झारखंड में कांग्रेस की तगड़ी घेराबंदी, हेमंत सोरेन पहले से भारी, नीतीश भी कर रहे चढ़ाई की तैयारी

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झारखंड में कांग्रेस की तगड़ी घेराबंदी, हेमंत सोरेन पहले से भारी, नीतीश भी कर रहे चढ़ाई की तैयारी

झारखंड में कांग्रेस की तगड़ी घेराबंदी, हेमंत सोरेन पहले से भारी, नीतीश भी कर रहे चढ़ाई की तैयारी

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के सूत्रधार और बिहार के सीएम नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने 24 दिसंबर को वाराणसी जिले के रोहनिया सीट और 21 जनवरी को झारखंड के रामगढ़ में नीतीश की रैलियों की तैयारियां शुरू कर दी है। इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे का मजेदार खेल झारखंड में भी होने वाला है जहां सहयोगी दल कांग्रेस की चौतरफा घेराबंदी कर रहे हैं। हेमंत सोरेन और लालू प्रसाद यादव के बाद अब नीतीश कुमार भी झारखंड में लोकसभा सीट की दावेदारी में जुट गए हैं। बिहार में नीतीश के भरोसेमंद मंत्री अशोक चौधरी ही झारखंड के प्रभारी हैं जो रामगढ़ रैली की तैयारियों में जुट गए हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू एनडीए में थी इसलिए बीजेपी के समर्थन में झारखंड में नहीं लड़ी थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस से सीट चाहती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू 45 सीट लड़ी थी और 1.34 परसेंट वोट के साथ सारी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई में सरकार चला रहे हैं जिसमें कांग्रेस और आरजेडी सहयोगी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 सीट में 9 सीट कांग्रेस को गई थी। कांग्रेस कोटे की 9 में 2 सीट अब बीजेपी में लौट गए बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा को मिली थी। बची 5 सीटों में 4 झामुमो और 1 आरजेडी को मिली थी। 14 में 12 सीट एनडीए जीती। 2 सीट में एक कांग्रेस और एक जेएमएम।

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2024 के चुनाव में झारखंड की सियासी जमीन बदल चुकी है। हेमंत सोरेन की जेएमएम सीनियर पार्टनर है। 9 सीट कहें या 7, पहले तो कांग्रेस को अपनी 2019 की सीट बचाने के लिए संघर्ष करना होगा। सोरेन इस बार कांग्रेस को जेएमएम से दोगुनी सीट लेने नहीं देंगे। आरजेडी भी दो सीट की चाहत में है। बाबूलाल मरांडी के निकलने से 2 सीटों की जो जगह बनी है उस पर लालू के साथ-साथ नीतीश भी बाजी लगा रहे हैं। इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तनाव और उलझन आम तौर पर सिर्फ यूपी, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में नजर आती है लेकिन झारखंड का संकट किसी से भी कम नहीं है। चार महीने से सीट बंटवारे का कांग्रेस के अलावा सभी दलों को इसलिए बेसब्री से इंतजार था।

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यूपी में नीतीश कुमार के फूलपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और नीतीश खुद ही इस पर अंतिम फैसला करेंगे। 24 दिसंबर को नीतीश की सभा के लिए जेडीयू ने वाराणसी लोकसभा सीट के अंदर आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से एक रोहनिया को चुना है जो कुर्मी बहुल सीट है। इस सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में अपना दल के अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले धड़े के कैंडिडेट सुनील पटेल ने जीत हासिल की थी।

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परिसीमन के बाद जब 2012 में यह सीट बनी तो इस सीट से पहली बार अनुप्रिया ही चुनाव जीती थीं। नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया की सीट पर नीतीश के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार पूर्वांचल के मैदान में डट गए हैं। श्रवण कुमार भी कुर्मी हैं और बिहार में नीतीश कुमार के इलाके से आते हैं। यूपी में यादव-कुर्मी जुगलबंदी की यह कोशिश कितना रंग लाएगी, देखना दिलचस्प होगा।

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