डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम: प्रश्नकाल में पूछे गए सवालों के जवाब बहुत मूल्यवान हैं

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डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम:  प्रश्नकाल में पूछे गए सवालों के जवाब बहुत मूल्यवान हैं

डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम: प्रश्नकाल में पूछे गए सवालों के जवाब बहुत मूल्यवान हैं

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5 घंटे पहले

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डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं

प्रश्नकाल। यानी संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 60 मिनट का वो समय, जिसमें सांसद प्रश्न पूछते हैं और जिनका उत्तर मंत्रियों को लोकसभा और राज्यसभा में देना होता है। एक सांसद को अपने प्रश्न को कई सप्ताह पहले लिखित रूप में प्रस्तुत करना होता है। प्रश्नों के चयन के लिए मतदान होता है।

प्रश्नकाल सरकार को जवाबदेह ठहराने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। किंतु खेद की बात है कि अक्सर सूचनाओं के इस भंडार को अनदेखा कर दिया जाता है। 26 दिवसीय बजट सत्र के समापन पर सांसदों द्वारा उठाए गए दस चुनिंदा प्रश्न इस प्रकार हैं :

ईडी द्वारा दोषसिद्धि : सीपीआई (एम) के एए रहीम ने ईडी द्वारा दोषसिद्धि प्राप्त करने वालों के बारे में पूछताछ की। सरकार की प्रतिक्रिया में माना गया कि 2015 से 2025 के बीच सांसदों, विधायकों और राजनेताओं के खिलाफ 193 मामलों में से केवल दो में ही दोषसिद्धि हुई। यानी सिर्फ 1% की कंविक्शन-दर।

उपकर और सरचार्ज : टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और भाजपा के राव राजेंद्र सिंह ने सेस (उपकर) और सरचार्ज के संग्रह के बारे में पूछा। सरकार ने स्वीकारा कि वित्त वर्ष 2014 से 2025 के बीच वर्तमान में लगाए जा रहे उपकरों से राजस्व में 462% की वृद्धि हुई है। इसी अवधि के दौरान सरचार्ज में भी 999% की वृद्धि देखी गई है। संयुक्त रूप से, सभी उपकरों और सरचार्ज से संग्रह में कुल वृद्धि 304% है।

सिकल सेल एनीमिया : भाजपा के घनश्याम तिवारी ने सिकल सेल एनीमिया से निपटने के प्रयास में हुई प्रगति के बारे में पूछा। सरकार के जवाब में कहा गया कि मिशन के तहत वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद को आवंटित धन को वित्त वर्ष 2020 और 2024 के बीच 60% कम कर दिया गया है।

एकलव्य विद्यालय : कांग्रेस के डॉ. बच्छव शोभा दिनेश, सप्तगिरि शंकर उलाका, एंटो एंटनी, सीपीआई (एम) के एस. वेंकटेशन और भाजपा के विष्णु दयाल राम ने एकलव्य आवासीय विद्यालयों की स्थिति के बारे में पूछा। इन संस्थानों की स्थापना अजजा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए की गई थी।

सरकार ने माना कि हर तीन एकलव्य स्कूलों में से एक संचालित नहीं हो रहा है। ओडिशा में ऐसे सबसे अधिक स्कूल (108 में से 61) हैं, उसके बाद झारखंड (90 में से 39), मेघालय (सभी 37), नगालैंड (22 में से 19) और मणिपुर (21 में से 18) की बारी आती है।

पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन : सीपीआई (एम) के वी. शिवदासन ने पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत लाभार्थियों की स्थिति के बारे में पूछा। सरकार के जवाब में संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई। यह 2021 में 3,694 थी, जो 2024 में केवल 12 रह गई।

रेलवे में खाली पद : सपा के आनंद भदौरिया ने रेलवे में रिक्तियों, खास तौर पर सुरक्षा श्रेणी में वैकेंसी के बारे में पूछा। सरकार ने बताया 2024 में 92,116 रिक्तियां अधिसूचित की गईं, जिनमें से अधिकांश सुरक्षा से संबंधित पदों से जुड़ी हैं। हालांकि सरकार ने यह भी माना कि इनमें से आधे से भी कम रिक्तियों के लिए भर्ती का पहला चरण पूरा हो चुका है। बजट सत्र के दौरान भी प्रवेश परीक्षाएं चल रही थीं।

मनरेगा के तहत बकाया : टीएमसी के बापी हालदार ने मनरेगा के तहत लंबित बकाया राशि के बारे में पूछा। सरकार ने माना विभिन्न राज्यों और यूटी पर 25,000 करोड़ से अधिक बकाया है। यह भी स्वीकारा कि 2022 से बंगाल को मिलने वाली राशि निलंबित है।

आधार आधारित भुगतान : कांग्रेस के प्रशांत यादवराव पडोले ने आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) के तहत मनरेगा श्रमिकों की पात्रता के बारे में पूछा। एपीबीएस मनरेगा श्रमिकों के वेतन को सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खातों में भेजने के लिए आधार संख्या का उपयोग करता है। सरकार ने स्वीकार किया कि सभी मनरेगा श्रमिकों में से लगभग 30% एपीबीएस के माध्यम से भुगतान के लिए पात्र नहीं थे।

साइबर अपराध रोकथाम : डीएमके की कनिमोझी ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना के बारे में सवाल उठाया। योजना 2017 में शुरू की गई थी, लेकिन 2018 में किसी राज्य को धनराशि नहीं दी गई। 2023 में, 20 राज्यों और यूटी को योजना के तहत शून्य वित्तीय सहायता मिली।

जनधन खाते : कांग्रेस के प्रद्युत बोरदोलोई ने जीरो-बैलेंस और बंद पड़े जनधन खातों के बारे में पूछा। सरकार ने खुलासा किया कि पांच में से एक से अधिक खाते निष्क्रिय हैं और 8% में कोई धनराशि नहीं है।

संसद सत्रों के दौरान प्रतिदिन का प्रश्नकाल सरकार को जवाबदेह ठहराने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। किंतु खेद की बात है कि अक्सर बहुमूल्य सूचनाओं के इस भंडार को अनदेखा कर दिया जाता है। (ये लेखक के अपने विचार हैं। इस लेख के सहायक शोधकर्ता धीमंत जैन हैं।)

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