जुलाई में सड़क हादसों में 25 की गयी जान h3>
जुलाई में सड़क हादसों में 25 की गयी जान रुक नहीं रहा है हादसों में मौत का सिलसिला हर साल करीब 300 लोगों को गंवानी पड़ती है जान जागरूकता का नहीं पड़ा प्रभाव, लापरवाही पड़ रही भारी फोटो: हादसा-सड़क हादसे में क्षतिग्रस्त वाहन। (फाइल फोटो) बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सड़क हादसों में मौत का सिलसिला रूक नहीं रहा है। हर साल करीब 300 लोगों को इसमें जान गवांनी पड़ रही है। इस साल सिर्फ जुलाई महीने में ही सड़क हादसों में 25 लोगों की जान चली गयी। जागरूकता को कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। लोगों के साथ प्रशासन की भी लापरवाही भारी पड़ रही है। साल दर साल हो रहे इन हादसों से सैकड़ों परिवारों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। हजारों लोग अपंग होकर इसकी पीड़ा भुगत रहे हैं। सबसे अधिक बाइक चालक इन हादसों में जान गवांते हैं। होने वाली 10 मौतों में छह से सात बाइक के कारण होती है। इनमें भी अधिकतर 16 से 25 वर्ष के युवा होते हैं। साल दर साल आंकड़ा : सिर्फ जुलाई की बात करें तो वर्ष 2020 में 18 लोगों की जान गयी थी। वहीं, 21 में 35, 22 में 27 और 23 में 24 लोगों की मौत हुई थी। जबकि, 24 में यह आंकड़ा 25 है। इसी तरह, वर्ष 2020 में 377, 21 में 367, 22 में 349 तो 23 में 290 से अधिक मौत हुई थी। जिले की बात करें तो औसतन हर दिन एक आदमी की मौत सड़क हादसे में हो जाती है। तेज रफ्तार है हादसे का सबसे बड़ा कारण: हादसे का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार ही है। जिले में एनएच व एसएच की भरमार है। जिले की ग्रामीण सड़कों का भी हाल अभी बेहतर है। इन सड़कों पर बाइक तो क्या बड़े वाहनों की स्पीड भी काफी अधिक है। ट्रक और ट्रैक्टर दूसरों की मौत का कारण बन रहे हैं। अभी तो जिले की सबसे प्रमुख सड़क एनएच 20 को फोरलेन बना दिया गया है। इस सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है। ऐसे में हादसों की भी संभावना बढ़ गयी है। स्पीडोमीटर का नहीं हो रहा उपयोग: सड़क हादसों को कम करने के लिए सड़क सुरक्षा समिति बनायी गयी है। इसमें यातायात थाना, परिवहन विभाग के अलावा कई विभागों के अधिकारी शामिल हैं। समय-समय पर इनकी बैठक होती है। बैठक में जिले के ब्लैक स्पॉट की पहचान कर सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्णय लिये गये थे। इनमें मोड़ के पास साइन बोर्ड लगाना, जरूरत के अनुसार ब्रेकर बनाना, लोगों को ट्रैफिक नियम के प्रति जागरूक करना आदि शामिल थे। लगता है इन उपायों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। एसएच 78 बन गया है खतरनाक: एसएच 78, बिहटा-सरमेरा मार्ग सड़क हादसों की दृष्टि से खतरनाक बन गया है। जुलाई में होने वाली एक चौथाई मौत इसी सड़क पर हुई है। नूरसराय के मुजफ्फपुर गांव के पास, रहुई के रहुई से लेकर सोनसा तक, बिन्द चौराहा व सरमेरा के गोपालबाद से सरमेरा बाजार तक अक्सर हादसे होते हैं। इसी तरह एनएच 20 के निर्माण के बाद करगिल चौक से गिरियक तक की सड़क पर भी कई हादसे हुए हैं।
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जुलाई में सड़क हादसों में 25 की गयी जान रुक नहीं रहा है हादसों में मौत का सिलसिला हर साल करीब 300 लोगों को गंवानी पड़ती है जान जागरूकता का नहीं पड़ा प्रभाव, लापरवाही पड़ रही भारी फोटो: हादसा-सड़क हादसे में क्षतिग्रस्त वाहन। (फाइल फोटो) बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सड़क हादसों में मौत का सिलसिला रूक नहीं रहा है। हर साल करीब 300 लोगों को इसमें जान गवांनी पड़ रही है। इस साल सिर्फ जुलाई महीने में ही सड़क हादसों में 25 लोगों की जान चली गयी। जागरूकता को कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। लोगों के साथ प्रशासन की भी लापरवाही भारी पड़ रही है। साल दर साल हो रहे इन हादसों से सैकड़ों परिवारों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। हजारों लोग अपंग होकर इसकी पीड़ा भुगत रहे हैं। सबसे अधिक बाइक चालक इन हादसों में जान गवांते हैं। होने वाली 10 मौतों में छह से सात बाइक के कारण होती है। इनमें भी अधिकतर 16 से 25 वर्ष के युवा होते हैं। साल दर साल आंकड़ा : सिर्फ जुलाई की बात करें तो वर्ष 2020 में 18 लोगों की जान गयी थी। वहीं, 21 में 35, 22 में 27 और 23 में 24 लोगों की मौत हुई थी। जबकि, 24 में यह आंकड़ा 25 है। इसी तरह, वर्ष 2020 में 377, 21 में 367, 22 में 349 तो 23 में 290 से अधिक मौत हुई थी। जिले की बात करें तो औसतन हर दिन एक आदमी की मौत सड़क हादसे में हो जाती है। तेज रफ्तार है हादसे का सबसे बड़ा कारण: हादसे का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार ही है। जिले में एनएच व एसएच की भरमार है। जिले की ग्रामीण सड़कों का भी हाल अभी बेहतर है। इन सड़कों पर बाइक तो क्या बड़े वाहनों की स्पीड भी काफी अधिक है। ट्रक और ट्रैक्टर दूसरों की मौत का कारण बन रहे हैं। अभी तो जिले की सबसे प्रमुख सड़क एनएच 20 को फोरलेन बना दिया गया है। इस सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है। ऐसे में हादसों की भी संभावना बढ़ गयी है। स्पीडोमीटर का नहीं हो रहा उपयोग: सड़क हादसों को कम करने के लिए सड़क सुरक्षा समिति बनायी गयी है। इसमें यातायात थाना, परिवहन विभाग के अलावा कई विभागों के अधिकारी शामिल हैं। समय-समय पर इनकी बैठक होती है। बैठक में जिले के ब्लैक स्पॉट की पहचान कर सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्णय लिये गये थे। इनमें मोड़ के पास साइन बोर्ड लगाना, जरूरत के अनुसार ब्रेकर बनाना, लोगों को ट्रैफिक नियम के प्रति जागरूक करना आदि शामिल थे। लगता है इन उपायों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। एसएच 78 बन गया है खतरनाक: एसएच 78, बिहटा-सरमेरा मार्ग सड़क हादसों की दृष्टि से खतरनाक बन गया है। जुलाई में होने वाली एक चौथाई मौत इसी सड़क पर हुई है। नूरसराय के मुजफ्फपुर गांव के पास, रहुई के रहुई से लेकर सोनसा तक, बिन्द चौराहा व सरमेरा के गोपालबाद से सरमेरा बाजार तक अक्सर हादसे होते हैं। इसी तरह एनएच 20 के निर्माण के बाद करगिल चौक से गिरियक तक की सड़क पर भी कई हादसे हुए हैं।