जिस त्यागराज स्टेडियम में कुत्ता टहला रहे थे IAS अधिकारी, उसे बनाने में लगे हैं 300 करोड़, लग्जरी सुविधाओं से है लैस

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जिस त्यागराज स्टेडियम में कुत्ता टहला रहे थे IAS अधिकारी, उसे बनाने में लगे हैं 300 करोड़, लग्जरी सुविधाओं से है लैस


जिस त्यागराज स्टेडियम में कुत्ता टहला रहे थे IAS अधिकारी, उसे बनाने में लगे हैं 300 करोड़, लग्जरी सुविधाओं से है लैस

IAS Sanjeev Khirwar-Rinku Dugga News: दिल्ली का त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में सन्नाटा था। जिस ट्रैक पर एथलीट जलवा बिखेरते हैं उस पर एक कपल टहल रहा था। साथ में था एक कुत्ता। इस तस्वीर के सामने आते ही पूरे देश में भूचाल मच गया। विवाद बढ़ा तो पता चला कि जो कपल टहल रहा था वह आईएएस ऑफिसर संजीव खिरवार और उनकी वाइफ रिंकू दुग्गा, जो खुद भी IAS ऑफिसर हैं, थीं। आनन-फानन में दोनों का ट्रांसफर भी हो गया। संजीव को लद्दाख, जबकि रिंकू को अरुणाचल प्रदेश जाना होगा।

जब यह तस्वीर वायरल हो रही थी तो सभी हैरान थे। आखिरी खिलाड़ियों के लिए बनाए गए स्टेडियम में कोई कुत्ता कैसे टहला सकता है। ऐसा करने वाला अगर फर्स्ट क्लास लेवल का कोई आईएएस अधिकारी हो तो हैरानी और भी अधिक होती है। इस बारे में 400 मीटर में हिस्सा लेने वाले अमित कहते हैं- यह स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खिलाड़ियों के लिए है। यहां कोई भी कुत्ता टहलाए गलत है।

2009 में 300 करोड़ रुपये में बनकर हुआ तैयार
खैर, यह पूरा विवाद रहा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स को बनाने में कितना खर्च आया था और कब बना था? नहीं तो हम किस काम आएंगे। यह त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स 2007 में बनना शुरू हुआ। 2009 में कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बनकर तैयार हुआ था, जबकि 2 अप्रैल, 2010 को एथलीटों के लिए खोला गया था। इस 16.5 एकड़ में फैले स्टेडियम को बनाने में 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

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सिंगर त्यागराजा के नाम पर कॉम्पलेक्स
इसका नाम 18वीं सेंचुरी के मशहूर तेलुगू सिंगर त्यागराजा के नाम पर रखा गया था। कॉम्पलेक्स में रनिंग ट्रैक के अलावा इंडोर स्टेडियम भी है, जहां बैडमिंटन, बॉक्सिंग सहित कई इंडोर इवेंट्स होते रहते हैं।

इन खेलों के लिए हैं सुविधाएं
स्टेडियम के बाहर 400 मीटर लंबा 8 लेन का सिंथेटिक ट्रैक है। इस ट्रैक के बीच में फुटबॉल का मैदान बना है। स्टेडियम के अंदर लॉन्ग जंप, हाईजंप सहित अन्य एथलेटिक खेलों के लिए भी मैदान हैं। स्टेडियम में 5 टेनिस कोर्ट हैं, जिनमें से 3 क्ले कोर्ट और 2 कोर्ट सिंथेटिक हैं। स्टेडियम की इमारत 20,500 वर्ग मीटर में बनी है।

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भारत का पहला ग्रीन स्टेडियम
इस स्टेडियम में पर्यावरण का खासतौर पर ध्यान रखा गया है। इसे देश के पहले ग्रीन स्टेडियम के रूप में तैयार किया गया है, जिसे बनाने में फ्लाई-ऐश से बनी ईंटों का इस्तेमाल हुआ। इसकी दीवारों में इस तरह से जगह छोड़ी गई है कि बिजली-पानी की लाइनें उससे होकर जाएं और जरूरत पड़ने पर लाइनों में आई खराबी को आसानी से ठीक किया जा सके। यहां लगीं टाइलें भी फायर प्रूफ हैं। 11000 वर्ग-मीटर हिस्से में सोलर पैनल लगाए गए हैं। इससे प्रतिदिन लगभग एक मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जो पूरे स्टेडियम में खर्च होने वाली बिजली का एक तिहाई है।



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