डेली कॉलेज : जयसिंह झाबुआ के खिलाफ फर्म्स एंड सोसायटी के आदेश पर हाई कोर्ट की रोक | High Court stays order of Firms and Society | Patrika News

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डेली कॉलेज : जयसिंह झाबुआ के खिलाफ फर्म्स एंड सोसायटी के आदेश पर हाई कोर्ट की रोक | High Court stays order of Firms and Society | Patrika News

डेली कॉलेज : जयसिंह झाबुआ के खिलाफ फर्म्स एंड सोसायटी के आदेश पर हाई कोर्ट की रोक | High Court stays order of Firms and Society | Patrika News

– जयसिंह झाबुआ की याचिका पर 45 मिनट चली बहस

– बोर्ड के सभी सदस्यों को नोटिस जारी, 4 सप्ताह में देना होगा जवाब

– बोर्ड बैठक में लिए गए फैसलों पर फिलहाल रोक नहीं

 

इंदौर

Updated: April 14, 2022 03:38:32 pm

इंदौर. प्रतिष्ठित स्कूल डेली कॉलेज के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का विवाद हाई कोर्ट पहुंच गया है। बोर्ड मेंबर रहे जयसिंह झाबुआ ने बोर्ड बैठक में शामिल होने एवं मताधिकार पर रोक लगाने से जुड़े रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। बुधवार को करीब 45 मिनट तक सुनवाई के बाद जस्टिस विजय कुमार शर्मा ने रजिस्ट्रार के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही बोर्ड के सभी सदस्यों के अलावा कलेक्टर, पूर्व प्रिंसिपल नीरज बेधोतिया सहित कुल 15 लोगों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। हालांकि बोर्ड बैठक में विक्रमसिंह पंवार को अध्यक्ष, राज्यवर्धन सिंह को उपाध्यक्ष और संजय पाहवा को नया सदस्य बनाने के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। कोर्ट के फैसले को लेकर बोर्ड सदस्यों का कहना है कि इससे व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा, क्योंकि नए बोर्ड का गठन सर्वसम्मति और नियमों के अनुसार ही किया गया है और उस पर कोई रोक नहीं है। झाबुआ की ओर से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने वर्चुअल बहस की। शाम करीब 4.15 से 5 बजे तक सुनवाई हुई और उसके बाद अंतरिम आदेश जारी किया गया।

डेली कॉलेज : जयसिंह झाबुआ के खिलाफ फर्म्स एंड सोसायटी के आदेश पर हाई कोर्ट की रोक

बिना पक्ष सुने कर दिया बोर्ड से बाहर तन्खा ने कोर्ट के समक्ष बोर्ड द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना था, फर्म्स एंड सोसायटी के जिस आदेश के चलते जयसिंह झाबुआ की सदस्यता खत्म की है, उस पर तारीख ही नहीं है। बैठक के ठीक पहले पुलिस और प्रशासन के अमले ने उन्हें बैठक से बाहर कर दिया। आरोपों को लेकर उनका पक्ष ही नहीं जाना गया। न्याय सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।

बैठक के एजेंडे में नया बोर्ड गठन नहीं तन्खा ने कहा, जयसिंह झाबुआ और नरेंद्र सिंह झाबुआ को जिस बैठक से बाहर किया गया था, उसके एजेंडे में कहीं भी नए बोर्ड का गठन नहीं था। बावजूद इसके मनमर्जी से नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बना दिए गए। नियमों के विरूद्ध नए सदस्य (संजय पाहवा) को बोर्ड में शामिल कर लिया गया।

रजिस्ट्रार के अधिकारों पर उठाए सवाल तन्खा ने फर्म्स एंड सोसायटी के रजिस्ट्रार के अधिकारों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि रजिस्ट्रार को यह अधिकार नहीं है कि वे तहसीलदार, एसडीएम और पुलिस को आदेश देकर किसी मीटिंग के सदस्यों को बैठक से बाहर कर सकें। कोर्ट ने इस बिंदु को अहम मानते हुए जयसिंह को अंतरिम राहत दी है। उनका कहना था कि सतबीरसिंह छाबड़ा की जिस शिकायत के आधार पर जयसिंह झाबुआ और नरेंद्रसिंह झाबुआ पर कार्रवाई की गई, वह झूठी है। तर्क रखा कि पूर्वाग्रह के तहत फैसले लिए गए।

शासन का तर्क, नियमों के अनुसार कार्रवाई शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की, जबकि अध्यक्ष विक्रमसिंह पंवार और राज्यवर्धन सिंह सहित अन्य की ओर से सीनियर एडवोकेट एके सेठी, वीके जैन, अंशुमान श्रीवास्तव ने पक्ष रखा। शासन का तर्क था कि पूरी कार्रवाई नियमों के अनुसार हुई है। बोर्ड पदाधिकारियों के वकीलों ने भी कार्रवाई को सही बताया।

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