जींस हब बनेगा जबलपुर, तैयार हुआ रंगाई-धुलाई प्लांट | Jabalpur will become jeans hub, dyeing-washing plant ready | Patrika News h3>
गारमेंट क्लस्टर : नए वस्त्र निर्माता भी उभरेंगे, रोजगार के अवसर भी बढे़ंगे
शहर में अभी जींस पेंट-शर्ट का उत्पादन नाममात्र के लिए होता है। इसका बड़ा कारण वेल्यू एडीशन के लिए मशीन और तकनीक की कमी होना है। मोटे कपडे़ वाले जींस पेंट और शर्ट की सिलाई तो आसान है, लेकिन रंगाई-धुलाई के अलावा डिजाइन और इफेक्ट का काम मुश्किल होता है। इसकी मशीनें काफी महंगी होती हैं। गारमेंट क्लस्टर में दोनों प्लांट चालू होते ही यह समस्या दूर हो जाएगी। इसका लाभ जबलपुर और महाकोशल के साथ अन्य जिलों के वस्त्र निर्माताओं को मिलेगा।
लेमा गार्डन में संचालित रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर में चार करोड़ रुपए की लागत से वॉशिंग और डाइंग प्लांट स्थापित किया गया है। इसकी बिल्डिंग का काम हुए लंबा समय बीत गया है। मशीनें भी आ गई हैं। लेकिन इन प्लांट से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी को फिल्टर करने का काम जिस ईटीपी प्लांट में होना है, उसका निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। सिविल वर्क का काम हो गया है, लेकनि मैकेनिकल साइड में कुछ चीजें पूरी होना बाकी है। इस काम में अभी एक माह का समय लग सकता है।
अभी बाहर होती है प्रक्रिया
गारमेंट क्लस्टर के साथ-साथ शहर में कई गारमेंट निर्माता हैं जो कि जींस पेंट और शर्ट बनाना चाहते हैं, लेकिन व्यापक पैमाने पर वाशिंग और डाइंग प्लांट की सुविधा नहीं होने से वे आगे कदम नहीं बढ़ाते हैं। अभी निर्माताओं को इस काम के लिए मुंबई या फिर इंदौर जाना पड़ता है। शहर में यह काम छोटे स्तर पर होता है। लेकिन क्लस्टर का प्लांट बहुत बड़ा है। इसकी क्षमता पांच हजार पीस प्रतिदिन रंगाई और धुलाई की है। यानी एक माह में डेढ़ लाख पीस का काम आसानी से हो सकता है।
यह है स्थिति
500 छोटी बड़ी गारमेंट इकाइयां शहर में ।
200 इकाइयों की स्थापना अकेेले क्लस्टर में।
60 करोड़ से इकाइयां और प्लांट किया तैयार।
30 हजार से ज्यादा लोगों को उद्योग से रोजगार।
90 प्रतिशत इकाइयों में बनता है सलवार सूट।
04 करोड़ की लागत से बने डाइंग-वाशिंग प्लांट
05 हजार पीस प्रतिदिन प्रोसेसिंग की सुविधा।
शर्ट इंडस्ट्री को मिलेगा फायदा
जबलपुर में शर्ट इंडस्ट्री भी उभर रही है। 70 से अधिक शर्ट निर्माता हैं। इनमें से कुछ ब्रांड के रूप में प्रसिद्ध हैं। डाइंग और वाशिंग प्लांट का लाभ इस इंडस्ट्री को भी मिलेगा। शर्ट के पीस तैयार करने के बाद धुलाई से कपड़ा मुलायम होता है। क्लस्टर के पूर्व एमडी श्रेयांस जैन ने बताया कि इन प्लांट को कई संभावनाओं को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया है। इसमें होटल, रेलवे और अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों की रंगाई-धुलाई का विकल्प भी रहेगा।
सीएफसी का होगा उपयोग
वाशिंग और डाइंग प्लांट के अलावा क्लस्टर के कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) में सिलाई और वैल्यू एडीशन के लिए आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। 60 लाख रुपए से ज्यादा कीमत वाली ये मशीनें जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइनिंग क्लस्टर एसोसिएशन मंगा चुका है। इनका इस्तेमाल भी निर्माता कर सकेंगे। उन्हें उनके ऑर्डर के अनुसार यह सुविधा मिलेगी। मशीनों से लेकर प्लांट की बुकिंग की व्यवस्था भी एसोसिएशन का संचालक मंडल कर रहा है।
वॉशिंग एवं डाइंग प्लांट स्थापित किया जा चुका है। ईटीपी का काम चल रहा है। एक माह में यह पूरा हो जाएगा। इस प्लांट के बनने से जींस कपड़ों के उत्पादन में तेजी आएगी। पेंट और शर्ट का वैल्यू एडीशन शहर में हो सकेगा। अभी यह काम बाहर करवाना पड़ता है।
