टॉप-10 कंपनियों में 8 की वैल्यू ₹88 हजार करोड़ बढ़ी: HDFC बैंक टॉप गेनर, मार्केट कैप ₹44,934 करोड़ बढ़ा, इंफोसिस की वैल्यू ₹9000 कम हुई h3>
मुंबई12 घंटे पहले
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मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 8 की मार्केट वैल्यू बीते हफ्ते के कारोबार में 88,086 करोड़ रुपए बढ़ गई है। इस दौरान प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC टॉप गेनर रहा। बैंक का मार्केट कैप ₹44,934 करोड़ बढ़कर 13.99 लाख रुपए पर पहुंच गया है।
HDFC के अलावा, SBIकी वैल्यू 16,600 करोड़ बढ़कर 6.89 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। वहीं, TCS की वैल्यू 9,063 करोड़ रुपए, ICICI बैंक की 5,140 करोड़ और ITC की वैल्यू 5,033 करोड़ रुपए बढ़ी है।
रिलायंस की वैल्यू ₹9,136 करोड़ गिरी
पिछले हफ्ते इंफोसिस और रिलायंस की वैल्यूएशन में गिरावट रही। रिलायंस की वैल्यू ₹9,136 करोड़ गिरकर ₹6.52 लाख करोड़ पर आ गई है। वही, देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस का मार्केट कैप 1,962 करोड़ रुपए बढ़कर ₹17.25 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।
इस हफ्ते 280 अंक चढ़ा सेंसेक्स
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार (28 मार्च) को सेंसेक्स करीब 198 अंक गिरकर 77,414 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में करीब 72 अंकों की गिरावट रही, ये 23,519 पर बंद हुआ। इस हफ्ते सेंसेक्स 280 अंक चढ़ा है।
शुक्रवार को सेंसेक्स के 30 शेयरों मे से 11 में तेजी जबकि 19 में गिरावट रही। इंडसइंड बैंक में सबसे ज्यादा 3.5% की गिरावट रही। जबकि, कोटक महिंद्रा बैंक, HUL और ICICI बैंक में करीब 1% की तेजी रही।
NSE के 50 शेयरों में से 19 में तेजी जबकि 31 में गिरावट रही। सेक्टोरल इंडाइसेज में निफ्टी मीडिया सबसे ज्यादा 2.29% गिरा। निफ्टी आईटी में 1.76% और निफ्टी रियल्टी में 1.42% की गिरावट रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीव्ड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 8 की मार्केट वैल्यू बीते हफ्ते के कारोबार में 88,086 करोड़ रुपए बढ़ गई है। इस दौरान प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC टॉप गेनर रहा। बैंक का मार्केट कैप ₹44,934 करोड़ बढ़कर 13.99 लाख रुपए पर पहुंच गया है।
HDFC के अलावा, SBIकी वैल्यू 16,600 करोड़ बढ़कर 6.89 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। वहीं, TCS की वैल्यू 9,063 करोड़ रुपए, ICICI बैंक की 5,140 करोड़ और ITC की वैल्यू 5,033 करोड़ रुपए बढ़ी है।
रिलायंस की वैल्यू ₹9,136 करोड़ गिरी
पिछले हफ्ते इंफोसिस और रिलायंस की वैल्यूएशन में गिरावट रही। रिलायंस की वैल्यू ₹9,136 करोड़ गिरकर ₹6.52 लाख करोड़ पर आ गई है। वही, देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस का मार्केट कैप 1,962 करोड़ रुपए बढ़कर ₹17.25 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।
इस हफ्ते 280 अंक चढ़ा सेंसेक्स
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार (28 मार्च) को सेंसेक्स करीब 198 अंक गिरकर 77,414 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में करीब 72 अंकों की गिरावट रही, ये 23,519 पर बंद हुआ। इस हफ्ते सेंसेक्स 280 अंक चढ़ा है।
शुक्रवार को सेंसेक्स के 30 शेयरों मे से 11 में तेजी जबकि 19 में गिरावट रही। इंडसइंड बैंक में सबसे ज्यादा 3.5% की गिरावट रही। जबकि, कोटक महिंद्रा बैंक, HUL और ICICI बैंक में करीब 1% की तेजी रही।
NSE के 50 शेयरों में से 19 में तेजी जबकि 31 में गिरावट रही। सेक्टोरल इंडाइसेज में निफ्टी मीडिया सबसे ज्यादा 2.29% गिरा। निफ्टी आईटी में 1.76% और निफ्टी रियल्टी में 1.42% की गिरावट रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीव्ड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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