डीजल, पेट्रोल, राशन, तेल…महंगाई तोड़ रही आम आदमी की कमर लेकिन ये बड़ा सियासी मुद्दा तक नहीं! समझें कारण

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डीजल, पेट्रोल, राशन, तेल…महंगाई तोड़ रही आम आदमी की कमर लेकिन ये बड़ा सियासी मुद्दा तक नहीं! समझें कारण

डीजल, पेट्रोल, राशन, तेल…महंगाई तोड़ रही आम आदमी की कमर लेकिन ये बड़ा सियासी मुद्दा तक नहीं! समझें कारण

नई दिल्ली: अप्रैल महीने के राशन की लिस्ट लाला के पास भेजी। लाला ने कहा सामान ले जाओ पर कौन सा सामान कितने रुपये का है, ये सब दो-चार दिन में बताऊंगा…आप मानकर चलें कि हर सामान में 10 से 15 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। आप का महीने का राशन बिल जो करीब 4 हजार रुपये आता था, वह अब 4800 रुपये के आसपास आने की उम्मीद है। ये दास्तां हैं दिल्ली के एक औसत मिडिल क्लास परिवार की जो बढ़ती महंगाई की चपेट में फंस गया है।

देश में इस समय पेट्रोल, डीजल, एलपीजी सिलेंडर,आईजीएल, दूध, राशन और सब्जी समेत सभी रोजमर्रा की चीजों के दाम में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। उसके बावजूद महंगाई को लेकर अब तक देश में विरोध के स्वर प्रखर नहीं हुए हैं। हालांकि फेसबुक, ट्विटर समेत कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर थोड़ा बहुत महंगाई की चर्चा देखने को मिल रही है। ‘द कश्मीर फाइल्स’, ‘पाकिस्तान की सियासत’ और ‘रूस-यूक्रेन युद्ध’ ही चर्चा में हैं। महंगाई को लेकर कोई चिंतन नजर नहीं आ रहा है।

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उधर यूपीए (UPA) की सरकार में महंगाई को लेकर सड़क से संसद तक हंगामे की तस्वीर नजर आती थी, वह तस्वीर मोदी सरकार में नजर नहीं आ रही है। जबकि मोदी सरकार में सोशल मीडिया जैसा मजबूत हथियार महंगाई के मुद्दे को कुछ मिनटों में आंदोलन की शक्ल में बदल सकता है। आइये समझने की कौन करते हैं कि जिसकी वजह से देश की जनता महंगाई के मुद्दे को नजरअंदाज कर मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है।

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कोरोना महामारी के बाद बदली है लोगों की सोच
देश पिछले दो सालों से कोरोना महामारी की चपेट में था। कोरोना वायरस के कहर से लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन की भी घोषणा की गई थी। जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कई लोगों की नौकरियां, कई लोगों के कारोबार चौपट हुए। देश की जनता को आर्थिक संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन बांटने की योजना शुरू की। साथ ही लोगों की सीधे आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए कई तरह से करों में छूट दी। इस बीच सरकार ने देश की जनता को कोरोना से बचाने के लिए देश में वैक्सीन का निर्माण करवाया। साथ ही जनता को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन लगवाई गई। इससे सरकार के खजाने में काफी फर्क पड़ा। यह एक बड़ा कारण है कि सरकार महंगाई के मुद्दे को नजर अंदाज कर रही है।

महंगाई चुनाव में मुद्दा तक नहीं!

हाल में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 4 राज्यों में जीत हासिल की। महंगाई के बावजूद जनता का झुकाव बीजेपी और पीएम मोदी की तरफ दिख रहा है। अपने पक्ष में इस तरह के नतीजे कहीं न कहीं बीजेपी को विश्वास दे रहे कि जनता उसके कामों से संतुष्ट है, महंगाई का मुद्दा उसके लिए कोई बड़ी परेशानी वाली बात नहीं। विपक्ष खासकर कांग्रेस महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश जरूर कर रही है। देर से ही सही, सड़कों पर भी उतर रही। आलोचकों की मानें तो बीजेपी की ध्रुवीकरण की कोशिशों की वजह से महंगाई जैसे आम आदमी के मुद्दे दबकर रह गए हैं। हाल ही में रिलीज हुई ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को मोदी सरकार का भारी समर्थन मिला है। यह फिल्म अधिकांश बीजेपीशासित राज्यों में टैक्स फ्री भी की गई। इस फिल्म के बाद देश में हिंदू एकता को लेकर आवाज बुलंद हुई है। एक बड़ा तबका द कश्मीर फाइल्स को सरकार के समर्थन को भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश के रूप में देख रहा है, जिसका मकसद महंगाई जैसे मुद्दों से आम आदमी का ध्यान भटकाना है।

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यूक्रेन में फंसे छात्रों की घर वापसी ने जीता लोगों का दिल
यूक्रेन-युद्ध के बाद से न केवल देश की बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में इजाफे होने के बाद से देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हो गई है। जिसके चलते रोजमर्रा की सभी चीजें महंगी हो गई है। मगर मोदी सरकार ने जिस दमखम के साथ यूक्रेन के युद्ध ग्रस्त इलाकों में फंसे भारतीयों की सकुशल घर वापसी कराई है, उससे मोदी सरकार के प्रति देश की जनता में और विश्वास बढ़ा है। यह भी एक कारण हो सकता है देश की जनता महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर नहीं है।

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कमजोर विपक्ष, देश में नहीं कोई मजबूत विकल्प
बीजेपी सरकार साल 2014 में केंद्र की सत्ता पर आसीन हुई थी। देश की जनता ने महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार के खिलाफ मतदान किया था। यूपीए सरकार की कमियों को देश के आगे रखने में बीजेपी ने ही अहम भूमिका निभाई थी। उस समय बीजेपी एक मजबूत विपक्ष की तौर पर खड़ा था। मगर आज हालात पूरी तरह बदल गए हैं। देश की प्रमुख पार्टियों में शुमार कांग्रेस को लेकर देश की जनता काफी निराश है। जनता ने कांग्रेस से उम्मीद लगानी छोड़ दी है।

हालांकि महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस के कुछ प्रवक्ता सोशल मीडिया पर तो ऐक्टिव नजर आते हैं, लेकिन सड़क पर कोई बड़ा आंदोलन नहीं खड़ा कर पा रहे है। उधर यूपी चुनाव में हार के बाद यूपी में प्रमुख विपक्षी दल सपा भी शांत मुद्रा में दिख रहा है। महाराष्ट्र में शिवसेना और बंगाल में ममता सरकार भी मंहगाई को बड़ा मुद्दा बनाने में असफल रही हैं। उधर केजरीवाल सरकार भी बीजेपी को महंगाई के मुद्दे पर नहीं घेर पा रही है।



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