जिले में पहली बार होगी राष्ट्रीय स्तर की दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता h3>
मुजफ्फरपुर में पहली बार दृष्टि दिव्यांग लड़कों के लिए राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। यह आयोजन रितिक के प्रयासों से संभव हुआ, जिसने क्रिकेट खेलते समय अपनी आंखों की रोशनी खो…
Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 13 Oct 2024 07:19 PM
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मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता जिले में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता सोमवार से आयोजित हो रही है। यह केवल जिले में ही नहीं, सूबे में भी पहली बार हैं जब दृष्टि दिव्यांग लड़कों के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। इससे पहले पटना में पिछले साल दृष्टि दिव्यांग लड़कियों के लिए प्रतियोगिता आयोजित कराई गई थी।
मेजबानी करने का यह गौरव जिले को पहली बार यहां के ही दृष्टि दिव्यांग रितिक की वजह से मिला है। रितिक की आंखों की रोशनी क्रिकेट ने ही छीन ली थी। इसके बावजूद खेल के प्रति उसका जुनून कम नहीं हुआ। बिहार के साथ ही बंगाल समेत अन्य राज्यों के खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल होंगे। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन बिहार के तत्वावधान में यह प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। रविवार को जिले में पहुंचे खिलाड़ी शुभम विकलांग केन्द्र के मैदान में प्रैक्टिस में जुटे रहे। मणिपुर की टीम देर शाम पहुंची वहीं बंगाल की टीम सोमवार को सुबह पहुंचेगी। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन बिहार की डॉ. संगीता अग्रवाल खुद दृष्टि बाधित हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अब तक हमारे खिलाड़ी अन्य राज्यों में जाते रहे हैं। पहली बार इतना बड़ा टूर्नामेंट आयोजित करने का मौका जिले को मिला है। विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी इसमें शिरकत कर रहे हैं। बताया कि इस पूरे आयोजन को कराने का श्रेय शुभम केंद्र के पूर्व छात्र और वर्तमान में क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड से जुड़े रितिक को जाता है।
दो साल लगे स्वीकार करने में कि अब मैं देख नहीं सकता :
जिले के जीरोमाइल निवासी रितिक वर्तमान में दिल्ली इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं। रितिक कहते हैं कि 2009 में जब स्कूल में था, उस समय यह हादसा हुआ। क्रिकेट खेलने के दौरान बॉल कनपटी पर लगी। इसके बाद मेरी आंखों की रोशनी जाती रही। दो साल तक डिप्रेशन में रहा। बाद में शुभम केंद्र में आया और यहीं से एक नई दिशा मिली। यहीं से मैट्रिक, इंटर व ग्रेजुएशन किया। दिल्ली में भी क्रिकेट से जुड़ा हूं और चाहता हूं कि इस खेल की बदौलत दिव्यांग छात्रों को आगे तक ले जा सकूं। शुभम विकलांग केन्द्र के सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि एमआईटी के मैदान में यह प्रतियोगिता होगी। मणिपुर टीम के कप्तान प्रीतम ने कहा कि 2015 से क्रिकेट खेल रहा हूं। पहली बार कप्तानी का मौका मिला है।
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मुजफ्फरपुर में पहली बार दृष्टि दिव्यांग लड़कों के लिए राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। यह आयोजन रितिक के प्रयासों से संभव हुआ, जिसने क्रिकेट खेलते समय अपनी आंखों की रोशनी खो…
मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता जिले में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता सोमवार से आयोजित हो रही है। यह केवल जिले में ही नहीं, सूबे में भी पहली बार हैं जब दृष्टि दिव्यांग लड़कों के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। इससे पहले पटना में पिछले साल दृष्टि दिव्यांग लड़कियों के लिए प्रतियोगिता आयोजित कराई गई थी।
मेजबानी करने का यह गौरव जिले को पहली बार यहां के ही दृष्टि दिव्यांग रितिक की वजह से मिला है। रितिक की आंखों की रोशनी क्रिकेट ने ही छीन ली थी। इसके बावजूद खेल के प्रति उसका जुनून कम नहीं हुआ। बिहार के साथ ही बंगाल समेत अन्य राज्यों के खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल होंगे। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन बिहार के तत्वावधान में यह प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। रविवार को जिले में पहुंचे खिलाड़ी शुभम विकलांग केन्द्र के मैदान में प्रैक्टिस में जुटे रहे। मणिपुर की टीम देर शाम पहुंची वहीं बंगाल की टीम सोमवार को सुबह पहुंचेगी। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन बिहार की डॉ. संगीता अग्रवाल खुद दृष्टि बाधित हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अब तक हमारे खिलाड़ी अन्य राज्यों में जाते रहे हैं। पहली बार इतना बड़ा टूर्नामेंट आयोजित करने का मौका जिले को मिला है। विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी इसमें शिरकत कर रहे हैं। बताया कि इस पूरे आयोजन को कराने का श्रेय शुभम केंद्र के पूर्व छात्र और वर्तमान में क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड से जुड़े रितिक को जाता है।
दो साल लगे स्वीकार करने में कि अब मैं देख नहीं सकता :
जिले के जीरोमाइल निवासी रितिक वर्तमान में दिल्ली इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं। रितिक कहते हैं कि 2009 में जब स्कूल में था, उस समय यह हादसा हुआ। क्रिकेट खेलने के दौरान बॉल कनपटी पर लगी। इसके बाद मेरी आंखों की रोशनी जाती रही। दो साल तक डिप्रेशन में रहा। बाद में शुभम केंद्र में आया और यहीं से एक नई दिशा मिली। यहीं से मैट्रिक, इंटर व ग्रेजुएशन किया। दिल्ली में भी क्रिकेट से जुड़ा हूं और चाहता हूं कि इस खेल की बदौलत दिव्यांग छात्रों को आगे तक ले जा सकूं। शुभम विकलांग केन्द्र के सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि एमआईटी के मैदान में यह प्रतियोगिता होगी। मणिपुर टीम के कप्तान प्रीतम ने कहा कि 2015 से क्रिकेट खेल रहा हूं। पहली बार कप्तानी का मौका मिला है।