टखने में चोट, बेशुमार दर्द- राफेल नडाल के 21 ग्रैंड स्लैम पर भारी पड़ा 24 साल के टेलर फ्रिट्ज का जज्बा

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टखने में चोट, बेशुमार दर्द- राफेल नडाल के 21 ग्रैंड स्लैम पर भारी पड़ा 24 साल के टेलर फ्रिट्ज का जज्बा


टखने में चोट, बेशुमार दर्द- राफेल नडाल के 21 ग्रैंड स्लैम पर भारी पड़ा 24 साल के टेलर फ्रिट्ज का जज्बा

नई दिल्ली: एक ओर 21 ग्रैंड स्लैम थे तो दूसरी ओर 24 साल का युवा खिलाड़ी। एक ओर 20 मैच जीतने वाला दुनिया के चोटी खिलाड़ियों में शामिल शख्स था तो दूसरी ओर चोट और दर्द को झेलकर कोर्ट पर उतरा खिलाड़ी। लेकिन इतिहास रचा गया। चोटिल टेलर फ्रिट्ज ने राफेल नडाल का विजय रथ रोक दिया। नडाल पिछले 20 मैच से नहीं हारे थे लेकिन रविवार को फ्रिट्ज ने इंडियन वेल्स के फाइनल में उन्हें इसका स्वाद चखा दिया। मुकाबला उन्होंने 6-3, 7-6 से जीता। दो दशक से अधिक वक्त बीत चुका है जब आखिरी बार किसी अमेरिकी ने यह खिताब जीता था। तब आंद्रे आगासी ने यह कारनामा किया था।

अमेरिका के कैलिफोर्निया के रहने वाले फ्रिट्ज को टेनिस विरासत में मिली है। कैथी मे अपने दौर की मशहूर टेनिस खिलाड़ी थीं। वह दुनिया में आठवें रैंक तक पहुंची। माता-पिता फ्रिट्ज की सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनके खेल को ढालने, तैयार करने और संवारने में मां का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने एक इंटरव्यू में अमेरिकी दिग्गज पीट सैम्प्रास को अपना आदर्श बताया था। इसके साथ ही रोजर फेडरर के भी मुरीद हैं फ्रिट्ज। हालांकि दोनों खिलाड़ियों के खेलने का तरीका जरा अलग है। सैम्प्रास की खूबी पावर गेम थी और फेडरर थोड़ा हटकर हैं। एक वक्त था जब दुनिया में पुरुष टेनिस में अमेरिकियों का दबदबा था। आगासी, पीट सैम्प्रास, जिम कूरियर, माइकल चैंग जैसे खिलाड़ी खूब दम दिखाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं। बीते डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से त्रिमूर्ति- नडाल, फेडरर और नोवाक जोकोविच- का राज है।

टेनिस खेलने के साथ-साथ फ्रिट्ज को फुटबॉल बहुत पसंद है। या कह सकते हैं कि दूसरा प्यार है। और फुटबॉल (अमेरिका में सॉकर) में उनके पसंदीदा खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो हैं। वह उन्हें आदर्श मानते हैं। रोनाल्डो की मेहनत, समर्पण और खेल से वह सीखना चाहते हैं।

किसी भी शख्स के लिए बहुत जरूरी होता है खुद के बारे में जानना। और फ्रिट्ज को इसका पता है। वह कहते हैं कि मेरा खेल बहुत संतुलित है। वह अपनी सर्विस को लेकर आक्रामक रहना चाहते हैं और फोरहैंड को मजबूत बनाए रखना उनका लक्ष्य है। इस जीत का उन्हें फायदा भी हुआ। वह करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 13 पर पहुंच गए हैं।

नडाल अगर यह ट्रोफी जीतते तो इस सीजन में यह उनका चौथा खिताब होता। और वह एटीपी मास्टर्स 1000 के 37 खिताब की बराबरी कर लेते। पर फ्रिट्ज के खेल के बाद नडाल को इस रिकॉर्ड के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

यह जीत इसलिए भी ज्यादा मायने रखती है कि फ्रिट्ज का इस मुकाबले से पहले कोर्ट पर उतरना भी तय नहीं था। उनके टखने में चोट थी। मैच से पहले उनके दर्द का इलाज किया गया। दर्द ऐसा था जैसा उन्होंने कभी महसूस नहीं किया। वह खुद कोर्ट पर उतरने को लेकर आश्वस्त नहीं थे। लेकिन 24 साल के इस लड़के को पता थी इस मैच की अहमियत। वह जानते थे कि जीत कितना मायने रखेगी। यह उनके करियर की सबसे बड़ी जीत थी आखिर उनके सामने 21 ग्रैंड स्लैम जीतने वाला शख्स था।

मैच के बाद फ्रिट्ज खुद पर हैरान थे। उन्होंने कहा, ‘यह मेरे बचपन के सपनों में शुमार था। मैंने कभी इस सपने के सच होने के बारे में नहीं सोचा था।’ वह अपने दर्द से वाकिफ थे। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं बता सकता कि आखिर मैं आज खेला कैसे? इतना दर्द मुझे कभी महसूस नहीं हुआ।’

हालत यह थी कि फ्रिट्ज ने कहा कि अगर उन्हें पता होता कि दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाएगा तो वह मैच के लिए यहां आते भी नहीं। जरा सोचिए- आप दुनिया के उस खिलाड़ी के सामने हैं, जिसे सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में गिना जाता है। और आप दर्द को सहते हुए भी डटे रहना चाहते हैं। न सिर्फ डटे रहना चाहते हैं बल्कि यह दिखाना चाहते हैं कि मुकाबला यूं ही नहीं खेला जाएगा। मुश्किल वक्त में, जब आप 100 फीसदी देने की हालत में नहीं हों, यूं खेलना, खुद को मैदान पर मजबूत दिखाना, आसान नहीं। लेकिन आसान काम करके आप राफेल नडाल को नहीं हरा सकते। फ्रिट्ज ने कहा भी, ‘मेरे लिए परिस्थितियां सरल नहीं थीं। मैं स्वयं को दृढ़ दिखाना चाहता था। आखिर मुझ पर कैमरों की नजर मुझ पर थी और मैं खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहता था।’

फाइनल मुकाबले से पहले हालांकि नडाल की भी छाती में दर्द था। 18 साल के सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान उन्हें यह तकलीफ हुई थी। तब वह 18 साल के कार्लोस एलकराज के खिलाफ खेल रहे थे। लेकिन नडाल से आप फिर भी उम्मीद करते हैं कि वह मुकाबला जीत लेंगे। पर फ्रिट्ज ने कमाल कर दिखाया।



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