डाटा हो या ई-वॉलेट, नहीं पड़ेगा डाका… साइबर स्वच्छता जरूरी…1930 पर कॉल करें | Cyber cleanliness is important to protect data or e-wallet, call 1930 | News 4 Social h3>
इंदौरPublished: Feb 23, 2024 01:19:54 pm
– साइबर क्राइम पर अंकुश : राष्ट्रीय औसत से ज्यादा साइबर अपराधों से पीडि़त हमारा प्रदेश
– साइबर ऑडिट की सुविधाओं का इस्तेमाल कर पुख्ता करें अपने ऑनलाइन लेन-देन की सुरक्षा
Cyber cleanliness is important to protect your data or e-wallet…call 1930
इंदौर. सबसे स्वच्छ राज्यों में शुमार अपने प्रदेश में अब साइबर स्वच्छता को अपनाने पर जोर है। यहां बेकाबू साइबर अपराधी आए दिन कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। इन पर अंकुश के लिए अब साइबर स्वच्छता केंद्र प्रिवेंटिव पहल करेंगे। इसके लिए जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (आइ4सी) पीडि़तों को फौरी राहत देंगे, वहीं आम से खास तक किसी के भी ऑनलाइन डाटा पर डाका नहीं पड़े, इसके पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। साइबर ऑडिट की व्यवस्था में प्रमुख सरकारी साइट के अलावा आइआइएम-आइआइटी, आरआर कैट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान के पोर्टल सुरक्षित करने पर फोकस रहेगा।
प्रदेश में साइबर क्राइम के डरावने आंकड़ों की बानगी ये है कि यहां 12.3 प्रतिशत की राष्ट्रीय दर से ये बढ़ रहे हैं। आईटी एक्ट में दर्ज मामलों में सबसे अधिक 71 फीसदी ऑनलाइन धोखाधड़ी के हैं, इनमें ठगे जाने वाले सैकड़ों लोग हर साल अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठे हैं। सोशल साइटों पर नीचा दिखने वाले संदेशों की भी भरमार है। पांच फीसदी से ज्यादा एडल्ट कंटेंट या डीप फेक जैसे शर्मसार करने वाले मामले परेशानी का सबब बने हैं। सबसे अधिक पीडि़त-प्रभावित शहरों में इंदौर और भोपाल शामिल हैं।
पश्चिमी जोन में रखा मध्यप्रदेश
चुनौतियों से निपटने को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश को आइ4सी केंद्रों के पश्चिमी जोन में रखा है। यह अहमदाबाद में है। विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश में वारदात करने वाले ज्यादातर दूसरे राज्यों के होते हैं, इसलिए उनकी ट्रेसिंग-ट्रैकिंग और गिरफ्तारी के लिए राज्यों के बीच समन्वय जरूरी है। साइबर सुरक्षा दस्ते के रूप में 6000 अधिकारी और 23 हजार से अधिक एनसीसी कैडेट्स की ट्रेंड फोर्स राज्य और प्रमुख शहरों में उतरने की तैयारी में है। यह टीम शिकायत मिलते ही सिम ब्लॉक करने के अलावा आइएमइआइ नंबर बंद करने में तत्पर रहेगी।
साइबर स्वच्छता केंद्र करेगा नि:शुल्क जांच
केंद्रीय स्तर पर नेशनल साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) एक्टिव किया गया है, इस पर हेल्पलाइन नंबर 1930 से ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराते ही ट्रेंड फोर्स सक्रिय होगी। जिस बैंक अकाउंट या ई-वॉलेट से लेन-देन हुआ, ट्रेस करके ब्लॉक करेगी। आपके ई-संसाधन जैसे लैपटॉप, मोबाइल अन्य टूल साइबर की दृष्टि से सुरक्षित हैं अथवा नहीं, इसका परीक्षण कराया जा सकता है। साइबर स्वच्छता केंद्र (सीएसके) की साइट पर जाकर अपने ई-गैजेट को ई-स्कैन एंटीवायरस, के-7 सिक्युरिटी की जांच नि:शुल्क करवा सकते हैं। इंदौर पुलिस की साइबर सिक्युरिटी साइट पर भी ऑडिट कराया जा सकता है।
मप्र में 2022-23 में साइबर केस
दर्ज साइबर मामले: 826
चालान पेश मामले: 471
दोषसिद्ध मामले : 59
गिरफ्तार किए गए आरोपी: 664
आरोप पत्र दा खिल आरोपी : 723
दोषसिद्ध अपराधी: 78
ये हुईं बड़ी पहल
– राज्य क्षेत्र के जांच अधिकारियों की फॉरेंसिक सहायता के लिए राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला हैदराबाद में स्थापित की गई है।
– वृहद स्तर पर ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं। इसके लिए अब तक 76,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों के पंजीयन के अलावा 53000 लोगों ने प्र शिक्षण पूर्ण कर लिया है।
– 24600 से अ धिक विधि कार्मिकों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध संबंधी जानकारी, जांच, फॉरेंसिक के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई।
– आइ4सी के माध्यम से अब तक 4.7 लाख से अधिक शिकायतों में 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि रिकवर की गई।
– अब तक किए गए रिपोर्ट मामलों की कार्रवाई में 3.2 लाख से अधिक सिम कार्ड और 49000 आइएमइआइएस को ब्लॉक किया गया।
एक्सपर्ट
साइबर स्वच्छता को मूर्त रूप देने के लिए कई स्तर पर प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके अंतर्गत जागरूकता के साथ साइबर ऑडिट की व्यवस्था को पुख्ता किया जा रहा है, ताकि कोई आसानी से साइबर क्रिमिनल्स का निशाना न बन सके।
