन के बाद इंडस्ट्री से उन्हें और अधिक पहचान और सम्मान मिलना चाहिए, जिसके वो हकदार हैं। एक्टर ने हाल में ही एक बयान में कहा था कि करियर की शुरुआत में वो साल 2007 में आलिया भट्ट से ‘धोखा’ के सेट पर मिले थे। उस वक्त आलिया इतनी छोटी थीं कि महेश भट्ट की गोद में बैठी रहती थीं। विनीत ने कहा, ‘आलिया एक शानदार अभिनेत्री हैं, लेकिन जब आपको समय पर अवसर मिलते हैं, तो आपकी ज़िंदगी बदल सकती है। मैं तब भी संघर्ष कर रहा था, आज भी संघर्ष कर रहा हूं। उद्योग में भाई-भतीजावाद पर अक्सर बहस होती है, लेकिन लोगों द्वारा अपने लोगों का समर्थन करना स्वाभाविक है।’
डॉक्टर है विनीत कुमार सिंह
बता दें, विनीत कुमार सीपीएमटी उत्तीर्ण हैं और अपने मेडिकल कॉलेज में टॉपर रहे हैं। वह एक लाइसेंस प्राप्त मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं, जिन्होंने आर. ए. पोद्दार आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद, मेडिसिन और सर्जरी में स्नातक की डिग्री और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल, नागपुर से आयुर्वेद में एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) की डिग्री हासिल की है। एक्टर के पिता एक मैथमेटिशियन थे।