टीके के बाद बीमारियां बन रहीं संशय, बिना अध्ययन डॉक्टर—मरीज सबमें असमंजस | post veccination effect | Patrika News h3>
कोविड—19 वैक्सीन के बाद कई लोग अपनी बढ़ी बीमारियों को लेकर असमंजस में
जयपुर
Published: April 12, 2022 10:47:24 am
विकास जैन जयपुर. कोविड—19 वैक्सीन के बाद कई लोग अपनी बढ़ी बीमारियों को लेकर असमंजस में हैं। ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें कभी डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियां नहीं हुई, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद उनमें यह शुरू हो गई। हैरत की बात यह है कि अभी तक केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से इसे लेकर कोई भी व्यापक अध्ययन जारी नहीं किया गया है। जिसके कारण विशेषज्ञ भी ऐसे मरीजों की शंकाओं का ना तो समाधान कर पा रहे हैं और ना ही वे इसे वैक्सीन के दुष्प्रभावों के साथ जोड़ पा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे लोग कभी कभी उनके पास पहुंचते हैं, जिनकी संख्या करीब एक प्रतिशत है। अभी तक सरकार सिर्फ वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी अध्ययन तक सिमटी हुई है। जो राजस्थान में भी किया जा चुका है।
veccine
विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर कि किसी भी वैक्सीन को पहली बार बाजार में लाने से पहले करीब 10 वर्ष का समय लगता है, जिसमें उसके अध्ययन व ट्रायल की प्रक्रियाएं शामिल होती है। कोविड महामारी के दौरान महज डेढ़ साल में आमजन की जान बचाने के लिए इमरजेंसी उपयोग के लिए यह वैक्सीन लाई गई थी। यह बहुसंख्यक आबादी में कारगर भी रही। लेकिन चंद लोगों में इसके दुष्प्रभावों पर कोई वृहत अध्ययन नहीं किया गया। वैक्सीनेशन के बाद होने वाले ऐसे अध्ययन को चरण—4 अध्ययन कहते हैं। जो कि हर वैक्सीनेशन के बाद करवाया जाता है।
ऐसे—ऐसे मामले… केस — 1
डेढ़ साल में 60 प्रतिशत बढ़ा ब्लॉकेज एक वरिष्ठ नागरिक पुरुष की डेढ़ साल पहले हुई जांच में हॉर्ट ब्लॉकेज 30 से 35 प्रतिशत पाए गए थे। लेकिन हाल ही में हुई जांच में उनका यह ब्लॉकेज करीब 90 प्रतिशत मिला और उन्हें एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी। इस बीच उन्हें कोविड भी हुआ और वैक्सीन भी लगी। वैक्सीनेशन को इसका कारण मानते हुए इन्होंने विशेषज्ञ से संपर्क किया, लेकिन बिना किसी अध्ययन के इसे उसके साथ जोड़ा नहीं जा सका।
केस—2 कोविड की पहली लहर में संक्रमित हुए 40 वर्षीय युवक को कभी बीपी की बीमारी नहीं हुई। दूसरी लहर के दौरान उन्होंने अपना वैक्सीनेशन करवाया। इसके बाद से ही उन्हें बीपी की समस्या रहने लगी। उन्हें शंका हुई कि यह संक्रमण या वैक्सीनेशन के कारण उनके यह समस्या हुई, ले किन इसका जवाब उन्हें आज तक नहीं मिल पाया।
हृदय, डायबिटीज व थकान वालों को अधिक शंका वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोग अपनी बीमारियों को वैक्सीन से जोड़ते हैं, हो सकता है कि यह उनकी सिर्फ शंका हो, लेकिन अभी तक ऐसा कोई व्यापक विश्लेषण नहीं है, जिससे कि इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाए। ऐसी समस्याओं में थकान, हृदय व डायबिटीज के रोगी अधिक हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो कोविड के शिकार भी हो चुके हैं। बड़े स्तर पर होने वाले अध्ययन से ही इनके कारण और आपसी संबंध का पता लग सकता है।
डॉ.वीरेन्द्र सिंह, सदस्य, मुख्यमंत्री कोविड सलाहकार समिति, राजस्थान
राजस्थान : दुष्प्रभाव के 1100 केस, सबको माना सामान्य कोविड वैक्सीनेशन के बाद चरण—4 अध्ययन की जानकारी अभी भारत सरकार से नहीं मिली है। वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी पर कई अध्ययन हो चुके हैं। दुष्प्रभावों पर नजर रखने के लिए मॉनिटरिंग व्यवस्था शुरू से है। अब तक करीब 1100 केस दुष्प्रभाव के दर्ज हुए, जिनमें 24 मामले वैक्सीन के एक दो दिन में मौत वाले थे। ये मामले भारत सरकार के पास दर्ज करवाए गए। वहां कमेटियों के विश्लेषण में भी इन्हें वैक्सीन से नहीं जोड़ा गया। ये कोमोरबिड बीमारियों यानि पहले से किसी ना किसी बीमारी के शिकार और उनका अनियमित उपचार लेने वाले लोग थे।
डॉ.रघुराज, परियोजना निदेशक, टीकाकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
राजस्थान में अब तक वैक्सीनेशन 18 से अधिक आयु वर्ग
पहली डोज
कुल लक्ष्य 51495402
लक्ष्य हासिल प्रतिशत 98.6 दूसरी डोज
43544748
85.8 … 12 से 14 वर्ष
पहली डोज
2987000
54.9 दूसरी डोज
शून्य — अभी डृयू नहीं
… 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग
पहली डोज
4651000
73.1 दूसरी डोज
2351137
