जेल में बंद सुकेश ने कैसे कमाए 7 हजार करोड़: जेल स्टाफ को हर महीने डेढ़ करोड़ रिश्वत, सट्टे का कारोबार; पढ़िए ठगी की चैट h3>
‘मेरी कंपनियों ने 2024 में 2.70 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 22,410 करोड़ रुपए) का कारोबार किया है। ये कंपनियां अमेरिका, स्पेन, ब्रिटेन, हॉन्गकॉन्ग और दुबई में हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के कानूनों के मुताबिक, टैक्स जमा करने के बाद मेरी इनकम 7,640 करोड़ रु
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ठग सुकेश चंद्रशेखर ने एक लेटर के जरिए फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण से ये अपील की है। बीते साल 7,640 करोड़ रुपए कमाने वाला सुकेश 2015 से जेल में बंद है। उस पर 200 करोड़ की ठगी का आरोप है।
सुकेश चंद्रशेखर ने वकील के जरिए फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को लेटर लिखा है। इसमें उसने 2024-25 में अपनी कंपनियों की कमाई बताते हुए टैक्स जमा करने की परमिशन मांगी है।
सुकेश के कारनामों की लिस्ट लंबी है। सुकेश ने 10वीं तक पढ़ाई की, फिर ठगी के धंधे में उतर गया। 2007 में 17 साल की उम्र में पहली बार बेंगलुरु पुलिस ने पकड़ा। 19 की उम्र में जेल गया। अमेरिका और ब्रिटेन में उसकी सट्टेबाजी की कंपनियां चलती हैं।
इकोनॉमिक ऑफेंस विंग की स्पेशल सेल ने सुकेश पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट तैयार की है। इसके मुताबिक वो जेल से ही एक्सटॉर्शन रैकेट चलाता था। जेल सुपरिंटेंडेंट से लेकर अधिकारी और नीचे के स्टाफ तक उससे पैसे लेते थे। कुछ खास लोगों की बैरक के आसपास ड्यूटी लगाई जाती थी। इसमें CCTV कैमरे लगे थे, लेकिन उन्हें ढंक दिया जाता था।
इस सपोर्ट के बदले सुकेश हर महीने 1.5 करोड़ रुपए देता था। सबसे ज्यादा 66 लाख रुपए जेल सुपरिंटेंडेंट को मिलते थे।
10वीं तक पढ़ाई, रबर फैक्ट्री में उंगली कटी, गैराज में भी काम किया सुकेश की चार्जशीट में उसकी ठगी की शुरुआत से लेकर जेल में रहते हुए करोड़ों की ठगी की कहानियां दर्ज हैं। 2009 में जेल जाते वक्त सुकेश ने पुलिस के सामने बयान दिया था। हमने सुकेश के बयान की कॉपी पढ़ी। इससे पता चला कि वो सिर्फ 10वीं तक पढ़ा है। कार गैराज में काम कर चुका है। फिर ठगी का मास्टरमाइंड बन गया।
सुकेश का पहला कबूलनामा 2 फरवरी, 2009 को बेंगलुरु के कोरामंगला पुलिस स्टेशन में फर्जीवाड़े के केस में सुकेश चंद्रशेखर का बयान दर्ज हुआ था। सुकेश के इस बयान के मुताबिक, ‘मेरा जन्म 25 मार्च, 1990 को हुआ। पापा का नाम चंद्रशेखर और मां का नाम माला है। मैं उनका इकलौता बेटा हूं।’
‘नर्सरी से 9वीं तक की पढ़ाई बाल्डविन बॉयज हाईस्कूल से की। यहां की पढ़ाई मुझे मुश्किल लगती थी, इसलिए 10वीं तक इंदिरा नगर के कैंब्रिज स्कूल से पढ़ा। 10वीं में मुझे 73% नंबर मिले थे। मन नहीं लगा, तो पढ़ाई छोड़ दी।‘
‘पिता की रबर के पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री थी। 2005 में पढ़ाई छोड़ने के बाद मैं उसी में काम करने लगा। उसी साल रबर मिक्सिंग मिल में मेरा बायां हाथ फंस गया और एक उंगली कट गई।‘
