जुड़वा मासूमों को मारने से पहले टीका लगवाकर लाया पिता: दादी ने बेटियां होने का ताना मारा, बेडरूम में सो रही मासूमों को मार डाला – Rajasthan News

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जुड़वा मासूमों को मारने से पहले टीका लगवाकर लाया पिता:  दादी ने बेटियां होने का ताना मारा, बेडरूम में सो रही मासूमों को मार डाला – Rajasthan News

जुड़वा मासूमों को मारने से पहले टीका लगवाकर लाया पिता: दादी ने बेटियां होने का ताना मारा, बेडरूम में सो रही मासूमों को मार डाला – Rajasthan News

दो बेटियां जुड़वां पैदा हुईं। अभी पांच महीने ही हुए थे। घर आंगन उनकी किलकारियों से गूंज रहा था।

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मां दिनभर संभालती, उनका ध्यान रखती। अफसाेस, वह बेटियों को ‘अपनों’ (पिता) से ही नहीं बचा पाई। मां के आंखों सामने ही एक-एक कर दोनों बेटियों को पिता ने मार डाला। गुस्से में जमीन पर ऐसा पटका कि दोनों की ही मौत हो गई। इसके बाद चुपचाप दोनों को दफना दिया, ताकि किसी को खबर न लगे।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिता ही मासूम बेटियों का हत्यारा बन गया। क्यों मां सबकुछ देखकर भी असहाय और बेबस बनी रही?

ये सब जानने हम नीमकाथाना के वार्ड 31 में अशोक यादव (30) के घर पहुंचे। आरोप है कि अशोक यादव ने ही अपनी दोनों बेटियों की हत्या की है।

27 मार्च को हुई इस घटना की पूरी जानकारी जुटाई। इसमें कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं।

बच्चियों की मां अनीता ने दैनिक NEWS4SOCIALसे बातचीत में कई खुलासे किए।

बच्चियों की मां अनीता (27) ने बताया- दोपहर के कोई तीन बज रहे थे। मैंने दोनों बेटियों को दूध पिलाकर सुलाया ही था। दोनों कमरे के अंदर पलंग पर सो रही थी। इससे दो घंटे पहले ही करीब एक बजे मैं और अशोक जिला अस्पताल गए थे। दोनों बेटियों को टीका लगवाया था। तब तक कहीं कुछ भी ऐसा नहीं था कि ये नौबत आएगी।

…तो फिर ऐसा क्या हुआ कि पिता ही बेटियों का हत्या बन गया? इस सवाल पर अनीता कुछ देर चुप रहती हैं और फिर बताती हैं- मेरी और मेरी बड़ी बहन सुनीता की शादी एक ही दिन हुई थी। दोनों का ससुराल नीमकाथाना ही है। बड़ी बहन दो-तीन घर छोड़ कर रहती है। मेरे पांच साल की एक बेटी पहले से है। 4 नवंबर 2024 को दो जुड़वा बेटियों का जन्म हुआ। हमने एक का नाम निधि और दूसरी का नाम नव्या रखा था।

तीन बेटियां होने से ससुराल वाले खुश नहीं थे। परिवार में रोजाना झगड़े होने लगे। बेटा न होने पर सास बनारसी, ससुर नवलकिशोर और पति अशोक ताने मारते थे, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया।

27 मार्च को दोपहर करीब 1 बजे मैं पति अशोक के साथ कार से दोनों बेटियों को टीका लगवाने के लिए नीमकाथाना हॉस्पिटल गई थी। वहां से करीब 3 बजे घर लौटी। अशोक कार पार्क कर रहा था और मैं बेटियों को लेकर अंदर चली गई।

अंदर जाते ही सास बनारसी ने ताने मारने शुरू कर दिए- ‘लड़कियां ही लड़कियां पैदा कर दीं। इनको कौन पालेगा? वंश कैसे आगे बढ़ेगा?’

मैंने कहा कि मेरी क्या गलती है? इतना कहकर मैं कमरे में चली गई और बेटियों को दूध पिलाने लगी।

तभी अशोक कमरे में आ गया और चिल्लाया- ‘रोज-रोज का झगड़ा तुम्हारी वजह से होता है। अगर तूने बेटा पैदा किया होता, तो ऐसा नहीं होता। आज मैं इन दोनों को ही खत्म कर देता हूं!’

मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले ही अशोक ने पहले निधि का पैर पकड़ा और उसका सिर फर्श पर दे मारा।

मैं घबराकर बाहर भागी, लेकिन सास ने पकड़ लिया और कहा- चुपचाप अंदर बैठ जा, बेइज्जती मत करवा हमारी। किसको सुनाने जा रही है?