– दीपक जैन, एमडी, जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइनिंग क्लस्टर एसोसिएशन
गारमेंट क्लस्टर : नए वस्त्र निर्माता भी उभरेंगे, रोजगार के अवसर भी बढे़ंगे
शहर में अभी जींस पेंट-शर्ट का उत्पादन नाममात्र के लिए होता है। इसका बड़ा कारण वेल्यू एडीशन के लिए मशीन और तकनीक की कमी होना है। मोटे कपडे़ वाले जींस पेंट और शर्ट की सिलाई तो आसान है, लेकिन रंगाई-धुलाई के अलावा डिजाइन और इफेक्ट का काम मुश्किल होता है। इसकी मशीनें काफी महंगी होती हैं। गारमेंट क्लस्टर में दोनों प्लांट चालू होते ही यह समस्या दूर हो जाएगी। इसका लाभ जबलपुर और महाकोशल के साथ अन्य जिलों के वस्त्र निर्माताओं को मिलेगा।
लेमा गार्डन में संचालित रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर में चार करोड़ रुपए की लागत से वॉशिंग और डाइंग प्लांट स्थापित किया गया है। इसकी बिल्डिंग का काम हुए लंबा समय बीत गया है। मशीनें भी आ गई हैं। लेकिन इन प्लांट से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी को फिल्टर करने का काम जिस ईटीपी प्लांट में होना है, उसका निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। सिविल वर्क का काम हो गया है, लेकनि मैकेनिकल साइड में कुछ चीजें पूरी होना बाकी है। इस काम में अभी एक माह का समय लग सकता है।
अभी बाहर होती है प्रक्रिया
गारमेंट क्लस्टर के साथ-साथ शहर में कई गारमेंट निर्माता हैं जो कि जींस पेंट और शर्ट बनाना चाहते हैं, लेकिन व्यापक पैमाने पर वाशिंग और डाइंग प्लांट की सुविधा नहीं होने से वे आगे कदम नहीं बढ़ाते हैं। अभी निर्माताओं को इस काम के लिए मुंबई या फिर इंदौर जाना पड़ता है। शहर में यह काम छोटे स्तर पर होता है। लेकिन क्लस्टर का प्लांट बहुत बड़ा है। इसकी क्षमता पांच हजार पीस प्रतिदिन रंगाई और धुलाई की है। यानी एक माह में डेढ़ लाख पीस का काम आसानी से हो सकता है।
यह है स्थिति
500 छोटी बड़ी गारमेंट इकाइयां शहर में ।
200 इकाइयों की स्थापना अकेेले क्लस्टर में।
60 करोड़ से इकाइयां और प्लांट किया तैयार।
30 हजार से ज्यादा लोगों को उद्योग से रोजगार।
90 प्रतिशत इकाइयों में बनता है सलवार सूट।
04 करोड़ की लागत से बने डाइंग-वाशिंग प्लांट
05 हजार पीस प्रतिदिन प्रोसेसिंग की सुविधा।
शर्ट इंडस्ट्री को मिलेगा फायदा
जबलपुर में शर्ट इंडस्ट्री भी उभर रही है। 70 से अधिक शर्ट निर्माता हैं। इनमें से कुछ ब्रांड के रूप में प्रसिद्ध हैं। डाइंग और वाशिंग प्लांट का लाभ इस इंडस्ट्री को भी मिलेगा। शर्ट के पीस तैयार करने के बाद धुलाई से कपड़ा मुलायम होता है। क्लस्टर के पूर्व एमडी श्रेयांस जैन ने बताया कि इन प्लांट को कई संभावनाओं को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया है। इसमें होटल, रेलवे और अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों की रंगाई-धुलाई का विकल्प भी रहेगा।
सीएफसी का होगा उपयोग
वाशिंग और डाइंग प्लांट के अलावा क्लस्टर के कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) में सिलाई और वैल्यू एडीशन के लिए आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। 60 लाख रुपए से ज्यादा कीमत वाली ये मशीनें जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइनिंग क्लस्टर एसोसिएशन मंगा चुका है। इनका इस्तेमाल भी निर्माता कर सकेंगे। उन्हें उनके ऑर्डर के अनुसार यह सुविधा मिलेगी। मशीनों से लेकर प्लांट की बुकिंग की व्यवस्था भी एसोसिएशन का संचालक मंडल कर रहा है।
वॉशिंग एवं डाइंग प्लांट स्थापित किया जा चुका है। ईटीपी का काम चल रहा है। एक माह में यह पूरा हो जाएगा। इस प्लांट के बनने से जींस कपड़ों के उत्पादन में तेजी आएगी। पेंट और शर्ट का वैल्यू एडीशन शहर में हो सकेगा। अभी यह काम बाहर करवाना पड़ता है।
– दीपक जैन, एमडी, जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइनिंग क्लस्टर एसोसिएशन