‘मुझे कार मॉडिफाई करने का शौक था। इसलिए शिवाजी नगर एरिया के गैराज में कार मॉडिफिकेशन का काम करने लगा। इसके साथ कार रेसिंग भी करता था। ज्यादा पैसे कमाने के लिए रियल एस्टेट का काम शुरू किया। खाली मकान और प्लॉट का पता लगाता, उनका सौदा करवाकर कमीशन लेने लगा।’
‘पैसा आने लगा, तो होटल, पब, डांस बार जाने लगा। तब और पैसों की जरूरत पड़ी। मैं लोगों से अलग-अलग नाम से मिलता था। कभी रवि कुमार तो कभी राहुल, कभी रोहित और डीके बन जाता।
‘रियल एस्टेट के काम में पहली बार बड़ी डील की। एक जमीन पर विवाद था। प्लॉट पर दावा करने वाली पार्टी को बताया कि मैं CM के बेटे का दोस्त हूं। उसके जरिए प्लॉट पर कब्जा दिला दूंगा। फिर नकली डॉक्युमेंट बनवाकर दे दिए। मुझे कमीशन में 65 लाख रुपए मिले। ये पहली बड़ी कमाई थी। इससे 4 कारें और सोने की ज्वेलरी खरीदी। अगस्त, 2007 में पुलिस ने मुझे पकड़ लिया।’
ये सुकेश के कबूलनामे की कॉपी है। इसमें उसने अपने शुरुआती अपराधों के बारे में बताया है। 2007 में उसने कमीशन के तौर पर 65 लाख रुपए कमाए थे।
एक हफ्ते बाद छूटा, दूसरी बड़ी ठगी सरकारी टेंडर से सुकेश ने बताया, ‘पुलिस ने पहली बार पकड़ा, तब मैं 17 साल का था। मुझे बाल सुधार गृह में रखा गया। एक हफ्ते बाद जमानत पर बाहर आ गया। वो केस पेंडिंग ही रहा। इसके बाद कुछ महीने माता-पिता के साथ रहा।’
‘एक दिन उन्हें बताए बिना घर से चला गया। एक दोस्त के घर रहने लगा। उसके कंप्यूटर पर गूगल सर्च करते हुए सरकारी टेंडर देखा। इसमें कर्नाटक के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने 500 GPS के लिए टेंडर निकाला था।’
‘टेंडर के जरिए GPS बनाने वाली कंपनियों से कॉन्टैक्ट किया। दिल्ली की एक कंपनी के MD से बात की। उसे 500 GPS खरीदने का ऑफर दिया। फर्जी डॉक्यूमेंट दे दिए। फिर टेंडर के बदले एडवांस में 5% कमीशन लिया। ये करीब 1 लाख रुपए थे। उस समय मेरा बैंक अकाउंट नहीं था। इसलिए पापा के अकाउंट में पैसे मंगाए। धीरे-धीरे सारे पैसे निकाल लिए। पापा को पता नहीं चला।’
‘इसके बाद भी टेंडर के बदले लाखों रुपए कमीशन कमाया। सरकारी बसों के टायर, स्कूलों में कंप्यूटर लगवाने के बदले कमीशन लिया। इन्हीं पैसों से 20 हजार रुपए का लैपटॉप खरीदा। फिर दोस्त का घर छोड़कर किराए पर फ्लैट ले लिया। कुछ पुराने दोस्तों के साथ होटल और बिजनेस में भी पैसे लगाए। इससे मेरी कमाई बढ़ती गई।’
अब 2017 के बाद की कहानी
अरेस्ट हुआ, जेल में 100 से ज्यादा पुलिसवालों को रिश्वत दी सुकेश चंद्रशेखर 9 साल से जेल में है। उसे 29 मई 2015 को अरेस्ट किया गया था। सुकेश ने किंग इन्वेस्टमेंट नाम से एक कंपनी बनाई और लोगों से 2 हजार करोड़ रुपए ठग लिए। 2017 में उसे दिल्ली लाया गया।
स्पेशल सेल की चार्जशीट के मुताबिक, सुकेश दिल्ली की रोहिणी जेल के 100 से ज्यादा स्टाफ को हर महीने रिश्वत देता था। ये रकम महीने में 1.3 करोड़ से 1.5 करोड़ तक होती थी। सुकेश को जेल के वॉर्ड नंबर-3 की बैरक नंबर 204 में रखा गया था। जेल सुपरिंटेंडेंट को हर महीने 66 लाख रुपए मिलते थे। ये पैसे दो बार में दिए जाते थे।
जेल में तीन डिप्टी सुपरिंटेंडेंट थे। इनमें दो डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को 5-5 लाख और सुभाष बत्रा नाम के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को 6 लाख रुपए मिलते थे। सुभाष को ज्यादा पैसे इसलिए मिलते थे क्योंकि उसका सीधे सुकेश से लिंक था।