इसके बाद मेरी आंखों के सामने ही अशोक ने नव्या को भी जमीन पर पटक दिया। दोनों बच्चियां मौके पर ही अचेत हो गईं। मैं रोते हुए पड़ोस में अपनी बड़ी बहन सुनीता के घर पहुंची, लेकिन सीढ़ियों से गिरकर बेहोश हो गई। होश आने पर बहन को पूरी बात बताई।

दोनों बेटियों के शव घर से करीब 2 किलोमीटर दूर खाली प्लॉट में दफना दिए।

रात करीब आठ बजे मुझे होश आया। मेरी बहन को वे लोग ये कहकर गए कि दोनों बच्चियों को अशोक ने नीचे गिरा दिया। दोनों ठीक हैं, हम उन्हें हॉस्पिटल ले जा रहे हैं। तुम अनीता का ध्यान रखो। इसके बाद मैंने वापस घर आकर देखा तो दोनों बेटियों को कंबल में लपेटा हुआ था। मुझे बताया कि हम इन्हें हॉस्पिटल में दिखाकर लाए हैं। दोनों की मौत हो गई। इसके बाद ये लोग दोनों को ले गए। रात करीब नौ बजे मैंने जयपुर अपने भाई सुनील को फोन करके सारी बात बताई। रात करीब दस बजे ये लोग दोनों को दफना कर वापस लौट आए और मुझे किसी को कुछ भी बताने से मना किया।

भाई के फोन से पहुंची पुलिस अनीता का भाई सुनील रात नौ बजे जयपुर से रवाना हुआ। रास्ते में उसने पुलिस को फोन किया। उसकी सूचना पर ही पुलिस मौके पर पहुंची और अशोक को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सारा मामला खुल गया। इसके बाद पुलिस उसे लेकर उस जगह पहुंची जहां बेटियों को दफनाया गया था। पुलिस ने रात को वहां फोर्स को तैनात किया और फिर सवेरे जमीन खुदवाकर दोनों के शव बाहर निकाले। इसके बाद उनका पोस्टमॉर्टम करवाया गया।

NEWS4SOCIALटीम टीका लगाने वाली एएनएम से लेकर मासूमों का इलाज करने वाले डॉक्टर तक पहुंची। इस पूरी पड़ताल में सामने आया कि कैसे आरोपी अशोक और उसके घरवाले कदम-कदम पर झूठ बोल रहे थे।

मौके पर पहुंची पुलिस और एफएसएल टीम ने दोनों बच्चियों के शवों को बाहर निकाला।

टीका लगाने वाली एएनएम ने कहा- हत्या से पहले अशोक एकदम नॉर्मल था अनीता से बातचीत में हमें पता चला कि हत्या से महज दो घंटे पहले अशोक बेटियों को टीका लगवाने उसके साथ हॉस्पिटल गया था। हम जिला हाॅस्पिटल पहुंचे। जहां हमारी बात टीका लगाने वाली एएनएम जीना जॉर्ज से हुई। जीना जॉर्ज ने हमें बताया-

बेटियों को टीका लगवाने के लिए पति-पत्नी दोनों आए थे। वे एक–एक कर बेटियों को लाए। ऐसा कुछ लग नहीं रहा था कि दोनों के बीच कुछ बात है। दोनों नाॅर्मल ही थे।

हॉस्पिटल के रजिस्टर में दोनों बेटियों की टीकाकरण के दौरान एंट्री की गई।

इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा- पलंग से गिरना बताया जिला अस्पताल में 27 मार्च की रात डॉ. भवानीशंकर शर्मा की ड्यूटी थी। हमने डॉ. भवानीशंकर शर्मा से बात की। पूछा कि क्या दोनों बच्चियों को आपके पास लाया गया था। डॉ शर्मा ने बताया– हां, रात को इनके दादा–दादी और तीन चार अन्य लोग दोनों बच्चियों को लेकर आए थे। हमें पहले नव्या को दिया गया। चेक किया तो उसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद निधि काे दिखाया। उसकी सांसें चल रही थी। जिस पर हमने सीपीआर दिया, लेकिन 20 मिनट में ही उसकी मौत हो गई।

इस दौरान हमने उन लोगों से पूछा भी कि हुआ क्या था, तो वे बोले कि हम खेत में थे। घर पर बच्चियां और कुछ बच्चे अकेले थे। इसी दौरान किसी बच्चे ने शायद इन्हें गिरा दिया। हमने पोस्टमॉर्टम के लिए कहा तो वे रोने लगे और कहा कि रहने दो, छोटी बच्चियां हैं, इनका क्या पोस्टमॉर्टम करवाएं। इसके बाद वे दोनों को लेकर चले गए, लेकिन किसी की भी बात से यह जाहिर नहीं हुआ कि बच्चियों की हत्या की गई है।

27 मार्च को इसी जगह अशोक यादव ने अपनी जुड़वा बेटियों को पटककर मार डाला।

27 मार्च को हत्या के बदा दफना दिया था नीमकाथाना (सीकर) के वार्ड 31 के रहने वाले अशोक कुमार यादव (30) ने 27 मार्च की दोपहर को अपनी पांच महीने की दो जुड़वा बेटियों को जमीन पर पटक कर मार डाला था। ये देखकर उनकी मां अनीता (27) बेहोश हो गई। जिसे रात को होश आया। रात करीब नौ बजे अशोक यादव और बाकी घरवाले दोनों बच्चियों के शवों को लेकर गए और कलेक्ट्रेट के पास तालाब की जमीन में दफना दिए। घटनास्थल को सील कर दिया गया है। 28 मार्च की सुबह 8:30 बजे शव निकलवाकर पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल बोर्ड को सौंपा गया था। पुलिस ने आरोपी पिता अशोक यादव को गिरफ्तार कर लिया, जबकि बाकी लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है।

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