ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री का हर रोज का घाटा 1,600 करोड़ रुपये का, जाने क्यों

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ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री का हर रोज का घाटा 1,600 करोड़ रुपये का, जाने क्यों


ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री का हर रोज का घाटा 1,600 करोड़ रुपये का, जाने क्यों

हाइलाइट्स:

  • लॉकडाउन के बीच अधिकतर ट्रक सड़कों से बाहर हैं
  • इस वजह से ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को हर रोज 1600 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है
  • ऐसे में डीजल भी महंगा हो रहा है
  • इसे देखते हुए ट्रकरों ने सरकार से डीजल प्रट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है

नई दिल्ली
कोरोना की दूसरी लहर (2nd wave of corona) के बीच लगभग पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) है। ऐसे में रोजमर्रा के सामानों (Essential Goods) से लेकर अन्य सामानों की मांग घटी है। इसी से घटी है इन सामानों को ढोने वाले ट्रकों (Demand of Trucks) की भी मांग। इसलिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर (Transport Sector) को काम नहीं मिल रहा है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) का आकलन है कि इस वजह से ट्रक ट्रांसपोर्ट सेक्टर (Truck Transport) को हर रोज 1,600 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

ट्रकों की मांग में 65 फीसदी की कमी
एआईएमटीसी (AIMTC) के महासचिव नवीन गुप्ता का कहना है कि आज देश ही नहीं परिवहन उद्योग भी कोरोना और आर्थिक महामारी के जूझ रहा है। पूरा देश में नए प्रतिबंधों और लॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में मोटर वाहनों की मांग में लगभग 65 फीसदी की कमी आई है। उनका कहना है कि इस समय अंरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं। पर देश में डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। देश की दयनीय स्थिति और ट्रांसपोर्ट ट्रेड को राहत के लिए ट्रांसपोर्टर्स की मांग है कि डीज़ल के दाम कम किये जाएं।

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पेट्रोल-डीजल आए जीएसटी के दायरे में
एआईएमटीसी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पेट्रोल और डीज़ल को वस्तु एवं सेवा कर जी.एस.टी. के दायरे में लाया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो इस पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी कम करे। राज्य सरकारें भी इन ईंधनों पर अपना वैट कम कर ट्रांसपोर्ट सेक्टर और आम आदमी को राहत दे। इसके साथ ही डीज़ल और पेट्रोल की कीमतें पूरे देश में एक सामान हों। इसकी कीमतों में संशोधन तिमाही या फिर मासिक आधार पर होना चाहिए।

हर रोज 1600 करोड़ रुपये का नुकसान
एआईएमटीसी रिसर्च यूनिट द्वारा किए गए ताजा आकलन के अनुसार, इन विषम परिस्थितियों के बीच ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री (Truck Transport Industry) का दैनिक घाटा लगभग 1,600 करोड़ रुपये हो गया है। यह कोरोना से प्रेरित लॉकडाउन और प्रतिबंधों की तीव्रता और अवधि के साथ और बढ़ रहा है।

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ट्रांसपोर्टरों को पैकेज दे सरकार
ट्रक ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि इस क्षेत्र को वित्तीय संकट से बचाने के लिए सरकार इनके लिए एक आर्थिक पैकेज ले कर आए। इस समय ट्रांसपोर्टरों को भी ईएमआई मोरेटोरियम, बीमा प्रीमियम भरने से छूट, मोटर व्हीकल एक्ट के डाक्यूमेंट्स एवं ई-वे बिल वैधता विस्तार पर सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। उनका कहना है कि इस समय कई राज्यों ने गैर-जरूरी सामानों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी आड़ में जमीनी स्तर पर पुलिस और आर.टी.ओ. अवैध वसूली कर रहे हैं। सरकार इस पर ध्यान दे।

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