-जितेंद्र सिंह (साइबर एसपी, इंदौर)
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इंदौरPublished: Feb 23, 2024 01:19:54 pm
– साइबर क्राइम पर अंकुश : राष्ट्रीय औसत से ज्यादा साइबर अपराधों से पीडि़त हमारा प्रदेश
– साइबर ऑडिट की सुविधाओं का इस्तेमाल कर पुख्ता करें अपने ऑनलाइन लेन-देन की सुरक्षा
Cyber cleanliness is important to protect your data or e-wallet…call 1930
इंदौर. सबसे स्वच्छ राज्यों में शुमार अपने प्रदेश में अब साइबर स्वच्छता को अपनाने पर जोर है। यहां बेकाबू साइबर अपराधी आए दिन कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। इन पर अंकुश के लिए अब साइबर स्वच्छता केंद्र प्रिवेंटिव पहल करेंगे। इसके लिए जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (आइ4सी) पीडि़तों को फौरी राहत देंगे, वहीं आम से खास तक किसी के भी ऑनलाइन डाटा पर डाका नहीं पड़े, इसके पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। साइबर ऑडिट की व्यवस्था में प्रमुख सरकारी साइट के अलावा आइआइएम-आइआइटी, आरआर कैट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान के पोर्टल सुरक्षित करने पर फोकस रहेगा।
प्रदेश में साइबर क्राइम के डरावने आंकड़ों की बानगी ये है कि यहां 12.3 प्रतिशत की राष्ट्रीय दर से ये बढ़ रहे हैं। आईटी एक्ट में दर्ज मामलों में सबसे अधिक 71 फीसदी ऑनलाइन धोखाधड़ी के हैं, इनमें ठगे जाने वाले सैकड़ों लोग हर साल अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठे हैं। सोशल साइटों पर नीचा दिखने वाले संदेशों की भी भरमार है। पांच फीसदी से ज्यादा एडल्ट कंटेंट या डीप फेक जैसे शर्मसार करने वाले मामले परेशानी का सबब बने हैं। सबसे अधिक पीडि़त-प्रभावित शहरों में इंदौर और भोपाल शामिल हैं।
पश्चिमी जोन में रखा मध्यप्रदेश
चुनौतियों से निपटने को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश को आइ4सी केंद्रों के पश्चिमी जोन में रखा है। यह अहमदाबाद में है। विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश में वारदात करने वाले ज्यादातर दूसरे राज्यों के होते हैं, इसलिए उनकी ट्रेसिंग-ट्रैकिंग और गिरफ्तारी के लिए राज्यों के बीच समन्वय जरूरी है। साइबर सुरक्षा दस्ते के रूप में 6000 अधिकारी और 23 हजार से अधिक एनसीसी कैडेट्स की ट्रेंड फोर्स राज्य और प्रमुख शहरों में उतरने की तैयारी में है। यह टीम शिकायत मिलते ही सिम ब्लॉक करने के अलावा आइएमइआइ नंबर बंद करने में तत्पर रहेगी।
साइबर स्वच्छता केंद्र करेगा नि:शुल्क जांच
केंद्रीय स्तर पर नेशनल साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) एक्टिव किया गया है, इस पर हेल्पलाइन नंबर 1930 से ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराते ही ट्रेंड फोर्स सक्रिय होगी। जिस बैंक अकाउंट या ई-वॉलेट से लेन-देन हुआ, ट्रेस करके ब्लॉक करेगी। आपके ई-संसाधन जैसे लैपटॉप, मोबाइल अन्य टूल साइबर की दृष्टि से सुरक्षित हैं अथवा नहीं, इसका परीक्षण कराया जा सकता है। साइबर स्वच्छता केंद्र (सीएसके) की साइट पर जाकर अपने ई-गैजेट को ई-स्कैन एंटीवायरस, के-7 सिक्युरिटी की जांच नि:शुल्क करवा सकते हैं। इंदौर पुलिस की साइबर सिक्युरिटी साइट पर भी ऑडिट कराया जा सकता है।
मप्र में 2022-23 में साइबर केस
दर्ज साइबर मामले: 826
चालान पेश मामले: 471
दोषसिद्ध मामले : 59
गिरफ्तार किए गए आरोपी: 664
आरोप पत्र दा खिल आरोपी : 723
दोषसिद्ध अपराधी: 78
ये हुईं बड़ी पहल
– राज्य क्षेत्र के जांच अधिकारियों की फॉरेंसिक सहायता के लिए राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला हैदराबाद में स्थापित की गई है।
– वृहद स्तर पर ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं। इसके लिए अब तक 76,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों के पंजीयन के अलावा 53000 लोगों ने प्र शिक्षण पूर्ण कर लिया है।
– 24600 से अ धिक विधि कार्मिकों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध संबंधी जानकारी, जांच, फॉरेंसिक के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई।
– आइ4सी के माध्यम से अब तक 4.7 लाख से अधिक शिकायतों में 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि रिकवर की गई।
– अब तक किए गए रिपोर्ट मामलों की कार्रवाई में 3.2 लाख से अधिक सिम कार्ड और 49000 आइएमइआइएस को ब्लॉक किया गया।
एक्सपर्ट
साइबर स्वच्छता को मूर्त रूप देने के लिए कई स्तर पर प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके अंतर्गत जागरूकता के साथ साइबर ऑडिट की व्यवस्था को पुख्ता किया जा रहा है, ताकि कोई आसानी से साइबर क्रिमिनल्स का निशाना न बन सके।
-जितेंद्र सिंह (साइबर एसपी, इंदौर)