जुमा, जामा या जामी…संभल मस्जिद का सही नाम क्या: हाईकोर्ट बता चुका है विवादित ढांचा; नया सरकारी साइन बोर्ड लापता – Sambhal News h3>
‘उन्होंने बिल में 3-डी सेक्शन जोड़ा है। इस कानून पर जिस दिन राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे, संभल की मस्जिद वक्फ की नहीं रहेगी। क्योंकि, यह ASI की संरक्षित साइट है। इसलिए संभल की मस्जिद चली गई न वक्फ से। मैंने पहले ही कहा था, संभल जामा मस्जिद नए वक्फ कानू
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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान उस दिन सामने आया, जब ASI ने संभल की जामा मस्जिद के लिए नया बोर्ड भिजवाया। विवाद की प्रमुख वजह बोर्ड पर लिखा ‘जुमा मस्जिद’ नाम है।
मस्जिद कमेटी के बोर्डों पर अब तक ‘जामा मस्जिद’ लिखा है। वहीं, ASI के एक डॉक्यूमेंट में ‘जुमा मस्जिद’ और दूसरे में ‘जामी मस्जिद’ लिखा है। जबकि, हाईकोर्ट एक ऑर्डर में इसे ‘विवादित ढांचा’ बता चुका है।
इस विवाद की वजह से ASI का नया साइनबोर्ड लग नहीं पाया है, बल्कि वो ‘लापता’ हो गया है। ये बोर्ड कहां रखा है, कोई बताने को तैयार नहीं।
मस्जिद के नाम को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी के बीच दैनिक भास्कर ने सभी पक्षों से अलग-अलग बातचीत की। इसके नाम से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स की स्टडी की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
ASI का नया बोर्ड, जिस पर जुमा मस्जिद लिखा है।
8 अप्रैल को ASI ने भिजवाया था ‘जुमा मस्जिद’ का नया साइन बोर्ड संभल की जामा मस्जिद मुख्य बाजार मोहल्ला कोटगर्वी में है। यहां आने के 3 रास्ते हैं। मुख्य बाजार की तरफ से आने वाले रास्ते और मस्जिद गेट के ठीक सामने कोने पर हरे रंग के 2 बोर्ड लगे हैं। ये बोर्ड मस्जिद कमेटी ने ही लगाए हैं। इन पर हिंदी और उर्दू में ‘शाही जामा मस्जिद संभल’ लिखा है।
मस्जिद कमेटी भी अपने डॉक्यूमेंट्स में यही नाम लिखती आई है। मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित जितने भी कोर्ट केस संभल, प्रयागराज और दिल्ली में चल रहे हैं, उनमें मस्जिद कमेटी ने यही नाम लिखवाया है।
मस्जिद के पड़ोस में ही सत्यव्रत पुलिस चौकी बनाई गई है।
मस्जिद के नाम को लेकर विवाद की शुरुआत 8 अप्रैल, 2025 से हुई, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नया साइनबोर्ड भिजवाया। इस बोर्ड पर जामा मस्जिद का नाम ‘जुमा मस्जिद’ लिखा है। ये बोर्ड मस्जिद के सामने ‘सत्यव्रत पुलिस चौकी’ के अंदर रख दिया गया, लेकिन अभी लग नहीं सका है।
16 अप्रैल को ‘दैनिक भास्कर’ ने सत्यव्रत पुलिस चौकी में पहुंचकर इस साइन बोर्ड को ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। चौकी के भीतर कोई पुलिसवाला भी मौजूद नहीं था, जो साइन बोर्ड के बारे में कुछ बता सके।
मस्जिद कमेटी ने जो बोर्ड लगवाया है, उस पर शाही जामा मस्जिद संभल लिखा है।
अब सभी पक्षों की बात
मस्जिद कमेटी ने कहा- सही नाम शाही जामा मस्जिद है हमने सबसे पहले इस केस में संभल की ‘जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी’ से बात की। कमेटी के वकील शकील अहमद वारसी बताते हैं- सही नाम तो शाही जामा मस्जिद, संभल है। उच्चारण की गलती हो सकती है। स्पेलिंग मिस्टेक हो सकती है। कोई जुमा मस्जिद कहता है, तो कोई जामी मस्जिद कहता है। लेकिन सही नाम शाही जामा मस्जिद है।
वे आगे कहते हैं- ASI से नया बोर्ड आ गया था। उसे लगाने की तैयारी थी। उससे पहले ही मस्जिद कमेटी की तरफ से आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट में मौखिक ऑब्जेक्शन किया गया। मस्जिद कमेटी ने अनुरोध किया है कि जो नाम पहले था, वही रहने दिया जाए। ASI ने हमें बताया कि उनके 1927 के एक रिकॉर्ड में ये जुमा मस्जिद के नाम से दर्ज है।
