डर का बरगी में प्रस्तावित परमाणु बिजली घर! | proposed nuclear power house in Bargi started to scare | Patrika News h3>
– मजबूरी की कहानी- विस्थापन का दर्द…बेदखली…जानलेवा रेडिएशन का खतरा
– आरोप-औने-पौने दाम पर घर और खेती की जमीन का मुआवजा प्रभावितों के खाते में ट्रांसफर
प्वाइंटर
– बरगी बांध के विस्थापित चुटका गांव में 700-700 मेगावाट की यूनिट लगाने की तैयारी
– आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों को झेलना पड़ सकता है फिर से विस्थापन का दंश
– विरोध और विवादों में फंसी प्रस्तावित परियोजना, मुआवजा नाम मात्र देने का लग रहा आरोप
जबलपुर
Published: April 20, 2022 10:43:33 pm
जबलपुर के बरगी बांध के कुछ प्रभावितों को एक बार फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। इस बात का डर ग्रामीणों को प्रस्तावित चुटका परमाणु बिजली परियोजना के कारण सता रहा है। बांध से सटे चुटका गांव के अलावा मंडला जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव इसकी जद में आएंगे। प्रभावितों को औने-पौने मुआवजे और रेडिएशन के खतरे की आशंकाओं के चलते भी परियोजना विवादों के घेरे में है। ग्रामीणों का आरोप है कि सहमति के बिना प्रशासन ने मुआवजे की राशि उनके खातों में ट्रांसफर कर दी है। उनका कहना है कि बांध के कारण एक बार विस्थापन का दर्द झेल चुके हैं। अब और बेदखली बर्दाश्त नहीं करेंगे। परमाणु रेडिएशन का खतरा भी नहीं सहेंगे।
विरोध के चलते रुका काम
देश में बिजली की कमी पूरी करने के लिए विगत वर्षों में केंद्र सरकार ने पांच परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रदेश में बरगी बांध के पास चुटका में 700-700 मेगावाट की दो यूनिट स्थापित की जानी है। प्रशासकीय अनुमोदन और वित्तीय मंजूरी मिलने के बाद महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के लिए क्रमिक रूप से कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है। प्रारम्भिक तौर पर जगह का चयन और अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने पर यूनिट का निर्माण शुरू हो सकेगा। हाल ही में परियोजना स्थल को जोडऩे वाली सडक़ बनाने का काम शुरू हुआ। ग्रामीणों के विरोध के चलते वह आगे नहीं बढ़ा। प्रशासन का दावा है कि चुटका समेत देश में पांचों परियोजनाओं के पूरा होने पर 9000 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली क्षमता हासिल होगी।
तीन लाख 83 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा
ग्रामीणों ने चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन का रास्ता अख्तिायर किया है। इसके पदाधिकारियों का कहना है कि कुंदा, चुटका, टाटीघाट मंडला जिला के अंतर्गत आते हैं। इनकी जमीन ली जा रही है। यह आदिवासी बहुल इलाका है। वहां पिछले दिनों रोड निर्माण का काम रोका गया। क्योंकि, वे परियोजना नहीं चाहते। समिति के अध्यक्ष दादूलाल कुड़ापे ने बताया कि बिना सहमति के तेरह-चौदह परिवारों के खातों में मुआवजा का पैसा ट्रांसफर कर दिया गया। मकान का 50 हजार से एक लाख और खेती की जमीन का मात्र तीन लाख 83 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तय किया गया। यह बाजार मूल्य से काफी कम है।
फसलों को भी नुकसान
पीडि़तों ने अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने बताया कि एक बार बरगी बांध के डूब में आ चुके हैं। रेडिएशन के खतरों की आशंका के बीच तारापुर और रावतभाटा परमाणु बिजली यूनिट्स का भ्रमण किया। वहां के स्थानीय लोगों ने इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताया कि लोग पहले से ज्यादा बीमार पड़ते हैं। फसलों को भी नुकसान होता है। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर भी ग्रामीणों के समर्थन में धरना दे चुकी हैं।
