डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के औचक निरीक्षण के बीच सीतापुर की हर्षा ने चिकित्सा सुविधाओं की खोली पोल | Uttar Pradesh health facility condition after deputy CM visits of hosp | Patrika News h3>
पाठक के निरीक्षण बटोर रहे सुर्खियां योगी सरकार-02 में मंत्री से डिप्टी सीएम के पद पर प्रमोट हुए स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक इन दिनों काफी चर्चा में हैं। सरकार बनने के बाद से ही मंत्री काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। और लगातार अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। जिस तरह मंत्री जी सक्रिय हैं ऐसे में वे कहानियां याद आती है जब राजा अपने राज्य की जमीनी हकीकत जानने के लिए भेष बदल कर घूमा करते थे। आज ब्रजेश पाठक ठीक वैसा ही कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं हैं।
ये है पूरा मामला सीतापुर के तानसेनगंज निवासी संदीप जायसवाल के अनुसार उनकी 13 वर्षीय बेटी हर्षी करीब 2 महीने पहले घर में फिसल कर गिर गई थी। स्थानीय अस्पताल में दिखाने के बाद उसे लोहिया संस्थान रेफर किया गया। लोहिया संस्थान में डॉक्टर ने उसे भर्ती करके ऑपरेशन किया। तबीयत सुधरने के बाद छुट्टी दे दी गई। पिछले सप्ताह दोबारा उसकी तबीयत खराब हो गई। सीतापुर जिला अस्पताल में उसे भर्ती नहीं किया गया। मजबूरी में उसे एक बार फिर से लोहिया संस्थान लाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। मंगलवार तक उसकी हालत में खास सुधार नहीं हुआ। उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता थी,बावजूद इसके डॉक्टरों ने जबरदस्ती डिस्चार्ज कर दिया। पीडि़त का आरोप है कि अस्पताल से कहा गया कि या तो बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराएं या फिर घर में रखें।
क्या कहते हैं डॉक्टर इस मामले में प्रोफेसर एपी जैन इंचार्ज मीडिया सेल डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का कहना है कि मामला न्यूरो सर्जरी विभाग का है। इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्ची का बेहद जटिल ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद हालत सामान्य होने पर डिस्चार्ज किया गया। बच्ची ओपीडी में दिखा रही थी लेकिन पिछले दिनों उसकी हालत खराब हो गई। इसलिए उसे भर्ती किया गया। मंगलवार को बच्ची की हालत सामान्य थी और वो ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं थी। बच्ची का वीडियो देखने से लग रहा है कि भोजन देते समय उसकी सांस की नली में कुछ फंस गया। जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। मरीज को तुरंत इमरजेंसी में लाकर भर्ती कराया जाना चाहिए।
क्या इससे सुधरेगी स्थिति मरीजों के परिजनों और आम जनता का तो यही कहना है कि भले ही ब्रजेश पाठक के छापों से विभागीय कर्मचारियों में सरकार का डर बना हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग की स्थिति को बेहतर करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्टर को बेहतर करना भी जरूरी है। मरीजों की संख्या के मुकाबले प्रदेश के पास संसाधन कम हैं। राजधानी के केजीएमयू, लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई, जैसे बड़े अस्पतालों में मरीजों की संख्या के मुकाबले बेड और वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते मरीजों को दाखिला मिलने में दिक्कत होती है। कई बार वेंटीलेटर न मिलने से गंभीर मरीजों को जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में सिर्फ मंत्री के औचक निरीक्षण से कुछ नहीं होने वाला।
पाठक के निरीक्षण बटोर रहे सुर्खियां योगी सरकार-02 में मंत्री से डिप्टी सीएम के पद पर प्रमोट हुए स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक इन दिनों काफी चर्चा में हैं। सरकार बनने के बाद से ही मंत्री काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। और लगातार अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। जिस तरह मंत्री जी सक्रिय हैं ऐसे में वे कहानियां याद आती है जब राजा अपने राज्य की जमीनी हकीकत जानने के लिए भेष बदल कर घूमा करते थे। आज ब्रजेश पाठक ठीक वैसा ही कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं हैं।
ये है पूरा मामला सीतापुर के तानसेनगंज निवासी संदीप जायसवाल के अनुसार उनकी 13 वर्षीय बेटी हर्षी करीब 2 महीने पहले घर में फिसल कर गिर गई थी। स्थानीय अस्पताल में दिखाने के बाद उसे लोहिया संस्थान रेफर किया गया। लोहिया संस्थान में डॉक्टर ने उसे भर्ती करके ऑपरेशन किया। तबीयत सुधरने के बाद छुट्टी दे दी गई। पिछले सप्ताह दोबारा उसकी तबीयत खराब हो गई। सीतापुर जिला अस्पताल में उसे भर्ती नहीं किया गया। मजबूरी में उसे एक बार फिर से लोहिया संस्थान लाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। मंगलवार तक उसकी हालत में खास सुधार नहीं हुआ। उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता थी,बावजूद इसके डॉक्टरों ने जबरदस्ती डिस्चार्ज कर दिया। पीडि़त का आरोप है कि अस्पताल से कहा गया कि या तो बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराएं या फिर घर में रखें।
क्या कहते हैं डॉक्टर इस मामले में प्रोफेसर एपी जैन इंचार्ज मीडिया सेल डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का कहना है कि मामला न्यूरो सर्जरी विभाग का है। इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्ची का बेहद जटिल ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद हालत सामान्य होने पर डिस्चार्ज किया गया। बच्ची ओपीडी में दिखा रही थी लेकिन पिछले दिनों उसकी हालत खराब हो गई। इसलिए उसे भर्ती किया गया। मंगलवार को बच्ची की हालत सामान्य थी और वो ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं थी। बच्ची का वीडियो देखने से लग रहा है कि भोजन देते समय उसकी सांस की नली में कुछ फंस गया। जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। मरीज को तुरंत इमरजेंसी में लाकर भर्ती कराया जाना चाहिए।
क्या इससे सुधरेगी स्थिति मरीजों के परिजनों और आम जनता का तो यही कहना है कि भले ही ब्रजेश पाठक के छापों से विभागीय कर्मचारियों में सरकार का डर बना हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग की स्थिति को बेहतर करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्टर को बेहतर करना भी जरूरी है। मरीजों की संख्या के मुकाबले प्रदेश के पास संसाधन कम हैं। राजधानी के केजीएमयू, लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई, जैसे बड़े अस्पतालों में मरीजों की संख्या के मुकाबले बेड और वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते मरीजों को दाखिला मिलने में दिक्कत होती है। कई बार वेंटीलेटर न मिलने से गंभीर मरीजों को जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में सिर्फ मंत्री के औचक निरीक्षण से कुछ नहीं होने वाला।