टाइगर स्टेट के लिए बुरी खबर, 24 घंटे में दो बाघों की मौत | Two tigers died in 24 hours in Panna Tiger Reserve | Patrika News

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टाइगर स्टेट के लिए बुरी खबर, 24 घंटे में दो बाघों की मौत | Two tigers died in 24 hours in Panna Tiger Reserve | Patrika News

टाइगर स्टेट के लिए बुरी खबर, 24 घंटे में दो बाघों की मौत | Two tigers died in 24 hours in Panna Tiger Reserve | Patrika News

पन्ना के राजाबारिया के पास सड़क किनारे गुरुवार सुबह 13 वर्षीय बाघ का शव मिला। बाघ पुनस्र्थापना योजना के तहत लाए गए बाघ और बाघिन की पी-111 पहली संतान थी। इस बाघ ने टाइगर रिजर्व की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसकी मां बाघिन टी-1 और पिता बाघ टी-3 अभी भी जीवित हैं और अपनी औसत से अधिक आयु जी रहे हैं।

पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट राजाबरिया में पन्ना-कटनी सड़क मार्ग के किनारे गुरुवार सुबह बाघ पी-111 मृत पाया गया। मामले की जानकारी लगने के बाद फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर रिपुदमन सिंह और एनटीसीए के प्रतिनिधि इंद्रभान सिंह मौके पर पहुंचे। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद एनटीसीए की गाइड लाइन के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया गया है।

बाघ की मौत का कारण अभी पता नहीं चल पाया है। आशंका जताई जा रही है कि किडनी फेल होने के कारण किसी प्रकार के संक्रमण व बीमारी से मौत हुई होगी। जांच के लिए बिसरा बरेली, सागर और जबलपुर लैब भेजे जा रहे हैं। फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया, पोस्टमार्टम से पता चला है कि बाघ की किडनी फेल थी। किसी बीमारी के चलते इसकी मौत हुई है।

किसी वयस्क नर बाघ के हमले की आशंका

अकोला बफर के पास दोपहर 2-3 बजे एक वयस्क नर बाघ द्वारा शावक का शिकार किए जाने की जानकारी लगते ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन मौके पर पहुंचा। बताया गया कि घटना स्थल पर देखने से लग रहा है कि किसी नर बाघ ने शावक का शिकार किया होगा। शावक 9-10 माह का था। मौके पर शावक को घसीटने के निशान मिले हैं। उसके गले को दबाने से जीभ निकल गई है। साथ ही शावक के पेट के पिछले हिस्से को भी बाघ ने चीर दिया है। फील्ड डायरेक्टर शर्मा ने बताया कि शिकार हुआ नर बाघ शावक, बाघिन पी- 234 के तीन शावकों में से एक था।

पी-111 के जन्म से मिटा कलंक और शुरू हुई थी नई इबारत

वर्ष 2009 में जब पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था, तब यहां बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू हुई। योजना के तहत बांधवगढ़ से 4 मार्च 2009 को बाघिन टी-1 पन्ना लाई गई। इस बाघिन का पेंच टाइगर रिजर्व से पन्ना लाए गए नर बाघ टी-3 से संसर्ग हुआ। तदुपरांत बाघिन टी-1 ने 16 अप्रैल 2010 को रात्रि धुंधुआ सेहा में चार नन्हे शावकों को जन्म दिया। इन्हीं शावकों में पहला शावक पी-111 था। जिसका जन्म दिन हर साल 16 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा था। दो सालों से पार्क प्रबंधन ने जन्मोत्सव मनाना बंद कर दिया था।

पन्ना बाघ पुनस्र्थापना योजना की सफलता की कहानी इसी बाघ से शुरू हुई थी, जो अब नहीं रहा। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में 70 से भी अधिक बाघ हैं। पन्ना बाघ पुनस्र्थापना योजना के शिल्पी रहे पूर्व क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति ने एक वीडियो जारी कर नर बाघ पी-111 की मौत पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा, इसी बाघ के जन्म से पन्ना की सफलता की कहानी शुरू हुई थी। यह बहुत ही पीड़ादायी व दुख की बात है कि अब पी-111 हमारे बीच नहीं है।



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