69.1
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कोविड—19 वैक्सीन के बाद कई लोग अपनी बढ़ी बीमारियों को लेकर असमंजस में
जयपुर
Published: April 12, 2022 10:47:24 am
विकास जैन जयपुर. कोविड—19 वैक्सीन के बाद कई लोग अपनी बढ़ी बीमारियों को लेकर असमंजस में हैं। ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें कभी डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियां नहीं हुई, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद उनमें यह शुरू हो गई। हैरत की बात यह है कि अभी तक केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से इसे लेकर कोई भी व्यापक अध्ययन जारी नहीं किया गया है। जिसके कारण विशेषज्ञ भी ऐसे मरीजों की शंकाओं का ना तो समाधान कर पा रहे हैं और ना ही वे इसे वैक्सीन के दुष्प्रभावों के साथ जोड़ पा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे लोग कभी कभी उनके पास पहुंचते हैं, जिनकी संख्या करीब एक प्रतिशत है। अभी तक सरकार सिर्फ वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी अध्ययन तक सिमटी हुई है। जो राजस्थान में भी किया जा चुका है।
veccine
विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर कि किसी भी वैक्सीन को पहली बार बाजार में लाने से पहले करीब 10 वर्ष का समय लगता है, जिसमें उसके अध्ययन व ट्रायल की प्रक्रियाएं शामिल होती है। कोविड महामारी के दौरान महज डेढ़ साल में आमजन की जान बचाने के लिए इमरजेंसी उपयोग के लिए यह वैक्सीन लाई गई थी। यह बहुसंख्यक आबादी में कारगर भी रही। लेकिन चंद लोगों में इसके दुष्प्रभावों पर कोई वृहत अध्ययन नहीं किया गया। वैक्सीनेशन के बाद होने वाले ऐसे अध्ययन को चरण—4 अध्ययन कहते हैं। जो कि हर वैक्सीनेशन के बाद करवाया जाता है।
ऐसे—ऐसे मामले… केस — 1
डेढ़ साल में 60 प्रतिशत बढ़ा ब्लॉकेज एक वरिष्ठ नागरिक पुरुष की डेढ़ साल पहले हुई जांच में हॉर्ट ब्लॉकेज 30 से 35 प्रतिशत पाए गए थे। लेकिन हाल ही में हुई जांच में उनका यह ब्लॉकेज करीब 90 प्रतिशत मिला और उन्हें एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी। इस बीच उन्हें कोविड भी हुआ और वैक्सीन भी लगी। वैक्सीनेशन को इसका कारण मानते हुए इन्होंने विशेषज्ञ से संपर्क किया, लेकिन बिना किसी अध्ययन के इसे उसके साथ जोड़ा नहीं जा सका।
केस—2 कोविड की पहली लहर में संक्रमित हुए 40 वर्षीय युवक को कभी बीपी की बीमारी नहीं हुई। दूसरी लहर के दौरान उन्होंने अपना वैक्सीनेशन करवाया। इसके बाद से ही उन्हें बीपी की समस्या रहने लगी। उन्हें शंका हुई कि यह संक्रमण या वैक्सीनेशन के कारण उनके यह समस्या हुई, ले किन इसका जवाब उन्हें आज तक नहीं मिल पाया।
हृदय, डायबिटीज व थकान वालों को अधिक शंका वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोग अपनी बीमारियों को वैक्सीन से जोड़ते हैं, हो सकता है कि यह उनकी सिर्फ शंका हो, लेकिन अभी तक ऐसा कोई व्यापक विश्लेषण नहीं है, जिससे कि इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाए। ऐसी समस्याओं में थकान, हृदय व डायबिटीज के रोगी अधिक हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो कोविड के शिकार भी हो चुके हैं। बड़े स्तर पर होने वाले अध्ययन से ही इनके कारण और आपसी संबंध का पता लग सकता है।
डॉ.वीरेन्द्र सिंह, सदस्य, मुख्यमंत्री कोविड सलाहकार समिति, राजस्थान
राजस्थान : दुष्प्रभाव के 1100 केस, सबको माना सामान्य कोविड वैक्सीनेशन के बाद चरण—4 अध्ययन की जानकारी अभी भारत सरकार से नहीं मिली है। वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी पर कई अध्ययन हो चुके हैं। दुष्प्रभावों पर नजर रखने के लिए मॉनिटरिंग व्यवस्था शुरू से है। अब तक करीब 1100 केस दुष्प्रभाव के दर्ज हुए, जिनमें 24 मामले वैक्सीन के एक दो दिन में मौत वाले थे। ये मामले भारत सरकार के पास दर्ज करवाए गए। वहां कमेटियों के विश्लेषण में भी इन्हें वैक्सीन से नहीं जोड़ा गया। ये कोमोरबिड बीमारियों यानि पहले से किसी ना किसी बीमारी के शिकार और उनका अनियमित उपचार लेने वाले लोग थे।
डॉ.रघुराज, परियोजना निदेशक, टीकाकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
राजस्थान में अब तक वैक्सीनेशन 18 से अधिक आयु वर्ग
पहली डोज
कुल लक्ष्य 51495402
लक्ष्य हासिल प्रतिशत 98.6 दूसरी डोज
43544748
85.8 … 12 से 14 वर्ष
पहली डोज
2987000
54.9 दूसरी डोज
शून्य — अभी डृयू नहीं
… 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग
पहली डोज
4651000
73.1 दूसरी डोज
2351137
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