इसी तरह 5 असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट को 2-2 लाख रुपए हर महीने मिलते थे। सुकेश के खास असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट धरम सिंह मीणा को 5 से 10 लाख रुपए तक दिए जाते थे। 35 हेड वार्डर को हर महीने 30-30 हजार और 60 वार्डर को 20-20 हजार रुपए रिश्वत दी गई। बाकी स्टाफ को 20-30 लाख रुपए दिए जाते थे।
स्पेशल सेल की चार्जशीट में जिक्र है कि सुकेश की तरफ से अफसरों और स्टाफ को कितनी रिश्वत दी गई। इसमें वॉर्डर से लेकर सुपरिटेंडेंट तक शामिल थे।
5 बार बिना वजह बैरक से निकला, 3 घंटे तक सुपरिंटेंडेंट ऑफिस में रहा सुकेश के जेल में रहते हुए सितंबर 2020 से 21 सितंबर 2021 तक करीब एक साल के रिकॉर्ड की जांच हुई। इस दौरान वो जेल सुपरिंटेंडेंट ऑफिस से लेकर अपनी बैरक के बीच कुल 10 बार CCTV कैमरों में नजर आया।
सुकेश के बैरक में भी CCTV कैमरा लगा था। उसे पर्दे और पानी की बोतलों से ढंक दिया गया। CCTV फुटेज और रिकॉर्ड की जांच में पता चला कि सुकेश 16 जुलाई से 5 अगस्त 2021 के बीच 4 बार जेल सुपरिंटेंडेंट ऑफिस में गया। हर बार कम से कम एक घंटे रहा। सबसे ज्यादा 3 घंटे 5 मिनट तक रुका। वो खास मीटिंग के लिए जेल सुपरिंटेंडेंट के ऑफिस में ही जाता था।
रिकॉर्ड रजिस्टर के मुताबिक, सुकेश 12 महीने में करीब 75 बार बैरक से बाहर निकला। इसमें कोर्ट जाना भी शामिल है। 5 बार ऐसा हुआ, जब रिकॉर्ड में उसके बाहर जाने की वजह नहीं लिखी गई।
पैरोल पर चेन्नई गया, वहां से आईफोन खरीदा, वही जेल में यूज किया सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लिखा है कि पुलिस सुकेश को कस्टडी पैरोल पर चेन्नई ले गई थी। वहां सुकेश ने iPhone Pro-12 खरीदा था। उसका इस्तेमाल चेन्नई में किया। फिर उसे रोहिणी जेल ले आया। उसी फोन से जेल में रहते हुए वॉट्सएप और टेलीग्राम चलाता था।
ठगी के लिए इसी फोन से चैट और कॉल करता था। इसकी बैरक में लगे कैमरे की निगरानी की जिम्मेदारी जेल सुपरिंटेंडेंट से लेकर कई अधिकारियों को थी, लेकिन किसी ने फोन इस्तेमाल करने का जिक्र नहीं किया। जांच में पता चला कि आईफोन के अलावा सुकेश के पास सैमसंग का बेसिक फोन भी था। इसके जरिए वो कॉल करता था।
कनाडा के एप से खरीदे 100 से ज्यादा इंटरनेशनल नंबर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लिखा है कि सुकेश ने ठगी के लिए कॉल और मैसेज करने के लिए ऑनलाइन इंटरनेशनल नंबर खरीदे थे। उसके पास 100 से ज्यादा इंटरनेशनल नंबर थे। ये नंबर सितंबर 2018 में कनाडा के Hushed एप्लिकेशन से खरीदे थे। इन्हें जून 2021 तक यूज किया गया।
जांच रिपोर्ट में दावा है कि उसने अलग-अलग लोगों को फोन करने के लिए 102 इंटरनेशनल नंबरों का इस्तेमाल किया। इन्हीं नंबरों के जरिए वो वॉट्सएप और टेलीग्राम चलाता था। उन्हीं से चैट और कॉलिंग करता था।