ASI के वकील बोले- 1980 के नोटिफिकेशन में जुमा मस्जिद लिखा, इसलिए वही बोर्ड भेजा गया जामा मस्जिद कमेटी के इस दावे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील विष्णु शंकर शर्मा सिरे से खारिज करते हैं। वह कहते हैं- 25 दिसंबर, 1980 का भारत सरकार का एक नोटिफिकेशन है। इसमें इस इमारत का नाम जुमा मस्जिद नाम से दर्ज है।
स्थानीय लोग इसे आम बोलचाल में शाही जामा मस्जिद कहते हैं। ASI के कुछ रिकॉर्ड में कहीं-कहीं जामी मस्जिद भी लिखा है। एक बोर्ड पहले से मस्जिद के अंदर लगा हुआ है। दूसरा नया साइन बोर्ड मस्जिद के बाहर लगेगा।
25 दिसंबर 1920 को सरकार का नोटिफिकेशन, इसमें सबसे नीचे जुमा मस्जिद संभल लिखा है।
वकील विष्णु शंकर शर्मा ने ‘दैनिक भास्कर’ को भारत सरकार का वो नोटिफिकेशन भी दिखाया, जिसमें जुमा मस्जिद, संभल नाम लिखा है। विष्णु शंकर जैन ने भी माना कि अभी ASI का नया बोर्ड मस्जिद के बाहर नहीं लगा है।
ASI स्मारकों की लिस्ट में जामी मस्जिद नाम संभल की जामा मस्जिद को श्रीहरिहर मंदिर बताकर हिंदू पक्ष ने नवंबर-2024 में स्थानीय अदालत में 95 पेज की एक याचिका दायर की थी। इसमें ASI की राष्ट्रीय महत्व वाली इमारतों की लिस्ट भी दी गई थी। हमने इस याचिका की स्टडी की। इसके 37 और 44 नंबर पेज पर इस लिस्ट में जामी मस्जिद, संभल लिखा हुआ है। हालांकि ASI के वकील इसको उच्चारण की गड़बड़ी मानते हैं।
ASI की राष्ट्रीय महत्व वाले स्मारकों की सूची में इसका नाम जामी मस्जिद संभल लिखा है।
जब संभल जिला अस्तित्व में नहीं था, तब ये मुरादाबाद जिले के अंतर्गत आता था। हमने साल-1911 में प्रकाशित मुरादाबाद का गजेटियर भी देखा। इसमें पेज नंबर- 250 के आसपास संभल की इस मस्जिद को लेकर काफी कुछ लिखा हुआ है। लेकिन, यहां जामा या जामी की बजाय सिर्फ ‘मस्जिद’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
संभल की जामा मस्जिद मुख्य बाजार मोहल्ला कोटगर्वी में स्थित है।
हाईकोर्ट ने एक ऑर्डर में बताया था विवादित ढांचा इस मस्जिद का सही नाम क्या है? पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यही पूछा था। दरअसल, संभल की स्थानीय अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद से जुड़े कई प्रकरणों पर अलग-अलग सुनवाई चल रही है। मस्जिद कमेटी की एक याचिका पर ASI के वकील मनोज कुमार सिंह ने आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि ASI के दस्तावेजों में मस्जिद का नाम जुमा मस्जिद लिखा है। सेक्रेटरी ऑफ स्टेट और मस्जिद के मुतवल्ली के बीच 1927 में हुए करार में भी जुमा मस्जिद लिखा है। जबकि हाईकोर्ट में याचिका जामी मस्जिद के नाम से दाखिल हुई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का 4 मार्च 2025 का ऑर्डर, इसमें मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ कहकर संबोधित किया गया है।
इस पर जब हाईकोर्ट ने पूछा कि मस्जिद का सही नाम क्या है तो उस पक्ष के सीनियर वकील एसएफए नकवी ने इसे जामा मस्जिद बताया। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में संशोधन अर्जी देंगे। हिंदू पक्ष की तरफ से सीनियर वकील हरिशंकर जैन ने 4 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि जिसका विवाद चल रहा है, उसे मस्जिद नहीं विवादित ढांचा कहा जाए। इसके बाद जब शाम को कोर्ट ऑर्डर जारी हुआ। उसमें मस्जिद को विवादित ढांचा कहकर संबोधित किया गया।
बोर्ड कहां गया, किसी को कुछ नहीं पता 8 अप्रैल को ASI की तरफ से जो नया साइन बोर्ड भेजा गया, वो कहां है? यह जानने के लिए हमने संभल की उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) वंदना मिश्रा से बात की। उन्होंने कहा- इसकी मुझे जानकारी नहीं है। ASI वाले ही इस बारे में कुछ बता सकते हैं।
हमने इस बारे में संभल पुलिस स्टेशन के कई लोगों से बातचीत करने का प्रयास किया। सत्यव्रत पुलिस चौकी इसी के अंतर्गत आती है, जहां पर ये साइन बोर्ड रखा हुआ था। लेकिन, किसी भी पुलिसकर्मी ने हमें ये नहीं बताया कि साइन बोर्ड अब कहां है? फिलहाल मस्जिद के नाम को लेकर इस कंट्रोवर्सी मुद्दे पर कोई बोलने को तैयार नहीं।
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