जिनके साथ खेलता था आतंकी बन उनकी हत्या करने पहुंचा बिट्टा कराटे, कश्मीरी पंडित ने सुनाई सच्ची घटना h3>
द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग आपबीती साझा कर रहे हैं। ये कहानियां लोगों को दहला रही हैं। ऐसी ही एक कहानी कश्मीर में पैदा हुए राजीव पंडित की। उन्होंने 1990 में हुई दर्दनाक घटना ट्विटर पर लोगों के साथ शेयर की है। राजीव ने ट्वीट्स में बताया है कि बचपन में उनके घरवालों के साथ खेलने वाला बिट्टा कराटे कैसे सनकी आतंकी बन गया। उन्होंने बताया है कि कैसे बिट्टा ने पहचानने में जरा सी चूक कर दी और उनके मामा की जगह किसी और को गोली मार दी थी। उन्होंने बताया कि ये वही मामा थे जिन्होंने बचपन में बिट्टा को स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे।
फैमिली के साथ खेलता था क्रिकेट
राजीव कश्मीरी ओवरसीज असोसिएशन के डायरेक्टर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, फारूक अहमद डार साइकोपैथ आतंकी बनने से पहले सामान्य सा बच्चा था। उसे लोग बिट्टा कहकर बुलाते थे। वह श्रीनगर में मेरे परिवार के साथ क्रिकेट खेलता था। मेरे मामा ने उसे स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे। बिट्टा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर (POK) से आतंक की ट्रेनिंग लेकर लौटा तो उसे मेरे मामा को मारने का ऑर्डर मिला। बिट्टा के एक और साथी JKLF आतंकी ने मेरे मामा को घर से काम के लिए निकलते देखा वह हब्बा कदल के पास से गुजर रहे थे। मेरे मामा को पीछे से करीब से शूट करने का प्लान था।
क्लिक करके पढ़ें: ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जिस मर्डर से खौला सबका खून, गिरजा टिक्कू की भतीजी ने बताई असली कहानी
लेदर की जैकेट से कन्फ्यूज हुआ बिट्टा
खबरी ने 16 फरवरी 1990 को मेरे मामा को 9:30 बजे घर से निकलते देखा। वह लेदर जैकेट पहने थे। बिट्टा को यह सूचना दी गई थी और उसकी पिस्टल तैयार थी। अचानक मेरे मामा को याद आया कि उनके बड़े भाई का जन्मदिन है तो वह पूजा में हिस्सा लेने के लिए वापस घर चले गए। खबरी यह नहीं देख पाया कि मेरे मामा वापस चले गए हैं। मेरे मामा के घर से कुछ ही दूरी पर 26 साल के एक कश्मीरी हिंदू अनिल भान अपनी नौकरी के लिए जा रहे थे। उनकी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। बिट्टा कराटे ने लेदर जैकेट में कश्मीरी हिंदू को देखा। उसे लगा कि यह मेरे मामा हैं। उसने पीछे से फायर कर दिया। आप कभी भी उस मां चीखें नहीं भूल सकते जिसने खून के तालाब में अपने बेटे को देखकर चीखा हो।
ये भी देखें: द कश्मीर फाइल्स में दिखें है रियल सीन्स, देखें 20 लोगों का कत्ल करने वाले बिट्टा कराटे का असली वीडियो
बताया अब तक क्यों थे चुप…
आतंकियों ने माना कि उन्होंने गलत इंसान को मार दिया है। अनिल की कुर्बानी की वजह से मेरे मामा आज भी जिंदा हैं। लेकिन न अनिल की मां, न मेरे मामा किसी को यह दर्द न झेलना पड़े। मैंने अब तक ये क्यों नहीं बताया? क्योंकि 30 साल से कश्मीरी हिंदुओं के बारे में यूएस, कांग्रेस और मीडिया में बोलने के बाद, मुझे नहीं लगता कि सुना गया। विवेक अग्निहोत्री का शुक्रिया।
द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग आपबीती साझा कर रहे हैं। ये कहानियां लोगों को दहला रही हैं। ऐसी ही एक कहानी कश्मीर में पैदा हुए राजीव पंडित की। उन्होंने 1990 में हुई दर्दनाक घटना ट्विटर पर लोगों के साथ शेयर की है। राजीव ने ट्वीट्स में बताया है कि बचपन में उनके घरवालों के साथ खेलने वाला बिट्टा कराटे कैसे सनकी आतंकी बन गया। उन्होंने बताया है कि कैसे बिट्टा ने पहचानने में जरा सी चूक कर दी और उनके मामा की जगह किसी और को गोली मार दी थी। उन्होंने बताया कि ये वही मामा थे जिन्होंने बचपन में बिट्टा को स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे।
फैमिली के साथ खेलता था क्रिकेट
राजीव कश्मीरी ओवरसीज असोसिएशन के डायरेक्टर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, फारूक अहमद डार साइकोपैथ आतंकी बनने से पहले सामान्य सा बच्चा था। उसे लोग बिट्टा कहकर बुलाते थे। वह श्रीनगर में मेरे परिवार के साथ क्रिकेट खेलता था। मेरे मामा ने उसे स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे। बिट्टा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर (POK) से आतंक की ट्रेनिंग लेकर लौटा तो उसे मेरे मामा को मारने का ऑर्डर मिला। बिट्टा के एक और साथी JKLF आतंकी ने मेरे मामा को घर से काम के लिए निकलते देखा वह हब्बा कदल के पास से गुजर रहे थे। मेरे मामा को पीछे से करीब से शूट करने का प्लान था।
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लेदर की जैकेट से कन्फ्यूज हुआ बिट्टा
खबरी ने 16 फरवरी 1990 को मेरे मामा को 9:30 बजे घर से निकलते देखा। वह लेदर जैकेट पहने थे। बिट्टा को यह सूचना दी गई थी और उसकी पिस्टल तैयार थी। अचानक मेरे मामा को याद आया कि उनके बड़े भाई का जन्मदिन है तो वह पूजा में हिस्सा लेने के लिए वापस घर चले गए। खबरी यह नहीं देख पाया कि मेरे मामा वापस चले गए हैं। मेरे मामा के घर से कुछ ही दूरी पर 26 साल के एक कश्मीरी हिंदू अनिल भान अपनी नौकरी के लिए जा रहे थे। उनकी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। बिट्टा कराटे ने लेदर जैकेट में कश्मीरी हिंदू को देखा। उसे लगा कि यह मेरे मामा हैं। उसने पीछे से फायर कर दिया। आप कभी भी उस मां चीखें नहीं भूल सकते जिसने खून के तालाब में अपने बेटे को देखकर चीखा हो।
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बताया अब तक क्यों थे चुप…
आतंकियों ने माना कि उन्होंने गलत इंसान को मार दिया है। अनिल की कुर्बानी की वजह से मेरे मामा आज भी जिंदा हैं। लेकिन न अनिल की मां, न मेरे मामा किसी को यह दर्द न झेलना पड़े। मैंने अब तक ये क्यों नहीं बताया? क्योंकि 30 साल से कश्मीरी हिंदुओं के बारे में यूएस, कांग्रेस और मीडिया में बोलने के बाद, मुझे नहीं लगता कि सुना गया। विवेक अग्निहोत्री का शुक्रिया।