जेल में रहते हुए गृह मंत्रालय का अधिकारी बन ठगे 200 करोड़ जेल में रहते हुए सुकेश ने फार्मा कंपनी रेनबैक्सी के मालिक शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति सिंह से 200 करोड़ रुपए ठग लिए। दैनिक NEWS4SOCIALके पास दोनों की वॉट्सएप चैट है। एक चैट में सुकेश ने खुद के PMO में होने की बात कही और शिविंदर को जल्द जमानत दिलाने का भरोसा दिया। धीरे-धीरे करके उसने 200 करोड़ ठग लिए।
सुकेश को मीडिया और अफसरों से शिविंदर सिंह के बारे में पता चला था। उसने शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति का फोन नंबर जुटाया। जून 2020 में खुद को कानून मंत्रालय के सचिव का अंडर सेक्रेटरी अभिनव बताकर अदिति सिंह से बात शुरू की।
उसने शिविंदर सिंह को जमानत पर बाहर निकलवाने में मदद करने की बात कही। इसके बाद अदिति अभिनव बने सुकेश को भाई मानने लगी। सुकेश भी उसे सिस्टर बोलता था।
सुकेश बातचीत में शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति को सिस्टर कहता था। इसी वजह से अदिति को उस पर भरोसा हो गया।
सुकेश ने ये भी कहा कि सरकार कोविड-19 से निपटने के लिए शिविंदर को अपने पैनल में शामिल करना चाहती है। इसलिए जल्द जमानत देने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी को फंड की जरूरत होगी। सुकेश ने अदिति का भरोसा जीतकर और फिर धमकी देकर कुल 200 करोड़ की ठगी की।
सुकेश ने लिखा गुड मॉर्निंग सिस्टर, 5 मिनट में ऑफिस पहुंच रहा जांच एजेंसी को 21 जुलाई 2021 की वॉट्सएप चैट मिली थी। इसमें सुकेश ने सुबह 9 बजे अदिति सिंह को मैसेज किया था। जिसमें लिखा था- ‘गुड मॉर्निग सिस्टर। 5 मिनट में ऑफिस पहुंच रहा हूं।’
फिर अदिति सिंह ने कोर्ट के मैटर का एक मैसेज किया। सुकेश ने जवाब दिया कि ये सिर्फ स्टेटमेंट के लिए है। बाकी कुछ नहीं है। ये पिछले दिन ही हुआ था। 29 जुलाई की चैट में अदिति सिंह दोपहर में एक बार कॉल करने के लिए पूछती हैं। इस पर सुकेश रिप्लाई करता है कि मैं PMO में हूं।
सुकेश और अदिति की चैट। इसी में सुकेश ने PMO में होने की बात कही थी।
शिविंदर सिंह और उनके भाई मलविंदर सिंह धोखाधड़ी के आरोप में जेल में बंद थे। ED उनकी जांच कर रही थी। ED के जांच अधिकारी उनकी पत्नी अदिति के अकाउंट पर भी नजर रख रहे थे। अकाउंट से करोड़ों का ट्रांजैक्शन होने पर शक हुआ। तब ED ने अदिति से पूछताछ की। पता चला कि सुकेश खुद को गृह मंत्रालय का अधिकारी बताकर उनसे ठगी कर रहा है। अभी इस केस का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
वकील बोले- टैक्स और 220 करोड़ की डिमांड पर सेटलमेंट को तैयार सुकेश ने जेल में रहते हुए बीते 7 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेटर भेजा। ये लेटर सुकेश के वकील अनंत मलिक के जरिए भेजा गया है।
अनंत मलिक ने दैनिक NEWS4SOCIALको बताया, ‘इनकम टैक्स विभाग ने सुकेश से 2012 से 2019 तक 220 करोड़ रुपए की डिमांड की है। इस पर सुकेश चंद्रशेखर ने कहा है कि वो फुल एंड फाइनल सेटलमेंट करने को तैयार है। इसे लेकर संबंधित विभाग को लेटर भेजा गया है।‘
सुकेश की दो कंपनियां एलएस होल्डिंग्स इंटरनेशनल और स्पीड गेमिंग कॉर्पोरेशन अमेरिका के नेवादा और ब्रिटेन के वर्जिन आइलैंड में रजिस्टर्ड हैं। ये ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी का बिजनेस करती हैं।
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