डॉक्टर अर्चना-सुसाइड केस में विधायक गोठवाल के खिलाफ आरोप रद्द: हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल; कहा दो में से एक बिना साक्ष्य के जांच – Jaipur News h3>
हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश बीजेपी कार्यालय में मौजूद विधायक जितेंद्र गोठवाल।
तीन साल पुराने लालसोट के डॉ. अर्चना शर्मा सुसाइड केस में हाई कोर्ट ने खंडार से भाजपा विधायक जितेंद्र गोठवाल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ फ्रेम चार्जेज (आरोपों) को रद्द कर दिया है। जस्टिस गणेशराम मीणा की अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए अप
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कोर्ट ने आदेश में कहा कि पुलिस आरोपी जितेंद्र गोठवाल को मामले में शामिल मानते हुए अदालत में चार्जशीट पेश करती है। वहीं फिर से इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश करते हुए कहती है कि गोठवाल मामले में शामिल नहीं है।
इससे साफ है कि या तो पुलिस की पहली जांच साक्ष्य के बिना थी, या अब फाइनल जांच साक्ष्य रहित है, लेकिन सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जितेंद्र गोठवाल का इन्वॉल्वमेंट नहीं माना गया है।
वहीं पुलिस ने अन्य साक्ष्य जुटाने का दावा किया है। इसलिए ट्रायल कोर्ट की ओर से उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ फ्रेम किए गए चार्ज आदेश 9 सितंबर 2022 के आदेश को रद्द किया जाता है। ट्रायल कोर्ट एडीजे लालसोट को निर्देश दिया जाता है कि वह संपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फिर से आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम करने अथवा उन्हें बरी करने का आदेश दें।
निर्दोष व्यक्ति को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाए हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि अगर पुलिस की दूसरी जांच को सही माना जाए तो जितेंद्र गोठवाल के निर्दोष होने के बावजूद उन्हें 53 दिन कस्टडी में रखा गया। अदालत ने आदेश की कॉपी डीजीपी को भेजने के निर्देश देते हुए कहा कि डीजीपी यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कोई भी निर्दोष व्यक्ति सलाखों के पीछे नहीं जाए। वहीं भविष्य में मामलों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
31 मार्च 2022 को जितेंद्र गोठवाल को पुलिस ने अरेस्ट किया था।
ट्रायल कोर्ट ने फाइनल परिणाम का इंतजार नहीं किया गोठवाल के वकील हेमंत नाहटा ने बताया कि कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट पेश करते समय कहा था कि वह अतिरिक्त साक्ष्य एकत्र करने के लिए जांच पेंडिंग रख रही है। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने फाइनल जांच का इंतजार नहीं किया न ही पुलिस को फाइनल जांच जल्द पूरी करने के लिए कहा।
ट्रायल कोर्ट ने मौजूदा चार्जशीट के अनुसार ही चार्ज फ्रेम कर दिए। यह मामला साल 2022 से संबंधित है, इसलिए ट्रायल कोर्ट से यह अपेक्षा की जाती है कि वह यथाशीघ्र नया आदेश पारित करे। ताकि यदि आवश्यक हो तो ट्रायल आगे बढ़ सके।
डॉ अर्चना शर्मा ने किया था सुसाइड दौसा जिले के लालसोट में 29 मार्च 2022 को डॉ अर्चना शर्मा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। उनका शहर में एक हॉस्पिटल था। सुसाइड से एक दिन पहले 28 मार्च को डिलीवरी के दौरान एक प्रसूता की मौत हो गई थी। परिजनों ने शव रखकर डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने को लेकर धरना दे दिया था। धरने में स्थानीय नेता भी शामिल हो गए थे।
इसके अगले दिन डॉ. अर्चना शर्मा ने सुसाइड कर लिया था। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में आरोपियों की धमकी से परेशान और जेल जाने की चिंता का जिक्र किया था। इस केस में पुलिस ने जितेंद्र गोठवाल, शिवशंकर शर्मा उर्फ बल्या जोशी, बलराम बैरवा, राम खिलाड़ी, हरकेश मीणा और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी।
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