‘टेसू बेटा यहीं खड़े’ की आवाज होने लगी विलुप्त, पढ़ी-लिखी लड़कियां बचा रहीं बुंदेली परंपरा | voice of tesoo beta yaheen khade began to become extinct | Patrika News h3>
झांसीPublished: Oct 24, 2023 11:39:12 am
बुंदेलखंड में कुंवारी लड़कियों के अद्भुत खेल ‘सुआटा, मामुलिया और झिंझिया’ है। अब इस प्राचीन परंपरा का अस्तित्व खतरे में हैं। कभी देहात से लेकर शहर तक में खेला जाता था। अब यह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित होकर रह गया है।
सुआटा की ये तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है।
बुंदेलखंड की अनेक प्राचीन परम्पराएं अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। शहरी क्षेत्रों में यह परम्पराएं विलुप्त हो रही हैं, जबकि ग्रामीण परिवेश अब भी इन्हें सहेजे है। पर, कुछ युवा अपनी विरासत को समृद्ध बनाने का बीड़ा उठाए हैं। पढ़-लिखने के बावजूद यह बच्चे परम्पराओं को नहीं भूले। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली कई लड़कियां अब भी सुआटा व मामुलिया खेलती हैं तो रंगोली से घर को सजाने का चलन भी बखूबी निभा रही हैं। हालांकि घर के दरवाजे पर युवाओं की टोली द्वारा गाये जाने वाले टेसू बेटा यहीं खड़े” गीत की आवाज अब विलुप्त होने लगी है।
झांसीPublished: Oct 24, 2023 11:39:12 am
बुंदेलखंड में कुंवारी लड़कियों के अद्भुत खेल ‘सुआटा, मामुलिया और झिंझिया’ है। अब इस प्राचीन परंपरा का अस्तित्व खतरे में हैं। कभी देहात से लेकर शहर तक में खेला जाता था। अब यह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित होकर रह गया है।
सुआटा की ये तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है।
बुंदेलखंड की अनेक प्राचीन परम्पराएं अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। शहरी क्षेत्रों में यह परम्पराएं विलुप्त हो रही हैं, जबकि ग्रामीण परिवेश अब भी इन्हें सहेजे है। पर, कुछ युवा अपनी विरासत को समृद्ध बनाने का बीड़ा उठाए हैं। पढ़-लिखने के बावजूद यह बच्चे परम्पराओं को नहीं भूले। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली कई लड़कियां अब भी सुआटा व मामुलिया खेलती हैं तो रंगोली से घर को सजाने का चलन भी बखूबी निभा रही हैं। हालांकि घर के दरवाजे पर युवाओं की टोली द्वारा गाये जाने वाले टेसू बेटा यहीं खड़े” गीत की आवाज अब विलुप्त होने लगी है।