ये हैं परियोजना से जुड़े अहम तथ्य
– मंडला जिले की 231 हेक्टेयर तथा सिवनी की 29 हेक्टेयर इस तरह कुल 260 हेक्टेयर बरगी डूब की भूमि न्यूक्लीयर पावर कॉर्पोरेशन को देने का निर्णय किया गया है।
– चुटका परियोजना के लिए 54.46 हेक्टेयर आरक्षित वन तथा 65 हेक्टेयर राजस्व वन कुल 119 हेक्टेयर भूमि को परियोजना के लिए परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
– बिजली बनाने में पानी की बड़ी मात्रा के इस्तेमाल का अनुमान है। इसकी आपूर्ति बरगी जलाशय से होनी है। आशंका है कि इससे मौजूदा सिंचाई का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
– चुटका के आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा कारणों से जलाशय में मत्स्याखेट तथा डूब से खुलने वाली भूमि पर खेती करना प्रतिबंधित होने की आशंका है। इससे स्थानीय लोगों को आजीविका छिन जाने का डर है।
प्रस्तावित नाभकीय विद्युत परियोजना
स्थान परियोजना क्षमता
1. चुटका (मध्यप्रदेश) चुटका-1, चुटका-2 700-700 मेगावाट
2. माही (राजस्थान) माही-3, माही-4 700-700 मेगावाट
3. गोरखपुर (हरियाणा) एचएवीपी-3 व 4 700-700 मेगावाट
4. कैगा (कर्नाटक) कैगा-5, कैगा-6 700-700 मेगावाट
5. कुडनकुलम (तमिलनाडु) केकेएनपी-5 व 6 1000-1000 मेगावाट
वर्जन
चुटका परमाणु बिजलीघर परियोजना की प्रगति के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के द्वारा भी इस विषय में एक बैठक ली थी। इसमें तमाम बिंदुओं को रखा गया था। कलेक्टर मंडला को निर्देश दिए गए हैं कि विस्थापितों की समस्याओं का यथासंभव निराकरण करें। इसमें उनके साथ बातचीत को प्राथमिकता देने कहा है।
बी. चंद्रशेखर, संभागायुक्त जबलपुर संभाग
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– मजबूरी की कहानी- विस्थापन का दर्द…बेदखली…जानलेवा रेडिएशन का खतरा
– आरोप-औने-पौने दाम पर घर और खेती की जमीन का मुआवजा प्रभावितों के खाते में ट्रांसफर
प्वाइंटर
– बरगी बांध के विस्थापित चुटका गांव में 700-700 मेगावाट की यूनिट लगाने की तैयारी
– आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों को झेलना पड़ सकता है फिर से विस्थापन का दंश
– विरोध और विवादों में फंसी प्रस्तावित परियोजना, मुआवजा नाम मात्र देने का लग रहा आरोप
जबलपुर
Published: April 20, 2022 10:43:33 pm
जबलपुर के बरगी बांध के कुछ प्रभावितों को एक बार फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। इस बात का डर ग्रामीणों को प्रस्तावित चुटका परमाणु बिजली परियोजना के कारण सता रहा है। बांध से सटे चुटका गांव के अलावा मंडला जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव इसकी जद में आएंगे। प्रभावितों को औने-पौने मुआवजे और रेडिएशन के खतरे की आशंकाओं के चलते भी परियोजना विवादों के घेरे में है। ग्रामीणों का आरोप है कि सहमति के बिना प्रशासन ने मुआवजे की राशि उनके खातों में ट्रांसफर कर दी है। उनका कहना है कि बांध के कारण एक बार विस्थापन का दर्द झेल चुके हैं। अब और बेदखली बर्दाश्त नहीं करेंगे। परमाणु रेडिएशन का खतरा भी नहीं सहेंगे।
विरोध के चलते रुका काम
