जो गरीब-पिछड़ों के नहीं हुए, तो देश के क्या होंगे? PM विश्वकर्मा योजना लॉन्चिंग पर नीतीश को गिरिराज ने घेरा h3>
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राजधानी पटना के ऊर्जा स्टेडियम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के मौके पर केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार पर हमला बोला। इस दौरान गिरिराज ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से पूरे भारत में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रधान की जायेगी। इस योजना के तहत 18 पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया गया है। लेकिन बिहार सरकार सहयोग नहीं कर रही है। नीतीश कुमार को शर्म आना चाहिए। देश के सभी राज्य पीएम विश्वकर्मा योजना की लॉन्चिंग मे शामिल हुए हैं। क्या अतिपिछड़ा से बिहार सरकार को मोह नहीं है। आखिर पिछड़ों ने बिहार सरकार का क्या बिगाड़ा है। जबकि इस योजना से इस योजना से देश के कामगारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि बिहार सरकार द्वारा पीएम विश्वकर्मा योजना का बहिष्कार कर दिया गया है, यह बहुत दुख की बात है। यह योजना पिछड़ों व गरीबों के लिए बनाई गई योजना है।नीतीश बाबू बिहार के गरीबों व पिछड़ों के नहीं हुए तो देश के कैसे होंगे?…चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए
पटना के ऊर्जा ऑडिटेरियम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारम्भ समारोह में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के साथ मे सांसद रामकृपाल यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी, विधायक नितिन नवीन और संजीव चौरसिया भी मौजूद रहे। पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसका पूरा वित्तपोषण केंद्र करेगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए बायोमीट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर सामान्य सेवा केंद्रों पर विश्वकर्माओं का निशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख (पहली किस्त) और 2 लाख (दूसरी किस्त) तक ऋण सहायता दी जाएगी।
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना है। योजना के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें बढ़ई, नौका निर्माता, शस्त्रसाज, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची (जूता/जूता कारीगर), राजमिस्त्री आदि शामिल है।
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राजधानी पटना के ऊर्जा स्टेडियम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के मौके पर केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार पर हमला बोला। इस दौरान गिरिराज ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से पूरे भारत में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रधान की जायेगी। इस योजना के तहत 18 पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया गया है। लेकिन बिहार सरकार सहयोग नहीं कर रही है। नीतीश कुमार को शर्म आना चाहिए। देश के सभी राज्य पीएम विश्वकर्मा योजना की लॉन्चिंग मे शामिल हुए हैं। क्या अतिपिछड़ा से बिहार सरकार को मोह नहीं है। आखिर पिछड़ों ने बिहार सरकार का क्या बिगाड़ा है। जबकि इस योजना से इस योजना से देश के कामगारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि बिहार सरकार द्वारा पीएम विश्वकर्मा योजना का बहिष्कार कर दिया गया है, यह बहुत दुख की बात है। यह योजना पिछड़ों व गरीबों के लिए बनाई गई योजना है।नीतीश बाबू बिहार के गरीबों व पिछड़ों के नहीं हुए तो देश के कैसे होंगे?…चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए
पटना के ऊर्जा ऑडिटेरियम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारम्भ समारोह में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के साथ मे सांसद रामकृपाल यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी, विधायक नितिन नवीन और संजीव चौरसिया भी मौजूद रहे। पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसका पूरा वित्तपोषण केंद्र करेगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए बायोमीट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर सामान्य सेवा केंद्रों पर विश्वकर्माओं का निशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख (पहली किस्त) और 2 लाख (दूसरी किस्त) तक ऋण सहायता दी जाएगी।
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना है। योजना के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें बढ़ई, नौका निर्माता, शस्त्रसाज, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची (जूता/जूता कारीगर), राजमिस्त्री आदि शामिल है।