डिजिटल अरेस्ट: 6 महीने में 32 मामलों में ढाई करोड़ की ठगी, सभी पीड़ितों की उम्र 50 से ज्यादा – Amritsar News

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डिजिटल अरेस्ट:  6 महीने में 32 मामलों में ढाई करोड़ की ठगी, सभी पीड़ितों की उम्र 50 से ज्यादा – Amritsar News

डिजिटल अरेस्ट: 6 महीने में 32 मामलों में ढाई करोड़ की ठगी, सभी पीड़ितों की उम्र 50 से ज्यादा – Amritsar News

संजय तिवारी | अमृतसर डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं सिटी में तेजी से बढ़ने लगी हैं। डिजिटल अरेस्ट का मतलब वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में ही कैद करके ठगी मारना होता है। 6 माह में 32 लोगों से 2 करोड़ ठगे जा चुके हैं जिनमें रिटायर कर्मचारी, इ

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डिजिटल अरेस्ट की अधिकतर शिकायतों में ठग खुद को मुंबई पुलिस का अफसर बताकर ठगी मार रहे हैं। हालांकि साइबर सैल पुलिस ने एक मामले पर एफआईआर दर्ज की और बाकी मामलों में जांच कर रही है। ठग पीड़ित पर नशा तस्करी, दुष्कर्म, मनी लॉन्ड्रिंग, हत्या में मदद जैसे फर्जी आरोप लगाकर उसे चंगुल में फंसाते हैं।

सबसे ज्यादा नशा तस्करी का आरोप लगाया जाता है। ठग पीड़ित को मानसिक तौर पर यह मानने के लिए तैयार कर लेते हैं कि उसके दस्तावेजों का उपयोग कर किसी ने उसे फंसा दिया है। ठग एकदम फिल्मी स्टाइल में पूरा सेटअप बनाकर ऑनलाइन फ्रॉड करते हैं।

पूरा सेटअप असली लगे, इसके लिए वह पुलिस की वर्दी के साथ वॉकी-टॉकी, फाइल्स और गन का इस्तेमाल करते हैं। वीडियो कॉल के बैकग्राउंड को पुलिस स्टेशन या सरकारी ऑफिस के जैसा डिजाइन किया जाता है। साइबर ठगी से बचने के लिए सतर्क रहें, अननोन लिंक पर क्लिक न करें।

ठगी का शिकार होने पर एक घंटे के अंदर 1930 नंबर डॉयल करके जानकारी दें तो रकम वापस आने की संभावना है। साइबर सैल थाना की ओर से सिटी में बोर्ड लगाकर और सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर जागरूक किया जा रहा है।

साइबर सैल एसएचओ राजबीर कौर ने बताया कि पूरी दुनिया में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई लीगल टर्म नहीं है। साइबर ठगों ने फ्रॉड का नया तरीका खोजा है। इसमें ठग सीबीआई, ईडी या पुलिस अफसर बनकर वीडियो कॉल करते हैं। झूठा आरोप लगा पीड़ित को डराकर डिजिटल अरेस्ट कर लेते हैं।

डिजिटल अरेस्ट संबंधी सवाल-जवाब। सवाल : कैसे काम करता है पूरा सिंडिकेट? जवाब : ऐसे गिरोह एक प्रोफेशनल की तरह काम करते हैं। आमतौर पर गिरोह 50 से 60 साल के लोगों को निशाना बनाते हैं जो रिटायर मुलाजिम या बिजनेसमैन हैं। इनका बड़ा सिंडिकेट है।

सवाल : जालसाजों की बात पर भरोसा क्यों कर लेते हैं लोग ? जवाब : इस तरह के अपराध करने वाले बदमाश लोगों के दिमाग के साथ खेलते हैं। ठग खुद को बड़ी एजेंसी जैसे सीबीआई, ईडी का अफसर बताते हैं। सवाल : डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए पीड़ित क्या करें ? जवाब : सबसे पहले 1930 नंबर डॉयल करके जानकारी दें।

एक घंटे के भीतर शिकायत आती है तो जो पैसे ठग के अकाउंट में गए होंगे उसे फ्रीज किया जा सकता है। सतर्क और जागरूक रहे। किसी भी अननोन लिंक पर क्लिक न करें ओर अपनी पर्सनल जानकारी किसी से शेयर न करें। सिटी के रहने वाले एक रिटायर्ड बिजली कर्मी डिजिटल अरेस्ट ठगी के शिकार बन गए।

साइबर ठग ने उनके बैंक अकाउंट से 17 लाख की ठगी मार ली। उन्हें सोशल मीडिया ऐप पर एक पुलिस अफसर जिसके कंधे पर तीन-तीन स्टार लगे थे, डिजिटल अरेस्ट होने की धमकी दी। कॉल करने वाले ने बताया कि वह महाराष्ट्र पुलिस का अफसर है। बैंक ग्राउंड में पूरा थाना जैसा सेटअप बना रखा था।

उन पर किसी लड़की का वीडियो वायरल करने और दुष्कर्म करने का आरोप लगाकर डराया गया। मामले में से बचने के लिए उसने 10 लाख रुपए की डिमांड की। जैसे-जैसे साइबर ठग ने उन्हें लिंक भेजकर ऑन करने को कहा और वह वैसा करने लग गए। उनके बैंक अकाउंट से 17 लाख रुपए निकल गए। यह घटना नवंबर 2024 की है।

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