देश में बिजली की कमी पूरी करने के लिए विगत वर्षों में केंद्र सरकार ने पांच परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रदेश में बरगी बांध के पास चुटका में 700-700 मेगावाट की दो यूनिट स्थापित की जानी है। प्रशासकीय अनुमोदन और वित्तीय मंजूरी मिलने के बाद महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के लिए क्रमिक रूप से कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है। प्रारम्भिक तौर पर जगह का चयन और अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने पर यूनिट का निर्माण शुरू हो सकेगा। हाल ही में परियोजना स्थल को जोडऩे वाली सडक़ बनाने का काम शुरू हुआ। ग्रामीणों के विरोध के चलते वह आगे नहीं बढ़ा। प्रशासन का दावा है कि चुटका समेत देश में पांचों परियोजनाओं के पूरा होने पर 9000 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली क्षमता हासिल होगी।
तीन लाख 83 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा
ग्रामीणों ने चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन का रास्ता अख्तिायर किया है। इसके पदाधिकारियों का कहना है कि कुंदा, चुटका, टाटीघाट मंडला जिला के अंतर्गत आते हैं। इनकी जमीन ली जा रही है। यह आदिवासी बहुल इलाका है। वहां पिछले दिनों रोड निर्माण का काम रोका गया। क्योंकि, वे परियोजना नहीं चाहते। समिति के अध्यक्ष दादूलाल कुड़ापे ने बताया कि बिना सहमति के तेरह-चौदह परिवारों के खातों में मुआवजा का पैसा ट्रांसफर कर दिया गया। मकान का 50 हजार से एक लाख और खेती की जमीन का मात्र तीन लाख 83 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तय किया गया। यह बाजार मूल्य से काफी कम है।
फसलों को भी नुकसान
पीडि़तों ने अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने बताया कि एक बार बरगी बांध के डूब में आ चुके हैं। रेडिएशन के खतरों की आशंका के बीच तारापुर और रावतभाटा परमाणु बिजली यूनिट्स का भ्रमण किया। वहां के स्थानीय लोगों ने इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताया कि लोग पहले से ज्यादा बीमार पड़ते हैं। फसलों को भी नुकसान होता है। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर भी ग्रामीणों के समर्थन में धरना दे चुकी हैं।
ये हैं परियोजना से जुड़े अहम तथ्य
– मंडला जिले की 231 हेक्टेयर तथा सिवनी की 29 हेक्टेयर इस तरह कुल 260 हेक्टेयर बरगी डूब की भूमि न्यूक्लीयर पावर कॉर्पोरेशन को देने का निर्णय किया गया है।
– चुटका परियोजना के लिए 54.46 हेक्टेयर आरक्षित वन तथा 65 हेक्टेयर राजस्व वन कुल 119 हेक्टेयर भूमि को परियोजना के लिए परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
– बिजली बनाने में पानी की बड़ी मात्रा के इस्तेमाल का अनुमान है। इसकी आपूर्ति बरगी जलाशय से होनी है। आशंका है कि इससे मौजूदा सिंचाई का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
– चुटका के आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा कारणों से जलाशय में मत्स्याखेट तथा डूब से खुलने वाली भूमि पर खेती करना प्रतिबंधित होने की आशंका है। इससे स्थानीय लोगों को आजीविका छिन जाने का डर है।
प्रस्तावित नाभकीय विद्युत परियोजना
स्थान परियोजना क्षमता
1. चुटका (मध्यप्रदेश) चुटका-1, चुटका-2 700-700 मेगावाट
2. माही (राजस्थान) माही-3, माही-4 700-700 मेगावाट
3. गोरखपुर (हरियाणा) एचएवीपी-3 व 4 700-700 मेगावाट
4. कैगा (कर्नाटक) कैगा-5, कैगा-6 700-700 मेगावाट
5. कुडनकुलम (तमिलनाडु) केकेएनपी-5 व 6 1000-1000 मेगावाट
वर्जन
चुटका परमाणु बिजलीघर परियोजना की प्रगति के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के द्वारा भी इस विषय में एक बैठक ली थी। इसमें तमाम बिंदुओं को रखा गया था। कलेक्टर मंडला को निर्देश दिए गए हैं कि विस्थापितों की समस्याओं का यथासंभव निराकरण करें। इसमें उनके साथ बातचीत को प्राथमिकता देने कहा है।
बी. चंद्रशेखर, संभागायुक्त जबलपुर संभाग
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